




नेपाल में हाल ही में हुए Gen-Z विरोध प्रदर्शनों के बाद देश की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह हिल गई है। इन प्रदर्शनों की आड़ में नेपाल की विभिन्न जेलों से एक साथ 13,000 से अधिक कैदी फरार हो गए हैं। इनमें लगभग 540 भारतीय नागरिक भी शामिल बताए जा रहे हैं। यह घटना नेपाल के हालिया इतिहास की सबसे बड़ी जेल भगदड़ मानी जा रही है, जिसने देश की आंतरिक सुरक्षा और प्रशासनिक क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नेपाल सरकार ने इस घटना को राष्ट्रीय आपात स्थिति जैसी गंभीरता से लेते हुए पूरे देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। गृह मंत्रालय ने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों और सुरक्षाबलों को निर्देश दिया है कि फरार हुए कैदियों की तत्काल पहचान की जाए और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। साथ ही, सभी सीमावर्ती इलाकों—खासकर भारत और चीन की सीमाओं पर—सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
जानकारी के मुताबिक, यह भगदड़ उस समय हुई जब देश के कई हिस्सों में युवा वर्ग—जिसे Gen-Z कहा जा रहा है—ने सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू किए। प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, सोशल मीडिया प्रतिबंध और शासन की असफलताओं को लेकर सड़क पर उतरकर विरोध जताया। देखते-देखते यह प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया और प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों और जेलों पर हमला कर दिया। इस अफरातफरी के माहौल में कैदियों ने भागने का मौका पा लिया।
नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि अब तक लगभग 13,500 कैदी फरार हो चुके हैं, जिनमें से करीब 7,800 को या तो फिर से गिरफ्तार किया गया है या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है। हालांकि, लगभग 5,700 कैदी अब भी फरार हैं और इनमें से करीब 540 भारतीय नागरिकों की पहचान की गई है। सरकार ने सभी फरार कैदियों से अपील की है कि वे स्वेच्छा से लौट आएं, अन्यथा उनके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस भगदड़ में कई कैदी खतरनाक अपराधों में शामिल बताए जा रहे हैं, जिनमें हत्या, मादक पदार्थ तस्करी, मानव तस्करी और डकैती जैसे मामले शामिल हैं। नेपाल के सुरक्षा अधिकारियों ने यह भी कहा है कि फरार कैदियों में से कई भारत और नेपाल दोनों देशों में वांछित हैं। ऐसे में भारत की एजेंसियों को भी इस घटना की जानकारी दी गई है और सीमा सुरक्षा बलों को विशेष सतर्कता के आदेश जारी किए गए हैं।
भारतीय गृह मंत्रालय ने नेपाल की घटना पर चिंता जताते हुए कहा है कि सीमा पार किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम की सीमाओं पर तैनात एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवानों को उच्च सतर्कता पर रखा गया है। स्थानीय प्रशासन को भी निर्देश दिया गया है कि कोई भी अज्ञात व्यक्ति सीमा पार न कर सके।
नेपाल के आंतरिक मामलों के मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि यह भगदड़ “राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती” है। उन्होंने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे संगठित गिरोहों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जो संभवतः प्रदर्शन के दौरान जेलों को निशाना बनाने की रणनीति के तहत सक्रिय थे। नेपाल सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी है, जिसमें सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
Gen-Z आंदोलन नेपाल की राजनीति में एक नया अध्याय बन गया है। युवा वर्ग, जो सोशल मीडिया और आधुनिक संचार माध्यमों के जरिए एकजुट हुआ है, सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में सरकार द्वारा इंटरनेट और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों ने युवाओं के आक्रोश को और भड़का दिया। प्रदर्शन इतने बड़े पैमाने पर फैल गए कि सुरक्षा बलों को कई बार कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना को बुलाना पड़ा।
जेल भगदड़ की इस घटना ने न केवल नेपाल के प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी उजागर की है, बल्कि यह भी दिखाया है कि देश में सामाजिक असंतोष कितना गहरा हो चुका है। राजधानी काठमांडू सहित कई जिलों में अब भी तनावपूर्ण माहौल है और सुरक्षा बलों की गश्त बढ़ा दी गई है।
नेपाल के नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि जेलों से कैदियों के भाग जाने से देश में अपराध की दर बढ़ सकती है और आम जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। वहीं, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना नेपाल में सत्ता परिवर्तन का संकेत भी दे सकती है, क्योंकि सरकार के खिलाफ असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है।
भारत-नेपाल संबंधों पर भी इस घटना का असर पड़ने की संभावना है। दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, नेपाल सरकार से फरार भारतीय नागरिकों की सूची मांगी गई है ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके या उन्हें वापस भारत लाया जा सके।
नेपाल सरकार के अनुसार, फरार कैदियों के खिलाफ “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलर्ट” जारी किया गया है। इंटरपोल की मदद लेने की भी तैयारी चल रही है ताकि विदेश भाग चुके अपराधियों का पता लगाया जा सके।
यह घटना नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता, प्रशासनिक कमजोरियों और जन असंतोष के खतरनाक संगम को दर्शाती है। जहां एक ओर Gen-Z आंदोलन युवा पीढ़ी की निराशा और बदलाव की आकांक्षा को दिखा रहा है, वहीं दूसरी ओर, जेल भगदड़ जैसी घटनाएं यह साबित करती हैं कि शासन व्यवस्था अब कठोर सुधारों की मांग कर रही है।
नेपाल के लिए आने वाले हफ्ते बेहद निर्णायक साबित हो सकते हैं — एक तरफ सरकार को अपनी सत्ता बनाए रखनी है और दूसरी तरफ देश में कानून व्यवस्था को बहाल करना है। इस बीच, भारत और अन्य पड़ोसी देशों की नजरें इस संकट के समाधान पर टिकी हुई हैं।