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    “मैं एक मेहनती आदमी हूं” — राज ठाकरे की मिमिक्री पर डिप्टी सीएम अजीत पवार का करारा जवाब, कहा- काम बोलता है, शब्द नहीं

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    महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कारण है महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे का बयान और मिमिक्री वाला अंदाज़, जिसे लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुलकर प्रतिक्रिया दी है।
    राज ठाकरे ने हाल ही में एक जनसभा के दौरान अजीत पवार की शैली की नकल उतारते हुए राजनीतिक कटाक्ष किया था, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इस पर अब अजीत पवार ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा — “मैं एक मेहनती आदमी हूं, और जनता मुझे मेरे काम से जानती है, न कि किसी के तंज या नकल से।”

    यह विवाद तब शुरू हुआ जब राज ठाकरे ने एक जनसभा में अजीत पवार के बोलने के अंदाज़ और हावभाव की नकल करते हुए कहा कि “अजित दादा रोज़ कुछ न कुछ नया बोलते हैं, लेकिन खुद नहीं समझते कि क्या कहना चाहते हैं।” इस पर मौजूद भीड़ ने जमकर ठहाके लगाए।
    लेकिन बात यहीं नहीं रुकी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच भी तीखी बहस शुरू हो गई।

    जब पत्रकारों ने इस पर अजीत पवार से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने शांत स्वर में कहा —
    “राज ठाकरे क्या बोलते हैं, क्या करते हैं, यह उनका तरीका है। लेकिन मैं अपना समय दूसरों की नकल करने में नहीं लगाता। मैं दिन-रात काम करता हूं। मैं एक मेहनती आदमी हूं। मेरी पहचान मेरे कार्यों से है, न कि मेरे शब्दों से।”

    अजीत पवार का यह बयान न केवल सधी हुई प्रतिक्रिया थी, बल्कि उनके राजनीतिक परिपक्वता की झलक भी दिखाता है। उन्होंने राज ठाकरे पर व्यक्तिगत हमला करने से परहेज किया और अपने कामकाज पर भरोसा जताया।

    यह पहला मौका नहीं है जब राज ठाकरे ने अजित पवार को निशाने पर लिया हो। महाराष्ट्र की राजनीति में दोनों नेताओं के बीच अक्सर बयानबाजी होती रहती है। पहले भी ठाकरे ने अजित पवार के भाषणों की शैली और उनके “सख्त अफसराना रवैये” को लेकर कई बार मजाक उड़ाया है। वहीं अजीत पवार आम तौर पर ऐसे बयानों को अनदेखा करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने जवाब देना जरूरी समझा।

    राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, राज ठाकरे का यह तरीका नया नहीं है। वे अपनी भाषण शैली और व्यंग्यपूर्ण मिमिक्री के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पहले भी कई नेताओं — चाहे वह उद्धव ठाकरे हों, देवेंद्र फडणवीस हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी — की सार्वजनिक मंचों पर नकल उतारी है।
    राज ठाकरे की इस शैली को कुछ लोग “राजनीतिक मनोरंजन” मानते हैं, तो कुछ इसे “अनुचित और असम्मानजनक” कहते हैं।

    दूसरी ओर, अजीत पवार फिलहाल महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री के रूप में अहम जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं। वे वित्त मंत्रालय का प्रभार भी संभाल रहे हैं और गठबंधन सरकार में एनसीपी (अजित गुट) के प्रमुख चेहरे हैं।
    राज्य में उनकी सक्रियता और कार्यशैली को लेकर भी अक्सर चर्चा होती रहती है। विपक्षी दल उन पर सत्ता के लिए समझौता करने के आरोप लगाते हैं, जबकि समर्थक उन्हें “परफॉर्मेंस ड्रिवन लीडर” के रूप में पेश करते हैं।

    अजीत पवार ने अपने जवाब में यह भी कहा कि “लोग क्या कहते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता। मैं सरकार में रहकर जनता के लिए काम कर रहा हूं। मुझ पर जो जिम्मेदारी है, उसे मैं ईमानदारी से निभा रहा हूं।”

    इस विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से हलचल पैदा कर दी है। भाजपा-शिंदे गठबंधन सरकार में शामिल एनसीपी (अजित पवार गुट) इस समय विकास कार्यों को लेकर सक्रिय है, वहीं राज ठाकरे की एमएनएस ने आने वाले नगर निगम चुनावों को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है।
    राज ठाकरे लगातार राज्य सरकार पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं और उनके भाषणों में राजनीतिक व्यंग्य का तड़का हमेशा बना रहता है।

    राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिमिक्री विवाद महज एक हल्का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक खींचतान का प्रतीक है।
    राज ठाकरे अपने बेबाक बयानों से सुर्खियों में रहना जानते हैं, जबकि अजीत पवार अपनी “वर्क फोकस्ड” छवि को बनाए रखना चाहते हैं।

    राज ठाकरे के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनका इरादा किसी का अपमान करना नहीं था, बल्कि वे अपनी शैली में जनता को जागरूक कर रहे थे। वहीं एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि “नेताओं को जनता के बीच मनोरंजन नहीं, बल्कि भरोसा पैदा करने की जरूरत है।”

    राजनीतिक पंडितों का मानना है कि आने वाले चुनावों से पहले इस तरह के बयान और वाकयुद्ध बढ़ेंगे, क्योंकि दोनों दल अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं।
    हालांकि जनता के बीच यह बहस जरूर शुरू हो गई है कि राजनीति में व्यंग्य और मिमिक्री की क्या सीमा होनी चाहिए।

    फिलहाल, अजीत पवार ने अपने सधे हुए बयान से यह संदेश दे दिया है कि वे किसी भी आलोचना से ऊपर उठकर काम और परिणाम को प्राथमिकता देते हैं। और शायद यही वजह है कि उन्होंने साफ कहा —
    “राज ठाकरे बोलते रहें, मैं काम करता रहूंगा। आखिर में जनता खुद तय करेगी कि कौन सही है।”

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