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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रहने वाली अनुष्का जायसवाल आज उन महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य साफ हो और मेहनत सच्ची, तो कोई भी राह असंभव नहीं होती। अनुष्का ने अपने जीवन में एक ऐसा फैसला लिया जिसने उनकी पूरी दिशा ही बदल दी। उन्होंने प्रतिष्ठित कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद नौकरी के सुनहरे अवसर ठुकरा दिए और खेती को अपना करियर बना लिया। आज वही लड़की संरक्षित खेती (Protected Farming) के जरिए सालाना करीब एक करोड़ रुपये की कमाई कर रही है।
अनुष्का की कहानी की शुरुआत साल 2017 में हुई, जब वह दिल्ली के हिंदू कॉलेज में पढ़ाई पूरी कर रही थीं। उस समय कॉलेज में प्लेसमेंट का दौर चल रहा था और उनके दोस्तों को बड़ी-बड़ी कंपनियों से आकर्षक पैकेज पर जॉब ऑफर मिल रहे थे। सभी को उम्मीद थी कि अनुष्का भी एक बड़ी कंपनी में नौकरी करेंगी, लेकिन उन्होंने सभी ऑफर ठुकरा दिए। उनके इस फैसले से सभी हैरान रह गए।
29 वर्षीय अनुष्का ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से फ्रेंच भाषा में पढ़ाई की थी, लेकिन उन्हें इसमें मन नहीं लगा। उन्हें महसूस हुआ कि उनका उद्देश्य सिर्फ नौकरी करना नहीं, बल्कि कुछ ऐसा करना है जिससे समाज और देश के स्तर पर बदलाव लाया जा सके। अपने मकसद की तलाश में वह घर लौटीं और नई दिशा खोजने लगीं।
एक दिन उन्होंने अपने घर की छत पर कुछ पौधे लगाने की शुरुआत की। शुरुआत में उन्होंने टमाटर, मिर्च और तुलसी जैसे पौधे उगाए। जब पौधों में फल आने लगे, तो उन्हें एहसास हुआ कि यही वह काम है जिसमें उन्हें वास्तविक संतुष्टि मिलती है। धीरे-धीरे उन्होंने खेती को एक संभावित करियर के रूप में देखना शुरू किया।
इसके बाद अनुष्का ने संरक्षित खेती (Protected Farming) की तकनीक सीखी। इस पद्धति में पौधों को एक नियंत्रित वातावरण — जैसे तापमान, नमी, और सूर्य के प्रकाश — में उगाया जाता है, जिससे मौसम पर निर्भरता खत्म हो जाती है और उत्पादकता कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने ग्रीनहाउस निर्माण और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम की जानकारी जुटाई और अपनी जमीन पर प्रयोग शुरू किए।
शुरुआत में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परिवार और समाज में लोगों ने कहा कि “इतनी पढ़ाई के बाद खेती?” लेकिन अनुष्का ने अपने आत्मविश्वास के दम पर आगे बढ़ना नहीं छोड़ा। उन्होंने सरकारी योजनाओं की मदद ली, विशेष रूप से राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत सब्सिडी का लाभ उठाया।
कुछ ही वर्षों में उनका प्रयोग सफल रहा। उन्होंने ग्रीनहाउस में टमाटर, शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, खीरा और गेंदा फूल की खेती शुरू की। उत्पाद की गुणवत्ता और ताजगी ने स्थानीय बाजारों में धूम मचा दी। लखनऊ और कानपुर के साथ-साथ दिल्ली के थोक बाजारों से भी उन्हें ऑर्डर मिलने लगे।
आज अनुष्का के फार्म में आधुनिक तकनीकें उपयोग में लाई जाती हैं — जैसे सोलर पैनल, सेंसर-आधारित नमी नियंत्रण प्रणाली और जैविक खाद। इससे उनकी उत्पादन लागत में काफी कमी आई और मुनाफा तेजी से बढ़ा।
अनुष्का अब “ग्रीन ब्लूम एग्रो टेक” नामक कंपनी चला रही हैं, जो छोटे किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, बीज, उर्वरक और उपकरण मुहैया कराती है। उनके साथ अब दर्जनों स्थानीय महिलाएं काम कर रही हैं, जिन्हें उन्होंने प्रशिक्षित किया है। इस तरह अनुष्का ने न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी रोजगार और सशक्तिकरण का रास्ता दिखाया।
उनका कहना है कि, “खेती में जोखिम जरूर है, लेकिन अगर हम इसे व्यवसाय की तरह चलाएं और तकनीक को अपनाएं, तो यह सबसे स्थायी और लाभदायक पेशा बन सकता है।”
आज अनुष्का सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं। वह अपने यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पेज पर खेती से जुड़ी तकनीकें, पौधों की देखभाल और बाजार से जुड़ी जानकारी साझा करती हैं। लाखों युवा और किसान उन्हें फॉलो करते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं।
उनकी सफलता की गूंज अब पूरे प्रदेश में सुनाई देती है। कई कृषि विश्वविद्यालयों ने अनुष्का को आमंत्रित कर उनके अनुभव साझा करने को कहा है। वह युवाओं से कहती हैं, “अगर आपमें जुनून है और आप कुछ अलग करने का साहस रखते हैं, तो खेती भी करोड़ों की कमाई का रास्ता बन सकती है।”
उनकी कहानी सिर्फ एक आर्थिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास की प्रेरक मिसाल है। अनुष्का ने यह साबित किया कि सपनों को सच करने के लिए बड़े शहरों की ऊंची इमारतों की नहीं, बल्कि जमीन से जुड़ी सोच और ईमानदार मेहनत की जरूरत होती है।
लखनऊ की यह लड़की अब सिर्फ एक किसान नहीं, बल्कि एक युवा उद्यमी के रूप में जानी जाती है, जिसने साबित कर दिया कि भारत की धरती पर मेहनत और नवाचार का संगम सफलता की सबसे सुंदर फसल देता है।







