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सड़क सुरक्षा और शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या को खत्म करने के लिए गुजरात के वडोदरा के युवा इनोवेटर मिथिलेश पटेल ने एक क्रांतिकारी डिवाइस विकसित की है। इस डिवाइस का उद्देश्य ड्राइविंग करते समय शराब पीने वालों को रोकना है और सड़क दुर्घटनाओं की घटनाओं को कम करना है। मिथिलेश ने इस डिवाइस पर अपनी मेहनत और नवाचार के दम पर 140 पेटेंट्स भी दर्ज कराए हैं, जो इस तकनीक की अनूठी और सुरक्षित क्षमता को साबित करता है।
भारत में सड़क दुर्घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। पिछले साल होली पर रक्षित चौरसिया हिट एंड रन कांड और दिवाली के समय वडोदरा में एक रईसजादे द्वारा एक श्रमिक के बच्चे को कुचल देने की घटना ने देश को झकझोर दिया। ऐसे घटनाक्रम ने दिखा दिया कि शराब पीकर वाहन चलाना कितनी बड़ी सामाजिक और व्यक्तिगत समस्या बन चुकी है। इसी समस्या को हल करने की दिशा में मिथिलेश पटेल का इनोवेशन एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
मिथिलेश पटेल की इस डिवाइस में अत्याधुनिक सेंसर और तकनीकी सुविधाओं का इस्तेमाल किया गया है। यह तकनीक ड्राइवर के एल्कोहल स्तर का तत्काल परीक्षण करती है और यदि यह निर्धारित करती है कि ड्राइवर शराब पी चुका है, तो वाहन स्टार्ट नहीं होगा। इस डिवाइस को कार और मोटरसाइकिल दोनों में आसानी से लगाया जा सकता है।
डिवाइस का नाम ‘सोनम वांगचुक’ मॉडल रखा गया है, जो नवाचार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में जाना जा रहा है। इस डिवाइस का निर्माण और पेटेंट इस तरह किया गया है कि इसे बड़े पैमाने पर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लागू किया जा सके। मिथिलेश ने बताया कि उनका लक्ष्य केवल तकनीक विकसित करना नहीं था, बल्कि सामाजिक जागरूकता और सड़क सुरक्षा को बढ़ाना भी था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिवाइस सड़क पर शराब पीकर वाहन चलाने के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती है। इससे न केवल लोगों की जानें बचेंगी, बल्कि सड़क पर ट्रैफिक नियमों का पालन भी बढ़ेगा। भारत में हर साल लाखों सड़क दुर्घटनाओं में कई लोग घायल या मृत हो जाते हैं, जिनमें शराब पीकर वाहन चलाना एक बड़ी वजह है। इस डिवाइस के आने से इस संख्या में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
मिथिलेश ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमारा उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं को रोकना है। इस डिवाइस की मदद से ड्राइवर को चेतावनी मिलेगी और वाहन स्टार्ट नहीं होगा। यह तकनीक सिर्फ वाहन सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि समाज और परिवारों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।”
सामाजिक मीडिया पर भी इस डिवाइस को लेकर उत्साह है। लोग इसे ‘भारत का सुरक्षा कदम’ और नवाचार का अद्भुत उदाहरण बता रहे हैं। कई यात्री और वाहन मालिक इसे अपनाने के इच्छुक हैं, क्योंकि यह तकनीक सुरक्षित ड्राइविंग के साथ जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
इस डिवाइस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे वाहन में बिना किसी अतिरिक्त जटिलता के आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है। इसके सेंसर और सॉफ्टवेयर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह शराब के अल्कोहल स्तर को सही और तत्काल पहचान सके। अगर ड्राइवर का एल्कोहल स्तर नियम से ऊपर पाया जाता है, तो वाहन को स्टार्ट होने से रोका जाता है।
मिथिलेश पटेल के इस कदम ने यह संदेश दिया कि युवा नवाचार और तकनीक सामाजिक समस्याओं को हल करने में कितने प्रभावी हो सकते हैं। उनका यह इनोवेशन न केवल रोड सेफ्टी को बढ़ाएगा, बल्कि आने वाले वर्षों में इसे अन्य देशों में भी लागू करके सड़क सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अगर इस तरह की डिवाइस को व्यापक रूप से लागू किया जाए तो भारत में शराब पीकर वाहन चलाने की घटनाओं में बड़े पैमाने पर कमी आ सकती है। इसके साथ ही यह डिवाइस लोगों में सड़क नियमों और सुरक्षित ड्राइविंग के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा।
अंततः, मिथिलेश पटेल का यह नवाचार सड़क सुरक्षा, सामाजिक जागरूकता और तकनीकी नवाचार का मिश्रण है। ‘सोनम वांगचुक’ डिवाइस ने साबित कर दिया कि भारतीय युवा न केवल तकनीक में बल्कि सामाजिक समस्याओं के समाधान में भी अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।








