इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने हाल ही में भारतीय राजनीति में परिवारवाद पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने सीधे तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम लेकर कहा कि देश की राजनीति में परिवारवाद की समस्या लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो रही है। थरूर ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि राजनीति में काबिलियत और अनुभव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि केवल पारिवारिक नाम और वंशवाद को।
थरूर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “जब राजनीति सिर्फ एक फैमिली बिजनेस बन जाती है, तो देश के लोकतंत्र और संस्थानों की मजबूती पर खतरा मंडराने लगता है। हमें ऐसे नेताओं को आगे लाना होगा जो काबिलियत, अनुभव और मेहनत के आधार पर जनता की सेवा कर सकें।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीति में पारिवारिक प्रभाव का होना लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए हानिकारक है और यह जनता की उम्मीदों के अनुरूप नहीं है।
शशि थरूर का यह बयान कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रही चर्चाओं और राष्ट्रीय राजनीति में पारिवारिक दबदबे पर नई बहस को जन्म दे सकता है। थरूर ने इस दौरान स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति के खिलाफ व्यक्तिगत हमला करना नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती और नेतृत्व के लिए योग्यता की आवश्यकता को उजागर करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि थरूर का यह बयान राजनीतिक परिदृश्य में पारिवारिक दबदबे पर चिंता व्यक्त करने वाला महत्वपूर्ण कदम है। पिछले दशकों में भारतीय राजनीति में परिवारवाद ने अनेक दलों में स्थायित्व और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर असर डाला है। थरूर ने अपने बयान में इसे स्पष्ट रूप से संबोधित किया और कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत रहेगा जब काबिल और मेहनती लोग जनता के सामने आएंगे।
थरूर ने यह भी कहा कि युवा नेताओं को प्रोत्साहित करने और उनके लिए अवसर बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “सिर्फ वंशवाद के आधार पर नेता चुनने से समाज और लोकतंत्र दोनों ही प्रभावित होते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि राजनीति में योग्यता और दृष्टिकोण को महत्व मिले।”
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, थरूर का बयान समय की मांग को दर्शाता है। आज की राजनीति में युवा और काबिल नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन पारिवारिक दबदबे और नाम के कारण कई योग्य उम्मीदवारों के लिए अवसर सीमित रहते हैं। थरूर ने इस पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनता के निर्णय को सम्मान मिलना चाहिए और उन्हें काबिल नेताओं का चुनाव करने का पूरा अधिकार होना चाहिए।
शशि थरूर का यह बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई विशेषज्ञ इसे कांग्रेस पार्टी के भीतर विचार और बहस को बढ़ावा देने वाला कदम मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि पारिवारिक राजनीति के खिलाफ यह आवाज केवल थरूर की नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की है जो लोकतंत्र में योग्यता और मेहनत की प्राथमिकता चाहते हैं।
कुल मिलाकर, शशि थरूर ने राहुल और प्रियंका गांधी का नाम लेकर राजनीति में फैले परिवारवाद पर जोरदार हमला किया है और स्पष्ट किया है कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए नेताओं की काबिलियत और अनुभव को प्राथमिकता देना आवश्यक है। उनका यह बयान देश की राजनीति में नई बहस और जागरूकता पैदा कर सकता है।
थरूर की चेतावनी यह है कि अगर राजनीति में केवल पारिवारिक दबदबे पर निर्भरता बनी रही, तो लोकतंत्र की नींव कमजोर हो सकती है। इसके विपरीत, यदि काबिल और मेहनती लोग ही नेतृत्व में आएं, तो लोकतंत्र मजबूत और स्थिर रहेगा। उनके इस बयान ने यह संदेश भी दिया कि जनता और पार्टी दोनों को ही यह सुनिश्चित करना होगा कि राजनीति केवल नाम और वंश के आधार पर संचालित न हो।








