




8 अक्टूबर 2025 को भारतीय शेयर बाजारों में सतर्कता और सीमित उतार-चढ़ाव का माहौल देखने को मिला। मंगलवार को तेजी के साथ बंद होने के बाद आज बाजार ने धीमी लेकिन सकारात्मक शुरुआत की। एनएसई का निफ्टी-50 सूचकांक 25,100 के आसपास कारोबार करता दिखा जबकि बीएसई सेंसेक्स भी लगभग 82,000 के स्तर के करीब हल्की बढ़त दर्ज कर सका। शुरुआती कारोबार में निफ्टी 25,116.10 पर खुला, जो 8 अंकों की मामूली बढ़त थी, वहीं सेंसेक्स ने 35 अंकों की तेजी के साथ 81,961.67 पर शुरुआत की। हालांकि शुरुआती उत्साह जल्दी ही ठंडा पड़ गया क्योंकि वैश्विक संकेतों से निवेशकों में असमंजस बढ़ गया था।
दलाल स्ट्रीट पर आज की चाल कुछ हद तक संतुलित रही। बीते चार सत्रों से लगातार तेजी के बाद निवेशकों ने आज कुछ मुनाफावसूली की। वित्तीय शेयरों में हल्की कमजोरी देखी गई जबकि आईटी सेक्टर ने बाजार को संभाले रखा। एनआईआईटी टेक, इन्फोसिस और एचसीएल टेक जैसी कंपनियों में खरीदारी के चलते आईटी इंडेक्स में बढ़त रही। वहीं बैंकिंग और मेटल सेक्टर में हल्की गिरावट दर्ज की गई।
भारतीय बाजारों पर आज का दबाव मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय कारकों से आया। अमेरिका में जारी सरकार शटडाउन की स्थिति ने वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ा दी है। वहां बजट को लेकर राजनीतिक गतिरोध गहराता जा रहा है, जिसके चलते सरकारी कार्य ठप पड़ने की नौबत आ गई है। इस अनिश्चितता का असर निवेशकों की भावनाओं पर भी पड़ा। डॉलर इंडेक्स में 0.3% की बढ़त के साथ 98.91 तक की उछाल दर्ज की गई, जो पिछले कई महीनों का उच्चतम स्तर है। इसका सीधा असर उभरते बाजारों, खासकर भारत जैसे देशों की करेंसी और निवेश प्रवाह पर देखा जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा संघीय कर्मचारियों की छंटनी की धमकी और उनकी कुछ विवादित नीतिगत घोषणाओं ने अमेरिकी निवेशकों के साथ-साथ वैश्विक निवेशकों की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका में जारी यह राजनीतिक अस्थिरता यदि आगे बढ़ती है, तो वैश्विक इक्विटी बाजारों में गिरावट देखने को मिल सकती है।
वैश्विक स्तर पर एशियाई बाजारों में भी दबाव देखा गया। जापान का निक्केई इंडेक्स लगभग 0.4% नीचे बंद हुआ जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक भी लाल निशान में रहा। यूरोपीय बाजारों में शुरुआती कारोबार के दौरान भी गिरावट का रुख बना रहा। इसके बावजूद भारतीय बाजार ने अब तक स्थिरता दिखाई है, जो घरेलू आर्थिक संकेतों और कॉर्पोरेट आय उम्मीदों से समर्थित है।
भारतीय निवेशकों की नजर अब आगामी तिमाही नतीजों पर है। इस हफ्ते कई प्रमुख कंपनियां अपनी वित्तीय रिपोर्ट पेश करने वाली हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यदि कंपनियों के नतीजे उम्मीद से बेहतर आते हैं तो बाजार को नई दिशा मिल सकती है। हालांकि यदि नतीजे कमजोर रहे तो निवेशक मुनाफावसूली के मूड में आ सकते हैं।
तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी के लिए 25,000 एक मजबूत समर्थन स्तर है। यदि यह स्तर टूटता है तो अल्पकालिक गिरावट संभव है, जबकि 25,200 का स्तर आगे की बढ़त के लिए प्रतिरोधक बिंदु साबित हो सकता है। सेंसेक्स के लिए 81,800 के नीचे बंद होना कमजोरी का संकेत देगा, जबकि 82,300 का स्तर पार करना बाजार की मजबूती को दर्शाएगा।
घरेलू आर्थिक मोर्चे पर भी कुछ सकारात्मक संकेत हैं। सितंबर महीने के लिए जीएसटी संग्रह फिर से ₹1.7 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गया है, जिससे राजस्व स्थिति बेहतर बनी हुई है। वहीं, रुपये में हल्की गिरावट के बावजूद विदेशी निवेशकों का विश्वास अब भी कायम है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक एफआईआई ने लगातार तीसरे दिन भारतीय बाजार में शुद्ध निवेश किया है, जो निवेशकों की दीर्घकालिक आशावादिता को दिखाता है।
हालांकि क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारतीय बाजार के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 87 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई है। यदि यह स्तर और बढ़ता है, तो भारत जैसे तेल आयातक देशों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे शेयर बाजार की भावना प्रभावित हो सकती है।
सोने की कीमतों में तेजी जारी है क्योंकि निवेशक अस्थिर बाजार माहौल में सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर रुख कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 2,530 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक पहुंच गया है। घरेलू बाजार में भी सोने की कीमत 69,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच चुकी है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को इस समय सतर्क रुख अपनाना चाहिए और उच्च मूल्य वाले शेयरों में निवेश से पहले तकनीकी स्तरों की पुष्टि करनी चाहिए। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह समय धीरे-धीरे पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन करने का उपयुक्त अवसर माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, 8 अक्टूबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने वैश्विक दबावों के बावजूद संतुलित प्रदर्शन किया। निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ने मामूली बढ़त दर्ज की, लेकिन निवेशकों के चेहरों पर सतर्कता साफ झलकी। अमेरिका में जारी राजनीतिक संकट और आर्थिक अस्थिरता का असर भारतीय बाजार की चाल पर भी पड़ा है। अब बाजार की दिशा अगले कुछ दिनों में आने वाले तिमाही नतीजों और वैश्विक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगी।
निवेशकों के लिए फिलहाल यह समय धैर्य रखने और स्थिरता के साथ निर्णय लेने का है। आने वाले दिनों में यदि वैश्विक स्थिति सामान्य रहती है और घरेलू आंकड़े मजबूत आते हैं, तो भारतीय बाजार फिर से एक बार रिकॉर्ड स्तरों को छू सकता है।