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    India-Pakistan News: ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम और ‘मोदी का भारत’ पर खटका

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    हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और भारत-पाकिस्तान संबंधों में नई बहस शुरू कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान को समर्थन और अहमियत देते हुए ऐसा रवैया अपनाया है, जिसने भारत के साथ उनके पारंपरिक संबंधों में हलचल पैदा कर दी है। विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह रवैया केवल राजनीतिक चाल या रणनीति नहीं, बल्कि गहरे रणनीतिक और आर्थिक कारणों से प्रेरित है।

    पहला कारण है आतंकी समूहों के प्रति पाकिस्तान का सहारा। ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने बार-बार पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की चेतावनी दी थी। हालांकि, ट्रंप के आखिरी महीनों में पाकिस्तान को दी गई सख्ती में नरमी देखी गई। यह नरमी भारत के लिए खटकी का कारण बनी क्योंकि ‘मोदी का भारत’ आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर वैश्विक मंच पर अपनी छवि मजबूत कर रहा है।

    दूसरा कारण है क्षेत्रीय रणनीति और अफगानिस्तान का महत्व। अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपनी सैन्य उपस्थिति के दौरान पाकिस्तान को मध्यस्थ के रूप में देखा। ट्रंप ने पाकिस्तान को अफगान शांति प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने के लिए महत्व दिया। भारत ने हमेशा इस प्रक्रिया में अपने हितों और आतंकवाद विरोधी एजेंडों को प्राथमिकता दी है, इसलिए अमेरिका का पाकिस्तान समर्थन भारत के नजरिए से चुनौतीपूर्ण प्रतीत हुआ।

    तीसरा कारण है आर्थिक और सैन्य सहायता। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य सहायता देने में रुचि दिखाई। इस कदम ने भारत में यह चिंता पैदा कर दी कि अमेरिका के फैसले पाकिस्तान को मजबूती देंगे और भारत के सुरक्षा और कूटनीतिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं। भारत ने अपने क्षेत्रीय सुरक्षा एजेंडे के तहत हमेशा यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान आतंकवाद और सशस्त्र समूहों के लिए सुरक्षित ठिकाना न बने।

    चौथा कारण है अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों का राजनीतिक लाभ। ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ संबंध मजबूत करके अमेरिका में राजनीतिक फायदा कमाने की कोशिश की। उन्होंने दक्षिण एशिया में अमेरिकी रणनीति और सैन्य संतुलन को देखते हुए पाकिस्तान के साथ तालमेल बढ़ाया। यह कदम भारत के नजरिए से खटकता है क्योंकि भारत ने ‘मोदी सरकार’ के तहत सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी कूटनीति में स्पष्ट रुख अपनाया है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम ने भारत-अमेरिका संबंधों को केवल क्षणिक चुनौती दी है, लेकिन लंबी अवधि में यह भारत की विदेश नीति और सुरक्षा दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण संकेत भी है। भारत ने हमेशा क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद विरोधी सहयोग को प्राथमिकता दी है, जबकि ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को मध्यस्थ और रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा।

    इस संबंध में भारत ने लगातार स्पष्ट रुख अपनाया है। भारत ने अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को उजागर किया है। इसके बावजूद, ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम भारत की विदेश नीति और वैश्विक छवि के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया।

    राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ‘मोदी का भारत’ अब सिर्फ क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। ट्रंप जैसे विदेशी नेताओं का पाकिस्तान के प्रति झुकाव इस पहचान के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने रणनीतिक हितों और सुरक्षा नीतियों के लिए किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।

    इसके अलावा, भारत-पाकिस्तान संबंधों में ट्रंप की भूमिका ने दक्षिण एशिया की राजनीति को भी प्रभावित किया। ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम अमेरिका-पाकिस्तान रणनीतिक गठजोड़ को सशक्त करता है, जबकि भारत ने इस क्षेत्र में स्थिरता और आतंकवाद विरोधी सहयोग को प्रमुख प्राथमिकता बनाया है।

    कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान प्रेम ने भारत और अमेरिका के पारंपरिक संबंधों में हलचल मचा दी है। चार प्रमुख कारण—आतंकी समूहों के प्रति पाकिस्तान का सहारा, अफगानिस्तान में क्षेत्रीय रणनीति, आर्थिक और सैन्य सहायता, और राजनीतिक लाभ—भारत के नजरिए से चुनौतीपूर्ण साबित हुए हैं। ‘मोदी का भारत’ अपने कूटनीतिक और सुरक्षा एजेंडे को ध्यान में रखते हुए इस बदलाव का सामना कर रहा है।

    इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय और वैश्विक हित अक्सर एक-दूसरे से टकराते हैं। भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों, सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी एजेंडे को सर्वोपरि रखा है। ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम इस रणनीति के लिए एक चुनौतीपूर्ण परीक्षण बन गया है।

    यह स्पष्ट है कि अमेरिका-पाकिस्तान और भारत के बीच गतिशील संबंध केवल राजनीतिक रणनीति तक सीमित नहीं हैं। यह क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी प्रयास और वैश्विक कूटनीति का एक जटिल मिश्रण है, जिसमें भारत अपने ‘मोदी एजेंडा’ को प्राथमिकता देकर स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करता रहेगा।

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