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    अब हर बिल्डिंग की होगी डिजिटल रेटिंग! TRAI की नई पहल से कनेक्टिविटी की दिक्कत होगी खत्म

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    भारत में अब इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क केवल लग्जरी नहीं बल्कि जरूरत बन चुके हैं। चाहे दफ्तर हो, घर हो या मॉल — हर जगह स्थिर और तेज़ कनेक्टिविटी की मांग बढ़ रही है। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि लोग किसी नई बिल्डिंग में मकान या ऑफिस तो खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि वहां नेटवर्क कमजोर है या इंटरनेट बार-बार डिस्कनेक्ट होता है। ऐसी समस्याओं को खत्म करने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एक बेहद खास पहल शुरू की है — डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग योजना

    यह योजना भारत को डिजिटल रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। TRAI का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में देश की हर इमारत — चाहे वह आवासीय हो या वाणिज्यिक — डिजिटल कनेक्टिविटी के लिहाज से रेट की जाए। इससे खरीदारों, किराएदारों और निवेशकों को पहले से यह पता चल जाएगा कि उस बिल्डिंग में नेटवर्क कवरेज और इंटरनेट कनेक्शन का स्तर कितना अच्छा है।

    इस योजना के तहत TRAI बिल्डिंग्स को रेटिंग सिस्टम के माध्यम से आंकने जा रहा है। इसमें नेटवर्क स्ट्रेंथ, ब्रॉडबैंड स्पीड, डेटा लेटेंसी, कॉल क्वालिटी और सिग्नल कवरेज जैसी तकनीकी बातों को मापा जाएगा। एक बार रेटिंग मिल जाने पर बिल्डिंग के मालिक या बिल्डर इसे अपनी संपत्ति के प्रमोशन में इस्तेमाल कर सकेंगे।

    डिजिटल रेटिंग योजना का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ग्राहकों को पारदर्शी जानकारी मिलेगी। अब मकान या दफ्तर खरीदने से पहले लोग यह जान सकेंगे कि उस बिल्डिंग में जियो, एयरटेल, वीआई या बीएसएनएल जैसी सेवाओं की नेटवर्क क्वालिटी कैसी है।

    TRAI के अधिकारियों के अनुसार, यह योजना 2025 के मध्य तक चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। शुरुआत में इसे प्रमुख महानगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में शुरू किया जाएगा। इसके बाद इसे छोटे शहरों और टियर-2, टियर-3 कस्बों में विस्तार दिया जाएगा।

    सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन से जुड़ी यह योजना न केवल उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करेगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में भी पारदर्शिता लाएगी। अब बिल्डरों को भी मजबूर होना पड़ेगा कि वे निर्माण के दौरान मोबाइल नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर और इंटरनेट फाइबरिंग की उचित व्यवस्था करें।

    इसके अलावा TRAI ने यह भी कहा है कि डिजिटल रेटिंग प्रणाली से टेलीकॉम कंपनियों को भी फायदा होगा। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि किन क्षेत्रों या बिल्डिंग्स में नेटवर्क की गुणवत्ता कमजोर है और वहां सुधार की आवश्यकता है।

    डिजिटल रेटिंग के तहत प्रत्येक बिल्डिंग को 1 से 5 स्टार तक की रेटिंग दी जाएगी। पांच सितारा बिल्डिंग्स को “एक्सीलेंट कनेक्टिविटी” का दर्जा मिलेगा, जबकि एक सितारा बिल्डिंग में नेटवर्क बेहद कमजोर माना जाएगा। यह जानकारी सार्वजनिक पोर्टल पर भी उपलब्ध होगी, ताकि कोई भी व्यक्ति इसे देखकर फैसला ले सके।

    विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। जिस तरह पहले बिल्डिंग्स को पर्यावरण और ऊर्जा दक्षता के आधार पर ग्रीन रेटिंग दी जाती थी, अब उन्हें डिजिटल रेटिंग भी मिलेगी। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और बिल्डर बेहतर कनेक्टिविटी देने की दिशा में काम करेंगे।

    डिजिटल युग में हर व्यक्ति इंटरनेट पर निर्भर है — ऑनलाइन बैंकिंग, वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन क्लासेज़ और स्मार्ट डिवाइसों का उपयोग सबकुछ कनेक्टिविटी पर निर्भर है। TRAI की यह योजना सुनिश्चित करेगी कि कोई भी व्यक्ति नेटवर्क की खराबी के कारण अपनी ज़रूरी सेवाओं से वंचित न रहे।

    सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग सिस्टम को स्वैच्छिक (Voluntary) रूप से लागू किया जाएगा, लेकिन धीरे-धीरे इसे अनिवार्य बनाने की दिशा में विचार चल रहा है। यानी आने वाले समय में किसी भी नई बिल्डिंग को डिजिटल रेडी सर्टिफिकेट प्राप्त करना आवश्यक हो सकता है।

    TRAI के अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना से भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता में सुधार होगा और देश के लोग कनेक्टिविटी से जुड़ी परेशानियों से राहत पाएंगे।

    इस योजना के तहत TRAI ने रियल एस्टेट प्रमोटर्स, टेलीकॉम कंपनियों और नागरिक संगठनों से सुझाव भी मांगे हैं, ताकि इसे और अधिक उपयोगी बनाया जा सके।

    निस्संदेह, TRAI की यह डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग योजना आने वाले वर्षों में भारत को “डिजिटल रूप से कनेक्टेड नेशन” बनाने में अहम भूमिका निभाने जा रही है। यह पहल केवल टेक्नोलॉजी या नेटवर्क का नहीं बल्कि लोगों की जीवन गुणवत्ता सुधारने का भी प्रयास है।

    अब वह दिन दूर नहीं जब घर या ऑफिस खरीदते समय लोग केवल लोकेशन और डिज़ाइन ही नहीं, बल्कि “नेटवर्क रेटिंग” भी देखेंगे — और तभी लेंगे फैसला।

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