




देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण व्यवस्था को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने को लेकर बड़ा बयान दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल वह इस सीमा को बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। वर्तमान में OBC वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा ₹8 लाख सालाना तय है, जिसे आखिरी बार वर्ष 2017 में संशोधित किया गया था।
सरकार के इस रुख ने एक बार फिर OBC आरक्षण व्यवस्था पर नई बहस को जन्म दे दिया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, क्रीमी लेयर की आय सीमा में फिलहाल किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि इससे उन गरीब और पिछड़े वर्गों को नुकसान हो सकता है, जो वर्तमान में इस आरक्षण के दायरे में आते हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि सीमा बढ़ाने से अपेक्षाकृत संपन्न वर्ग OBC आरक्षण का लाभ लेने लगेंगे, जिससे वास्तव में जरूरतमंद और आर्थिक रूप से कमजोर पिछड़े परिवारों के अधिकार प्रभावित होंगे।
वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर की सीमा ₹6 लाख से बढ़ाकर ₹8 लाख कर दी थी। उस समय भी यह निर्णय लंबे विमर्श और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद लिया गया था। लेकिन तब से अब तक सात साल बीत चुके हैं और महंगाई तथा आय स्तर में वृद्धि के कारण कई वर्ग यह मांग उठा रहे हैं कि इस सीमा को बढ़ाकर ₹12 लाख या ₹15 लाख किया जाए।
कई राज्यों और सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से पुनर्विचार करने की अपील की थी। उनका कहना है कि बदलती आर्थिक परिस्थितियों और शहरीकरण के दौर में ₹8 लाख की सीमा कई परिवारों के लिए अब ‘अवास्तविक’ हो गई है। हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क है कि किसी भी बदलाव से पहले सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलुओं का गहन विश्लेषण आवश्यक है।
क्रीमी लेयर की अवधारणा का उद्देश्य OBC आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों तक पहुंचाना है, जो वास्तव में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कई फैसलों में कहा है कि आरक्षण का लाभ समाज के उसी तबके को मिलना चाहिए, जो वंचित है, न कि उन परिवारों को जो पहले से ही आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति में हैं।
केंद्र सरकार के अनुसार, यदि आय सीमा बढ़ाई जाती है, तो अधिक आय वाले परिवार OBC आरक्षण का लाभ उठाने लगेंगे और इससे पिछड़े वर्गों के गरीब छात्र, नौकरी चाहने वाले और अन्य पात्र लोग वंचित रह जाएंगे। इसलिए, फिलहाल सीमा में कोई वृद्धि उचित नहीं मानी जा रही है।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि समय-समय पर महंगाई दर, वेतन वृद्धि और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए इस सीमा की समीक्षा की जानी चाहिए। क्योंकि यदि सीमा बहुत लंबे समय तक स्थिर रहती है, तो वास्तविक जरूरतमंद वर्ग के कई लोग भी OBC लाभ से वंचित रह सकते हैं।
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण केवल राजनीतिक बयानबाजी का विषय बन गया है और सरकार को सामाजिक न्याय की भावना के तहत व्यावहारिक फैसले लेने चाहिए। कुछ दलों ने यह भी मांग की है कि एक स्वतंत्र आयोग गठित कर आय सीमा की समीक्षा की जाए ताकि निर्णय तथ्यों के आधार पर लिया जा सके।
क्रीमी लेयर की आय सीमा का महत्व केवल आरक्षण से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, नौकरियों और केंद्रीय सेवाओं में OBC उम्मीदवारों की पात्रता तय करने में भी अहम भूमिका निभाता है। यानी जो परिवार इस सीमा से ऊपर हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
सरकार के वर्तमान निर्णय के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी कुछ वर्षों तक ₹8 लाख की आय सीमा बरकरार रहेगी। हालांकि, सामाजिक न्याय मंत्रालय ने यह संकेत भी दिया है कि स्थिति की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर समिति गठित की जा सकती है।
इस पूरी बहस के बीच सरकार का यह बयान संकेत देता है कि फिलहाल वह आरक्षण प्रणाली में किसी बड़े बदलाव की ओर नहीं बढ़ना चाहती। केंद्र का ध्यान इस समय सामाजिक स्थिरता बनाए रखने और आरक्षण के लाभ को अधिक न्यायसंगत तरीके से लागू करने पर केंद्रित है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई समिति बनाती है या आगामी चुनावों के मद्देनज़र इस नीति पर पुनर्विचार करती है। फिलहाल के लिए, OBC वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की सीमा ₹8 लाख ही बनी रहेगी — और यह निर्णय आरक्षण व्यवस्था में संतुलन बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।