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    निगरानी टीम की बड़ी कार्रवाई: पांच हजार रुपये रिश्वत लेते राजस्व कर्मचारी रंगे हाथ गिरफ्तार

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    जहानाबाद जिले में निगरानी विभाग की टीम ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए एक राजस्व कर्मचारी को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई दाखिल-खारिज के नाम पर रिश्वत मांगने की शिकायत के बाद की गई। गिरफ्तार कर्मचारी की पहचान सदर प्रखंड कार्यालय में पदस्थापित अविनाश कुमार के रूप में हुई है।

    मामला तब सामने आया जब एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारी पुष्कर कुमार ने निगरानी विभाग से शिकायत की कि उनसे उनकी जमीन के दाखिल-खारिज के लिए पांच हजार रुपये की रिश्वत मांगी जा रही है। पुष्कर कुमार ने बताया कि वे पिछले कई महीनों से दाखिल-खारिज के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहे थे, लेकिन हर बार फाइल किसी न किसी कारण से अटकाई जा रही थी।

    उन्होंने जब सीधे राजस्व कर्मचारी से अपने आवेदन की स्थिति पूछी, तो अविनाश कुमार ने उनसे खुले शब्दों में कहा कि “पांच हजार रुपये देने पर ही काम आगे बढ़ेगा।” इस पर रिटायर्ड अधिकारी ने रिश्वत देने से इनकार करते हुए सीधे निगरानी विभाग, पटना कार्यालय से संपर्क किया और अपनी शिकायत दर्ज कराई।

    शिकायत की पुष्टि के लिए निगरानी विभाग ने ट्रैप टीम का गठन किया। फिर मंगलवार को टीम ने जहानाबाद पहुंचकर पूरी योजना के तहत जाल बिछाया। रिटायर्ड अधिकारी पुष्कर कुमार को पांच हजार रुपये की गिनती की गई राशि दी गई, जिस पर पहले से केमिकल लगाई गई थी।

    जैसे ही पुष्कर कुमार ने अविनाश कुमार को रुपये सौंपे, निगरानी विभाग की टीम ने तत्काल छापा मार दिया। मौके पर ही कर्मचारी को पकड़ लिया गया। जांच के दौरान रिश्वत की रकम उसके कब्जे से बरामद हुई, जो पहले से निशानित थी।

    गिरफ्तारी के बाद अविनाश कुमार को टीम ने हिरासत में लिया और आगे की पूछताछ के लिए पटना निगरानी कार्यालय ले जाया गया। टीम ने कार्यालय से कई दस्तावेज और फाइलें भी जब्त की हैं, जिनमें कई अन्य मामलों से जुड़ी जानकारियां मिलने की संभावना जताई जा रही है।

    इस कार्रवाई के बाद जिले के सरकारी महकमे में भारी हड़कंप मच गया है। कार्यालय के अन्य कर्मचारियों में डर और सन्नाटा फैल गया है। कई कर्मचारी अब अपने कामकाज को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं।

    सूत्रों के अनुसार, निगरानी विभाग पिछले कुछ महीनों से बिहार के विभिन्न जिलों में राजस्व और निबंधन विभाग से जुड़ी रिश्वत शिकायतों पर विशेष निगरानी रख रहा है। हाल ही में कई जिलों से ऐसी शिकायतें आई थीं कि दाखिल-खारिज, नामांतरण या भूमि संबंधित कार्यों के लिए अधिकारी और कर्मचारी खुलेआम पैसे की मांग कर रहे हैं।

    निगरानी टीम के एक अधिकारी ने बताया कि “शिकायत की सत्यता की जांच के बाद ही कार्रवाई की जाती है। इस मामले में भी साक्ष्य पूरी तरह स्पष्ट थे, इसलिए टीम ने त्वरित कार्रवाई की।” उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी, ताकि सरकारी व्यवस्था में जनता का भरोसा बना रहे।

    वहीं, फरियादी पुष्कर कुमार ने कहा कि उन्होंने अपनी जमीन के दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। लेकिन आवेदन को बिना किसी कारण रिजेक्ट कर दिया गया। जब उन्होंने इस बारे में राजस्व कर्मचारी से पूछा तो उसने पांच हजार रुपये देने की मांग की। उन्होंने आगे बताया, “मैंने तय किया कि ऐसे भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करूंगा, इसलिए सीधे निगरानी विभाग में शिकायत की। मुझे खुशी है कि कानून ने सही काम किया।”

    इस गिरफ्तारी से साफ है कि बिहार में निगरानी विभाग भ्रष्टाचार पर लगातार सख्ती से कार्रवाई कर रहा है। बीते कुछ महीनों में यह तीसरा बड़ा मामला है जिसमें सरकारी कर्मी को रंगे हाथ पकड़ा गया है।

    निगरानी विभाग की इस कार्रवाई के बाद राज्य सरकार के स्तर पर भी चर्चा तेज़ हो गई है। सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि राजस्व कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या घूसखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    जहानाबाद प्रशासन ने भी अपने स्तर पर इस मामले की रिपोर्ट मांगी है। डीएम कार्यालय से यह स्पष्ट संकेत दिया गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी पर रिश्वत के आरोप साबित होने पर निलंबन और विभागीय कार्रवाई तुरंत की जाएगी।

    गौरतलब है कि राजस्व विभाग को जनता से सीधे जुड़े कार्यों के लिए जाना जाता है। दाखिल-खारिज, नामांतरण, भूमि विवाद समाधान जैसे मामलों में यह विभाग अहम भूमिका निभाता है। लेकिन इसी विभाग में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों ने आम नागरिकों को परेशान किया है।

    इस ताज़ा कार्रवाई ने न केवल जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में एक कड़ा संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार अब किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    फिलहाल निगरानी विभाग आरोपी अविनाश कुमार से पूछताछ कर रहा है। विभाग यह भी जांच कर रहा है कि क्या इसमें अन्य कर्मचारी या अधिकारी भी शामिल हैं। मामले की पूरी रिपोर्ट जल्द ही पटना मुख्यालय को सौंपी जाएगी।

    इस कार्रवाई से जिले में सरकारी कार्यों में पारदर्शिता की उम्मीद जगी है और जनता में यह विश्वास बढ़ा है कि यदि वे शिकायत करें तो सरकार और निगरानी एजेंसियां उनके साथ खड़ी हैं।

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