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बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता परेश रावल ने हाल ही में नेशनल अवॉर्ड्स और ऑस्कर को लेकर अपने विचार साझा किए। लंबे करियर और कई सम्मानित फिल्मों के अनुभव के बाद अभिनेता ने इस बार पैरवी और लॉबिंग के मुद्दे पर खुलकर बात की। उनके इस बयान ने फिल्म इंडस्ट्री और आम दर्शकों में नई बहस छेड़ दी है।
परेश रावल ने कहा कि केवल टैलेंट और कड़ी मेहनत ही किसी पुरस्कार की गारंटी नहीं होती। उन्होंने स्पष्ट किया कि नेशनल अवॉर्ड्स, फिल्म अवॉर्ड्स और यहां तक कि ऑस्कर जैसी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रतियोगिताओं में भी लॉबिंग और पैरवी की प्रक्रियाएं मौजूद हैं। उनका कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है और यह इंडस्ट्री का एक हिस्सा बन चुकी है।
अभिनेता ने कहा, “हम हमेशा सोचते हैं कि अवॉर्ड सिर्फ काम की तारीफ है, लेकिन हकीकत में पैरवी और नेटवर्किंग का असर भी बहुत बड़ा होता है। ऑस्कर भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार मेरे काम को मिले सम्मान और दर्शकों की सराहना है।”
उन्होंने यह भी बताया कि कई बार सच्चे और प्रतिभाशाली कलाकार ऐसे पुरस्कार से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि उनके पास उद्योग के भीतर लॉबिंग की शक्ति या संसाधन नहीं होते। इसके बावजूद, परेश रावल ने कहा कि उन्हें अपने काम पर गर्व है और उनकी प्राथमिकता काम की गुणवत्ता और दर्शकों की प्रतिक्रिया रही है।
बॉलीवुड में अवॉर्ड्स को लेकर अक्सर विवाद होता रहा है। कई कलाकारों और समीक्षकों का मानना है कि पैरवी और नेटवर्किंग ने अवॉर्ड्स की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पर परेश रावल का कहना है कि यह केवल फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स पर भी देखने को मिलता है। उन्होंने इसे एक वास्तविकता के रूप में स्वीकार किया, लेकिन यह भी जोड़ा कि इसका मतलब यह नहीं कि पुरस्कार का महत्व खत्म हो गया।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई फिल्में और कलाकार जो मेहनत और टैलेंट के बावजूद बड़े पुरस्कार नहीं जीतते, उनकी उपलब्धियां कम नहीं होती। “हमारा काम हमारे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है। दर्शकों की सराहना और आलोचनात्मक प्रशंसा ही असली सम्मान है,” उन्होंने कहा।
परेश रावल के इस बयान ने मीडिया और सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी। उनके समर्थक और फिल्म प्रेमी उनकी ईमानदारी और व्यावहारिक सोच की सराहना कर रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि यह बयान नए कलाकारों को भी हौसला देता है कि अवॉर्ड्स से ज्यादा महत्वपूर्ण है अपना काम और अपनी कला पर भरोसा रखना।
अभिनेता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए व्यक्तिगत पुरस्कारों से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके द्वारा निभाए गए किरदारों और फिल्मों का प्रभाव है। चाहे वह सीनियर सिटिजन रोल हो, कॉमेडी, या ड्रामा, उनका मानना है कि सिनेमा में सच्ची सराहना का मूल्य हमेशा स्थायी रहता है, जबकि अवॉर्ड्स केवल क्षणिक उत्सव होते हैं।
नेशनल अवॉर्ड और ऑस्कर जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों के बारे में खुलकर बात करना मुश्किल होता है, लेकिन परेश रावल ने अपने अनुभव के आधार पर इसे बिना डर के साझा किया। उनके अनुसार, पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी हर इंडस्ट्री में देखने को मिलती है, लेकिन कलाकार की प्राथमिकता हमेशा कला और जनता का प्यार होना चाहिए।








