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महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। हाल ही में मुंबई में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद उद्धव ठाकरे और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच बयानबाजी का नया विवाद खड़ा हो गया है। अमित शाह ने मुंबई में यह कहा कि BJP को महाराष्ट्र में किसी बैसाखी की जरूरत नहीं है और पार्टी अपने बल पर काम करती है।
इस बयान के बाद महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पलटवार करते हुए अमित शाह को ‘एनाकोंडा’ कह दिया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा महाराष्ट्र में अपने विस्तार के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और राज्य की राजनीति को निगलने की कोशिश में लगी है। उद्धव ठाकरे के इस बयान ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी और मीडिया में व्यापक कवरेज मिलने लगा।
उद्धव ठाकरे के ‘एनाकोंडा’ बयान के बाद भाजपा की प्रतिक्रिया भी तेज़ थी। पार्टी ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें ‘अजगर’ के रूप में देखा जाना चाहिए। BJP का कहना है कि उद्धव ठाकरे का बयान सिर्फ राजनीतिक रंग में रंगा हुआ और जनता को भ्रमित करने वाला है। पार्टी का आरोप है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे हमेशा अपनी सियासी छवि बनाए रखने के लिए अतिशयोक्ति करते रहते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयानबाजी महाराष्ट्र में आगामी चुनावों और सत्ता समीकरण के मद्देनजर है। मुंबई और राज्य की सियासत में BJP और शिवसेना के बीच संघर्ष लंबे समय से देखा जा रहा है। उद्धव ठाकरे और अमित शाह के बीच यह तकरार भी इसी सियासी तनाव की ताजा मिसाल है।
उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में यह भी कहा कि भाजपा राज्य की जनता और संस्थाओं को दबाने के लिए रणनीतिक रूप से काम कर रही है। उनका कहना था कि एनाकोंडा की तरह भाजपा धीरे-धीरे सत्ता का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उद्धव के इस बयान से यह साफ है कि महाराष्ट्र की सियासत में भाजपा और शिवसेना के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना है।
वहीं BJP का कहना है कि उद्धव ठाकरे का एनाकोंडा वाला बयान केवल राजनीतिक नाटक है। भाजपा नेताओं ने इसे मजाकिया अंदाज में बताया और कहा कि उद्धव खुद राज्य की राजनीति में पंगु हो चुके हैं और उन्हें वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश करनी पड़ रही है। BJP ने उद्धव ठाकरे को ‘अजगर’ कहकर संकेत दिया कि वे केवल लंबा खिंचाव करते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी पकड़ कमजोर है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयानबाजी सिर्फ शब्दों की लड़ाई नहीं है, बल्कि इसका असर आगामी चुनावों और गठबंधन राजनीति पर भी पड़ सकता है। महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष, BJP का विस्तार और शिवसेना की स्थिति सभी इस टकराव के परिप्रेक्ष्य में देखी जा रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने अमित शाह के बयान को मुंबई और राज्य की राजनीति में BJP की बढ़ती शक्ति के खिलाफ चेतावनी माना। उनका कहना है कि भाजपा राज्य के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। वहीं BJP ने इसे राजनीतिक अति-उत्तेजना करार दिया और कहा कि महाराष्ट्र में पार्टी लोकतंत्र और जनता के अधिकारों का सम्मान करती है।
इस पूरे विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। अब राज्य की जनता और राजनीतिक विश्लेषक यह देख रहे हैं कि BJP और शिवसेना के बीच यह बयानबाजी आगे बढ़ेगी या शांत होगी। आगामी महीनों में चुनावी माहौल के चलते ऐसे बयान और अधिक सामने आने की संभावना है।
राजनीतिक टिप्पणीकार यह भी बता रहे हैं कि उद्धव ठाकरे और अमित शाह के बीच यह वाक्य विनिमय मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर तेजी से वायरल हो गया है। जनता इसे मजेदार और विवादास्पद दोनों नजरिए से देख रही है।
अंततः, महाराष्ट्र में सियासत अब शब्दों और बयानबाजी की लड़ाई के दौर में प्रवेश कर गई है। उद्धव ठाकरे ने अमित शाह को एनाकोंडा कहा और BJP ने पलटवार में उन्हें अजगर बताया। यह टकराव सिर्फ व्यक्तिगत बयान नहीं, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा और सत्ता समीकरण को प्रभावित करने वाला संकेत है।
महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में यह विवाद राजनीतिक रणनीतियों और चुनावी समीकरणों में किस तरह उभरता है, यह देखने वाली बात होगी।








