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भारतीय रेलवे ने सुरक्षा और दक्षता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बीटीपीएन टैंकर विकसित किया है, जो न केवल आग और चोरी के लिए प्रतिरोधी है बल्कि अनलोडिंग के समय भी 20 प्रतिशत तक दक्षता बढ़ाता है। इस टैंकर का निर्माण कोटा रेलवे वर्कशॉप में किया गया है और यह दो साल के गहन शोध का परिणाम है।
बीटीपीएन टैंकर में डिजिटल सेंसर, कैमलॉक कपलिंग, डबल लॉकिंग सिस्टम और चूड़ीदार कैप जैसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। डिजिटल सेंसर टैंकर की निगरानी के लिए कार्य करता है और चोरी या रिसाव की स्थिति में तुरंत अलर्ट भेजता है। कैमलॉक कपलिंग और डबल लॉकिंग सिस्टम टैंकर की सुरक्षा को दोगुना करते हैं, जिससे तेल या अन्य संवेदनशील सामग्री का चोरी होना लगभग असंभव हो जाता है।
कोटा रेलवे वर्कशॉप के अधिकारियों के अनुसार, इस टैंकर की खासियत यह है कि अनलोडिंग प्रक्रिया में समय और मेहनत दोनों की बचत होती है। पहले जहां सामग्री उतारने में अधिक समय और श्रम लगता था, वहीं नए टैंकर में यह प्रक्रिया 20% तक तेज हो गई है। इसके अलावा, चूड़ीदार कैप टैंकर के मुंह को पूरी तरह से सील करता है, जिससे रिसाव और दुर्घटना की संभावना न्यूनतम रहती है।
रेलवे ने फिलहाल दो रैक (100 वैगन) तैयार कर लिए हैं और इनमें से एक का टेस्ट रन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। टेस्ट रन में टैंकर की सुरक्षा, संतुलन और अनलोडिंग क्षमता का मूल्यांकन किया गया। अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण परिणाम उत्साहजनक रहे और टैंकर हर तरह के मौसम और ट्रैक परिस्थितियों में सुरक्षित और विश्वसनीय साबित हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नवाचार भारतीय रेलवे के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल माल ढुलाई की सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि समय और लागत की बचत भी होगी। विशेषकर तेल और अन्य संवेदनशील सामग्री के परिवहन में यह टैंकर बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचा सकता है।
रेलवे विभाग का कहना है कि इस टैंकर का उत्पादन और उपयोग धीरे-धीरे पूरे देश में बढ़ाया जाएगा। भविष्य में इसे अन्य रेलवे वर्कशॉप में भी लागू किया जाएगा, जिससे भारतीय रेलवे का माल ढुलाई नेटवर्क और भी सुरक्षित और आधुनिक बन सके।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बीटीपीएन टैंकर को डिजाइन करते समय सुरक्षा, दक्षता और पर्यावरणीय मानकों का विशेष ध्यान रखा गया। टैंकर में इस्तेमाल किए गए स्मार्ट सेंसर न केवल चोरी और आग का पता लगाने में मदद करते हैं बल्कि उन्हें दूरस्थ निगरानी प्रणाली से जोड़ा जा सकता है। इससे रेलवे प्रशासन को रियल-टाइम डेटा मिलेगा और आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
इसके अलावा, नए टैंकर की संरचना और सामग्री का चयन ऐसा किया गया है कि यह भारी माल के बोझ और लंबे समय तक उपयोग के बावजूद सुरक्षित और मजबूत बना रहे। कोटा रेलवे वर्कशॉप के इंजीनियरों ने कहा कि यह टैंकर रेलवे के भविष्य के लिए एक तकनीकी क्रांति का प्रतीक है।
कुल मिलाकर, भारतीय रेलवे का यह बीटीपीएन टैंकर सुरक्षा, दक्षता और तकनीकी नवाचार का शानदार उदाहरण है। यह न केवल माल परिवहन की गुणवत्ता और सुरक्षा बढ़ाएगा बल्कि भारतीय रेलवे की आधुनिक तकनीक में कदम बढ़ाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भविष्य में ऐसे टैंकरों की व्यापक तैनाती से रेलवे संचालन में नई ऊंचाइयों को छूने की संभावना है।








