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    विदेश मंत्री एस. जयशंकर बोले – एआई युग में भारत बनेगा ग्लोबल साउथ का ‘इंस्पिरेशन’, जिम्मेदारी बड़ी और दिशा स्पष्ट

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    विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक मंच पर भारत की एआई (Artificial Intelligence) भूमिका को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल तकनीक का उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि एक प्रेरक राष्ट्र (Inspiration Nation) बनकर उभर रहा है — विशेषकर ग्लोबल साउथ (Global South) के देशों के लिए।

    जयशंकर ने कहा कि भारत के पास ऐसी क्षमता और दृष्टि है जो एआई को सिर्फ तकनीकी नहीं बल्कि मानवीय विकास का माध्यम बना सकती है। उनका यह वक्तव्य नई दिल्ली में आयोजित “AI for All: Inclusive Future Summit 2025” के दौरान आया, जहां उन्होंने भारत की एआई नीति, सुरक्षा दृष्टिकोण और वैश्विक योगदान पर विस्तार से चर्चा की।

    विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पर एक विशेष जिम्मेदारी है — यह सुनिश्चित करने की कि एआई का विकास समावेशी, सुरक्षित और मानव केंद्रित हो।
    उन्होंने कहा, “भारत केवल अपने लिए नहीं सोचता, हम उन देशों के लिए भी सोचते हैं जो तकनीकी रूप से पिछड़े हैं। ग्लोबल साउथ के लिए भारत की एआई नीति एक प्रेरणा है कि तकनीक मानवता की सेवा में कैसे लगाई जा सकती है।”

    जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत की नीति ‘AI for All’ सिर्फ एक नारा नहीं बल्कि एक व्यावहारिक मिशन है। इस नीति के तहत भारत एआई को शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और शासन व्यवस्था में लागू कर रहा है ताकि उसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।

    अपने संबोधन में जयशंकर ने भारत के स्वदेशी एआई टूल्स और नीति फ्रेमवर्क की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत का “Bharat AI Mission” और “INDIA Stack 2.0” विश्व के लिए मॉडल साबित हो रहे हैं।

    भारत ने डेटा गोपनीयता, एआई पारदर्शिता और एथिकल यूज़ के क्षेत्र में ऐसी रूपरेखा तैयार की है जो पश्चिमी देशों से अलग लेकिन अधिक मानवीय है।
    उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य है “एआई को सुरक्षित बनाना, लेकिन प्रतिबंधित नहीं; सशक्त बनाना, लेकिन अनियंत्रित नहीं।”

    जयशंकर ने बताया कि भारत सरकार एआई डेवलपमेंट के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ा रही है, विशेषकर अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के साथ, ताकि वे भी इस डिजिटल क्रांति का लाभ उठा सकें।

    जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों में भारत की एआई यात्रा एक “मॉडल ऑफ होप” के रूप में देखी जा रही है।
    उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने सीमित संसाधनों के बावजूद डिजिटलीकरण, आधार सिस्टम, यूपीआई पेमेंट्स और हेल्थटेक में वैश्विक स्तर पर क्रांति ला दी। अब वही अनुभव भारत एआई के क्षेत्र में साझा कर रहा है।

    उन्होंने कहा, “भारत यह साबित कर रहा है कि तकनीक सिर्फ अमीर देशों का खेल नहीं है। अगर इच्छाशक्ति और सही नीति हो, तो विकासशील देश भी डिजिटल भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं।”

    जयशंकर ने अपने संबोधन में एआई की नैतिकता (Ethics of AI) पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एआई का विकास सिर्फ मशीनों की बुद्धिमत्ता तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसमें मानवीय संवेदनाएं भी शामिल होनी चाहिए।

    भारत की दृष्टि के अनुसार, एआई को “सक्षम बनाना है, प्रतिस्थापित नहीं करना है”।
    उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करेगा कि एआई रोजगार छीनने के बजाय रोजगार के नए अवसर पैदा करे — जैसे डेटा एनालिटिक्स, लोकलाइजेशन, भाषा तकनीक और हेल्थटेक में।

    जयशंकर ने बताया कि भारत अब कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में एआई नीति निर्धारण में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। भारत G20 Digital Working Group और Global AI Ethics Council में सदस्य है और कई देशों के साथ साझा अनुसंधान परियोजनाएं चला रहा है।

    उन्होंने कहा कि भारत एआई को लेकर “ग्लोबल गवर्नेंस” के निर्माण में भी योगदान देगा, ताकि भविष्य में तकनीक मानवता के विरुद्ध नहीं बल्कि उसके साथ चले।

    भारत का उद्देश्य है एक “Responsible AI Ecosystem” का निर्माण, जहां पारदर्शिता, सुरक्षा और नवाचार का संतुलन कायम रहे।

    वर्तमान में भारत में एआई स्टार्टअप्स की संख्या 4,000 से अधिक है, जिनमें से अधिकांश शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
    नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2030 तक एआई आधारित अर्थव्यवस्था से 450 अरब डॉलर तक का आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकता है।

    सरकार ने हाल ही में “AI Compute Infrastructure Mission” की घोषणा की है, जिसके तहत भारत में सुपरकंप्यूटिंग क्षमता को 10 गुना बढ़ाया जाएगा। इससे भारत ग्लोबल टेक लीडर्स की कतार में शामिल हो सकेगा।

    अपने भाषण के अंत में एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की एआई रणनीति “आत्मनिर्भरता” और “मानवता” दोनों पर आधारित है।
    उन्होंने कहा, “भारत केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एआई विकसित कर रहा है। यह हमारी सभ्यता की पहचान है कि हम तकनीक को शक्ति नहीं, सेवा के रूप में देखते हैं।”

    जयशंकर ने यह भी दोहराया कि भारत अपनी तकनीकी क्षमता का उपयोग विश्व में संतुलन और विश्वास कायम करने के लिए करेगा।

    एस. जयशंकर का यह संबोधन न केवल भारत की एआई नीति की झलक दिखाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि आने वाले वर्षों में भारत तकनीकी कूटनीति का प्रमुख केंद्र बनेगा।
    भारत ने जिस प्रकार डिजिटल इंडिया को विश्व में सफल उदाहरण बनाया, वैसी ही कहानी अब एआई के क्षेत्र में दोहराई जा सकती है।

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