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अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह समझौता अब “सिरदर्द” बन गया है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में “मध्यस्थता” की थी।
कांग्रेस ने ट्रंप के इस बयान को भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाला बताया और केंद्र सरकार से मांग की कि वह स्पष्ट करे कि आखिर अमेरिका के ऐसे बार-बार के झूठे दावों पर भारत की ओर से कोई सख्त प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी जा रही है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “एक समय था जब हमें बताया गया था कि भारत अमेरिका के साथ एक बड़ा व्यापार समझौता करने जा रहा है, लेकिन अब यह समझौता एक ‘ordeal’ यानी सिरदर्द बन गया है।” उन्होंने कहा कि जिस समझौते से भारत के व्यापार को मजबूती मिलने की उम्मीद थी, वही अब अटक गया है और अमेरिका की शर्तों ने भारत के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रमेश ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार भारत-पाकिस्तान विवाद में “मध्यस्थता” की बात करते हैं और भारत की सरकार केवल औपचारिक बयान देकर मामला खत्म कर देती है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि ट्रंप का यह “57वां मध्यस्थता दावा” है और यह दिखाता है कि अमेरिका भारत की संप्रभुता को लेकर गंभीर नहीं है।
रमेश ने कहा कि भारत सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह ऐसे मामलों में अमेरिका को क्यों “राजनयिक छूट” देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार पूरी तरह से भ्रमित है। कभी चीन से दोस्ती दिखाने के चक्कर में गलवान जैसी घटनाएं हो जाती हैं और अब अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में भी असफलता दिख रही है।
भारत-पाकिस्तान संदर्भ में सरकार की सफाई
इस पूरे विवाद के बीच भारत सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि मई में पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ (Director General of Military Operations) ने भारत से संपर्क किया था। उस बातचीत में नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी रोकने पर चर्चा हुई थी, लेकिन यह केवल सैन्य स्तर की बातचीत थी। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी तीसरे देश — यानी अमेरिका — की मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं थी और न ही भारत ने किसी तरह का अनुरोध किया।
सरकार के इस बयान के बावजूद विपक्ष का आरोप है कि भारत की विदेश नीति की दिशा अस्पष्ट हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर खुद बयान देना चाहिए कि क्यों ट्रंप जैसी हस्तियां बार-बार भारत-पाकिस्तान विवाद में “मध्यस्थता” के झूठे दावे करती हैं।
व्यापार समझौते पर भी सवाल
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा प्रचारित अमेरिका के साथ “फ्री ट्रेड एग्रीमेंट” (FTA) केवल घोषणा भर रह गया है। जयराम रमेश ने कहा कि इस समझौते से भारत को अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहे, बल्कि अमेरिका की ओर से कई उत्पादों पर टैक्स छूट को वापस लेने से भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह समझौता “आर्थिक दबाव” और “राजनीतिक भ्रम” का प्रतीक बन चुका है।
विश्लेषण और राजनीतिक प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयराम रमेश का यह बयान केवल ट्रंप के दावे पर प्रतिक्रिया नहीं बल्कि मोदी सरकार की विदेश नीति पर समग्र प्रहार है। कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि सरकार न तो अमेरिका से संबंधों में पारदर्शिता रख पा रही है और न ही पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति को स्पष्ट कर पा रही है।
भारत-अमेरिका संबंध पिछले कुछ वर्षों में रणनीतिक स्तर पर मजबूत हुए हैं — रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है — लेकिन व्यापार के मोर्चे पर टकराव जारी है। अमेरिका भारत से कृषि और चिकित्सा उपकरणों के बाजार खोलने की मांग कर रहा है, जबकि भारत अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।
कांग्रेस का मानना है कि सरकार ने अमेरिका की शर्तों को लेकर न तो स्पष्ट रुख अपनाया है और न ही संसद में इस पर कोई चर्चा की है। पार्टी का यह भी कहना है कि जब विदेश नीति “चुप्पी” के सहारे चलने लगे, तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की साख पर असर पड़ता है।







