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    केंद्र सरकार ने दी मंज़ूरी: 8वें वेतन आयोग के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस तय, 50 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स को राहत

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    केंद्र सरकार ने मंगलवार को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference – ToR) को मंजूरी दे दी है। यह आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों के वेतन, भत्तों और सेवानिवृत्ति लाभों की समीक्षा करेगा।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। सरकार के इस फैसले से करीब 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनर्स को राहत मिलने की संभावना है।

    8वां वेतन आयोग केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत कर्मचारियों और सेवानिवृत्त पेंशनधारकों की आय, भत्ते, भत्तों की संरचना तथा जीवन स्तर के अनुरूप वेतनमान तय करने के लिए जिम्मेदार होगा।
    सरकार ने कहा है कि आयोग अपनी स्थापना की तारीख से 18 महीनों के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

    आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारियों का वेतन और पेंशन न केवल मुद्रास्फीति और जीवनयापन की लागत के अनुरूप हो, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति, वित्तीय अनुशासन और विकास नीति के अनुरूप भी संतुलित रहे।

    सरकारी सूत्रों के अनुसार, आयोग में शामिल होंगे:

    • एक अध्यक्ष (Chairperson)

    • एक सदस्य सचिव (Member Secretary)

    • एक या दो अंशकालिक सदस्य (Part-Time Members)

    आयोग को वित्त मंत्रालय, कर्मचारी कल्याण विभाग, रक्षा, रेलवे और संचार मंत्रालय सहित अन्य संबंधित विभागों से सुझाव प्राप्त करने होंगे। इसके बाद वह अपनी सिफारिशें तैयार करेगा।

    सरकार द्वारा तय किए गए टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) के अनुसार आयोग निम्न मुद्दों पर विचार करेगा:

    1. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों की समीक्षा।

    2. आर्थिक विकास दर, मुद्रास्फीति और जीवनयापन लागत में हुए बदलावों का मूल्यांकन।

    3. वित्तीय अनुशासन और सरकारी खर्च की स्थिरता बनाए रखना।

    4. राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का आकलन।

    5. अन्य देशों में लागू समान नीतियों का अध्ययन और तुलनात्मक विश्लेषण।

    सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि आयोग को अपनी सिफारिशें राजकोषीय जिम्मेदारी और बजटीय मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए देनी होंगी।

    8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों में लंबे समय से उत्सुकता थी।
    कर्मचारी संघों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “यह निर्णय कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करता है।”

    ऑल इंडिया सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज फेडरेशन (AICGEF) के एक प्रतिनिधि ने कहा,

    “हम सरकार का स्वागत करते हैं कि उसने 8वें वेतन आयोग की दिशा में कदम बढ़ाया। अब उम्मीद है कि आयोग समयबद्ध ढंग से कार्य करेगा और सिफारिशें 2026 की शुरुआत तक लागू होंगी।”

    7वां वेतन आयोग वर्ष 2014 में गठित हुआ था और उसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गईं।
    उस समय कर्मचारियों के वेतन में औसतन 23.55% की वृद्धि की गई थी।

    7वें वेतन आयोग ने पेंशन सुधार, भत्तों की नई संरचना, और डिजिटल पे स्केल प्रणाली जैसी कई नीतिगत सिफारिशें दी थीं।
    अब 8वां आयोग उनसे आगे बढ़कर कर्मचारियों के प्रदर्शन-आधारित वेतन, फ्लेक्सिबल बेनिफिट्स सिस्टम, और नई पेंशन स्कीम (NPS) में सुधार जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

    सरकार के इस निर्णय का अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक असर पड़ेगा।
    विशेषज्ञों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से सरकारी खजाने पर हजारों करोड़ रुपये का वार्षिक बोझ बढ़ सकता है।

    हालांकि, सरकार का तर्क है कि वेतन वृद्धि से घरेलू उपभोग (Domestic Consumption) बढ़ेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि (GDP Growth) को प्रोत्साहन मिलेगा।

    एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,

    “यह कदम खर्च नहीं, बल्कि निवेश है। खुशहाल कर्मचारी ही उत्पादकता बढ़ाते हैं और अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं।”

    केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों का असर आमतौर पर राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) पर भी पड़ता है।
    कई राज्य सरकारें केंद्र की सिफारिशों को अपने कर्मचारियों के लिए भी लागू करती हैं, जिससे उनकी वित्तीय नीतियों में भी बदलाव आ सकता है।

    यदि प्रक्रिया निर्धारित समय के अनुसार चली तो आयोग की रिपोर्ट 2026 की शुरुआत तक सरकार को सौंपी जा सकती है।
    इसके बाद मंत्रालयों के अनुमोदन के साथ इसे 1 जनवरी 2026 से प्रभावी किया जा सकता है।

    सरकार ने संकेत दिया है कि इस बार आयोग के कार्य में पारदर्शिता और गति को प्राथमिकता दी जाएगी।

    8वें केंद्रीय वेतन आयोग के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस को मंजूरी देकर मोदी सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनर्स की उम्मीदों को नई दिशा दी है।
    यह निर्णय न केवल वेतन सुधार का संकेत है बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार अपने कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है।

    अब सभी की निगाहें आयोग के गठन और उसकी पहली रिपोर्ट पर टिकी हैं।
    अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो आने वाले वर्ष में कर्मचारियों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

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