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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अफगानिस्तान के तालिबानी शासन के विदेश मंत्री अब्दुल्ला मुत्ताकी को अचानक फोन किया। इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान में आए हालिया भूकंप से हुई तबाही पर संवेदना व्यक्त करना और राहत कार्यों में सहयोग का भरोसा देना था।
भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। कई शहरों और गांवों में घर और बुनियादी संरचनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। इस आपदा में नागरिकों को तत्काल राहत और सहायता की जरूरत है। इसी संदर्भ में जयशंकर ने मुत्ताकी से बातचीत की और भारत की तरफ से हर संभव मदद उपलब्ध कराने की घोषणा की।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस फोन कॉल में दोनों नेताओं ने आपदा राहत, मानवीय सहायता और प्रभावित लोगों की सुरक्षा पर विशेष चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा से मानवीय दृष्टिकोण से जरूरतमंद देशों की मदद करता रहा है और अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावित नागरिकों के लिए भी यही नीति लागू होगी।
भारत और अफगानिस्तान के बीच पिछले कई वर्षों में विकास और सहयोग का मजबूत संबंध रहा है। जयशंकर ने मुत्ताकी को भरोसा दिलाया कि भारत राहत कार्यों में आपूर्ति, तकनीकी मदद और विशेषज्ञ टीमों के माध्यम से सहायता प्रदान कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों की तैनाती से स्थानीय नागरिकों को तत्काल राहत मिलेगी।
भूकंप के बाद अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत बढ़ गई है। इस स्थिति में भारत की पहल न केवल मानवीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है।
मुत्ताकी ने इस फोन कॉल में भारतीय सहायता और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि तालिबानी सरकार राहत और बचाव कार्यों में सहयोग स्वीकार करती है और प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने में किसी बाधा का सामना नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक और कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अचानक फोन कॉल भारत की सक्रिय और मानवीय कूटनीति का उदाहरण है। आपदा के समय शीघ्र प्रतिक्रिया और राहत सहायता से दोनों देशों के बीच सहयोग की मिसाल कायम होती है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी सकारात्मक संदेश देता है कि भारत मानवीय संकट के समय तत्पर और जिम्मेदार भूमिका निभाता है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस पहल से भारत और अफगानिस्तान के बीच विश्वास और सहयोग का नया दौर शुरू हो सकता है। प्राकृतिक आपदा के समय त्वरित कदम उठाकर भारत ने यह दिखाया कि वह क्षेत्रीय संकट के समय स्थिर और भरोसेमंद साथी है।
कुल मिलाकर, एस जयशंकर और तालिबान के विदेश मंत्री मुत्ताकी के बीच हुई यह बातचीत भूकंप राहत, मानवीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह संकट के समय अपने पड़ोसी देशों के साथ खड़ा रहेगा और जरूरतमंदों की मदद के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
इस पहल से यह भी संदेश जाता है कि प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकट के समय कूटनीति और सहयोग कितने प्रभावी तरीके से काम कर सकते हैं। आने वाले दिनों में भारत द्वारा भेजी जाने वाली राहत सामग्री और टीमों की तैनाती अफगानिस्तान में प्रभावित लोगों के जीवन में तुरंत बदलाव ला सकती है और उन्हें आश्वासन देती है कि वे अकेले नहीं हैं।








