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    बुंदेलखंड में मोंथा तूफान का कहर, किसानों की मेहनत पर पानी फेर गया

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    बुंदेलखंड के किसानों के लिए इस वर्ष की खरीफ फसलें भारी नुकसान में तब्दील हो गई हैं। हाल ही में आए मोंथा चक्रवात और लगातार हो रही बारिश ने इस क्षेत्र में कृषि परिस्थितियों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हमीरपुर सहित पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में किसानों की चिंताएं चरम पर पहुंच गई हैं।

    किसानों का कहना है कि खरीफ फसलों की बर्बादी ने उनकी सालभर की मेहनत और उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है। धान, मक्का, सोयाबीन और दलहन जैसी फसलों पर तेज़ बारिश और तूफानी हवा ने भारी नुकसान किया। कई खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलें नष्ट होने की कगार पर हैं।

    स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ फसलों का लगभग 40-50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। वे किसान परिवारों के लिए राहत और मुआवजे की प्रक्रिया को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित किसानों की संख्या हजारों में है और कई किसान पूरी तरह से आर्थिक संकट में फंस गए हैं।

    किसानों की चिंता अब केवल खरीफ फसलों तक ही सीमित नहीं है। उनके अनुसार, अगर यह बारिश का सिलसिला रुका नहीं तो रबी की फसलों पर भी गंभीर संकट मंडराने लगेगा। किसानों का कहना है कि उनकी खेतों की मिट्टी और बीज इस स्थिति में रबी के लिए तैयार नहीं रहेंगे। इस कारण उन्होंने समय रहते कृषि विशेषज्ञों से मार्गदर्शन की मांग की है।

    मौसम विभाग ने बुंदेलखंड में अगले कुछ दिनों में भी बारिश की संभावना जताई है। साथ ही, तेज़ हवाओं और गरज-चमक के कारण किसान अपने खेतों और संरचना की सुरक्षा के लिए उपाय कर रहे हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि चक्रवात की वजह से क्षेत्र में जलभराव और फसलों की बर्बादी और बढ़ सकती है।

    किसानों का कहना है कि इस वर्ष उनके लिए कृषि परिस्थितियां अत्यंत कठिन हो गई हैं। वे लंबे समय से अपनी फसलों पर नजर रख रहे थे, लेकिन मोंथा चक्रवात ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। बुंदेलखंड क्षेत्र में कई किसानों ने फसल बीमा योजनाओं का लाभ लेने की कोशिश की है, लेकिन पर्याप्त राहत और मुआवजा अभी तक नहीं मिला है।

    स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित किसानों के लिए राहत शिविर स्थापित किए हैं और उन्हें बीज, खाद और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। वहीं कृषि विशेषज्ञ भी किसानों को सलाह दे रहे हैं कि बर्बाद फसलों को निकालकर रबी की बुवाई की तैयारियों को जल्द शुरू करें।

    कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बुंदेलखंड के लिए यह स्थिति चिंताजनक है। पिछले वर्षों में भी क्षेत्र में सूखा और अनियमित बारिश ने किसानों की हालत खराब की थी। इस वर्ष का मोंथा चक्रवात इन चुनौतियों को और बढ़ा गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को भविष्य के लिए सस्टेनेबल और आपदा-प्रबंधन आधारित खेती अपनाने की आवश्यकता है।

    स्थानीय समाज और किसान संगठन भी प्रभावित किसानों की मदद के लिए आगे आए हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द नुकसान का आकलन किया जाए और उचित मुआवजा वितरण सुनिश्चित किया जाए। कई किसान परिवार अब अपनी आय के स्रोत खो चुके हैं और इस मुश्किल समय में सहायता की उम्मीद कर रहे हैं।

    इस प्राकृतिक आपदा ने बुंदेलखंड के कृषि और आर्थिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाला है। खरीफ फसलों की बर्बादी ने न केवल किसानों की आमदनी को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा और स्थानीय बाजारों पर भी असर डाला है।

    अंततः, मोंथा चक्रवात ने बुंदेलखंड के किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खरीफ फसलों की बर्बादी और रबी फसलों पर मंडराता संकट एक बार फिर यह याद दिलाता है कि किसानों के लिए मौसम और प्राकृतिक आपदाओं से निपटना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। प्रशासन, कृषि विभाग और समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वे समय रहते किसानों को राहत और मार्गदर्शन उपलब्ध कराएं।

    किसानों की यह दुविधा और संघर्ष इस क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है और आने वाले दिनों में इसके समाधान के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।

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