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    एनसीआर बना रियल एस्टेट निवेश का हॉटस्पॉट, बेंगलुरु और मुंबई से आगे निकला दिल्ली-एनसीआर का प्रॉपर्टी बाजार

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    देश की राजधानी क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर का रियल एस्टेट मार्केट इस समय नई ऊंचाइयों पर है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से यहां आवासीय और वाणिज्यिक प्रोजेक्ट्स की मांग बढ़ी है, उसने बेंगलुरु और मुंबई जैसे पारंपरिक रियल एस्टेट हब को पीछे छोड़ दिया है। डेवलपर्स से लेकर निवेशकों तक, सभी की नजर अब एनसीआर पर टिक गई है।

    रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 की शुरुआत में एनसीआर में प्रॉपर्टी की कीमतों में औसतन 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों में नए प्रोजेक्ट्स की लॉन्चिंग लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बुनियादी ढांचे के विकास, मेट्रो कनेक्टिविटी और कॉर्पोरेट विस्तार के चलते यह इलाका अब भारत का सबसे तेज़ी से उभरता रियल एस्टेट बाजार बन गया है।

    गुरुग्राम में लक्ज़री और प्रीमियम सेगमेंट की डिमांड में भारी उछाल देखा जा रहा है। कॉर्पोरेट हब होने के कारण यहां आईटी प्रोफेशनल्स और विदेशी कंपनियों की मौजूदगी बढ़ रही है। दूसरी ओर, नोएडा में मिडिल-क्लास और अपर मिडिल-क्लास खरीदारों के लिए नए आवासीय प्रोजेक्ट्स आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

    रीयल एस्टेट विशेषज्ञों के मुताबिक, 2024-25 के दौरान एनसीआर में आवासीय बिक्री में करीब 28% की वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान कई प्रमुख डेवलपर्स — जैसे DLF, Godrej Properties, Tata Housing, और M3M — ने नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा की है। खास बात यह है कि निवेशकों के साथ-साथ एनआरआई खरीदारों की दिलचस्पी भी अब तेजी से एनसीआर की ओर बढ़ी है।

    मुंबई और बेंगलुरु की तुलना में एनसीआर में अभी भी भूमि की उपलब्धता अधिक है, जिससे बड़े पैमाने पर डेवलपमेंट की संभावनाएं बनी हुई हैं। वहीं, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, जेवर एयरपोर्ट, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम जैसी मेगा परियोजनाएं इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी और निवेश संभावनाओं को नई दिशा दे रही हैं।

    प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स का कहना है कि आने वाले दो वर्षों में एनसीआर में रियल एस्टेट का दायरा और विस्तृत होगा। 2025 के अंत तक यहां आवासीय प्रोजेक्ट्स की औसत कीमतों में 25% तक की बढ़ोतरी की संभावना है।

    नोएडा एक्सटेंशन और ग्रेटर नोएडा वेस्ट जैसे इलाकों में किफायती दरों पर आधुनिक सुविधाओं वाले घरों की मांग सबसे अधिक है। वहीं, गुरुग्राम का गोल्फ कोर्स रोड, सोहना रोड और सेक्टर-65 जैसे क्षेत्र हाई-एंड प्रॉपर्टीज के लिए नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं।

    आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि एनसीआर का यह उभार केवल घरेलू निवेशकों तक सीमित नहीं रहेगा। विदेशी निवेशकों के लिए भी भारत का यह क्षेत्र अब “रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट गोल्डमाइन” बन चुका है। अमेरिका, सिंगापुर और यूएई से आने वाले फंड हाउस अब नोएडा और गुरुग्राम में व्यावसायिक संपत्तियों में भारी निवेश कर रहे हैं।

    दूसरी ओर, बढ़ती मांग के चलते किराया दरों में भी तेजी आई है। गुरुग्राम में किराया औसतन 18% बढ़ा है, जबकि नोएडा में यह वृद्धि 15% तक देखी गई है। इसके कारण एनसीआर में किरायेदारों की तुलना में खरीदारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

    सरकार की “Housing for All” और “Smart City Mission” जैसी योजनाओं ने भी इस क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाई है। बेहतर सड़कें, मेट्रो विस्तार और हरित क्षेत्र में निवेश ने एनसीआर को रहने और निवेश दोनों के लिए पसंदीदा बना दिया है।

    बेंगलुरु और मुंबई, जो कभी देश के रियल एस्टेट के शीर्ष केंद्र माने जाते थे, अब एनसीआर के मुकाबले धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं। मुंबई में भूमि की कमी और ऊँची निर्माण लागत, तथा बेंगलुरु में ट्रैफिक और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों ने निवेशकों को वैकल्पिक गंतव्य तलाशने पर मजबूर किया है।

    एनसीआर का रियल एस्टेट बाजार अब केवल “दिल्ली का विस्तार” नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभर चुका है। यहां कामकाज, शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के बेहतरीन विकल्पों ने इसे आधुनिक भारत का नया रियल एस्टेट पावरहाउस बना दिया है।

    अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यदि यह रफ्तार इसी तरह बनी रही, तो अगले पाँच वर्षों में एनसीआर भारत का सबसे बड़ा रियल एस्टेट मार्केट बन जाएगा — जो न केवल निवेशकों बल्कि आम घर खरीदारों के लिए भी सुनहरे अवसर लेकर आएगा।

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