




भारत में कृषि क्षेत्र सदियों से रीढ़ की हड्डी माना जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ इसमें कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। रासायनिक खाद, कीटनाशक और महंगे इनपुट्स पर बढ़ती निर्भरता ने न केवल किसानों की लागत बढ़ा दी है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, जल संसाधनों और पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पहुंचाया है। ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ‘प्राकृतिक कृषि मिशन’ (Prakritik Krishi Mission) का शुभारंभ किया।
यह योजना न केवल सतत और पर्यावरण-हितैषी खेती को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त करेगी, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।
प्राकृतिक कृषि मिशन क्या है?
‘प्राकृतिक कृषि मिशन’ केंद्र सरकार का एक राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य है –
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खेती में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का न्यूनतम उपयोग।
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किसानों को प्राकृतिक और स्थानीय संसाधनों से खेती करने के लिए प्रशिक्षित करना।
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ऑर्गेनिक व प्राकृतिक उत्पादों का बाज़ार विकसित करना।
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मिट्टी की उर्वरता और जल संरक्षण को बढ़ाना।
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किसानों की लागत घटाकर मुनाफा बढ़ाना।
सरकार का दावा है कि इस मिशन से अगले 5 वर्षों में देश के 3 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन
लॉन्चिंग कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा –
“भारत की कृषि को भविष्य की चुनौतियों से बचाने के लिए हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा। यह न केवल किसानों की जेब के लिए फायदेमंद है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी आवश्यक है। प्राकृतिक कृषि मिशन किसानों को नए युग की खेती की ओर ले जाएगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मिशन “डबल इंजन विकास” का हिस्सा है, जो गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को भी आगे बढ़ाएगा।
किसानों को कैसे मिलेगा लाभ?
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कम लागत वाली खेती – प्राकृतिक खेती में गोबर, गोमूत्र, जीवामृत, बीजामृत जैसे जैविक विकल्पों का प्रयोग किया जाएगा, जिससे महंगे खाद और कीटनाशकों पर खर्च घटेगा।
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स्वास्थ्यवर्धक फसल – रसायन-मुक्त अनाज, फल और सब्जियां लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होंगी।
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अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार तक पहुंच – ऑर्गेनिक और प्राकृतिक उत्पादों की वैश्विक मांग तेजी से बढ़ रही है। इससे किसानों को निर्यात के माध्यम से अधिक लाभ मिल सकेगा।
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मिट्टी और जल संरक्षण – प्राकृतिक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी और पानी की खपत कम होगी।
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सरकारी सहायता – केंद्र सरकार किसानों को प्रशिक्षण, सब्सिडी और बाज़ार उपलब्ध कराने में मदद करेगी।
विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक खेती भारत को “रासायनिक जाल” से बाहर निकालने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है।
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डॉ. राकेश शर्मा, कृषि वैज्ञानिक कहते हैं:
“यदि यह योजना सही तरीके से लागू हुई तो 10 साल में भारत प्राकृतिक खेती में विश्व का नेतृत्व कर सकता है।” -
वहीं, पर्यावरणविद मानते हैं कि इससे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालांकि, इस मिशन की राह आसान नहीं होगी।
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किसानों की सोच और आदतों में बदलाव लाना बड़ी चुनौती है।
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शुरुआती वर्षों में उत्पादन में कमी आ सकती है।
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ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए मज़बूत सप्लाई-चेन बनाना होगा।
केंद्र सरकार का कहना है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक प्रशिक्षण, किसान समूहों का गठन और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए मार्केटिंग की व्यवस्था की जाएगी।
मिशन की प्रमुख विशेषताएँ
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2025–2030 के बीच 3 करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य।
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हर राज्य में प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना।
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‘फार्म-टू-मार्केट’ मॉडल तैयार कर उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करना।
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युवाओं और स्टार्टअप्स को ऑर्गेनिक सेक्टर में प्रोत्साहन।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लॉन्च किया गया ‘प्राकृतिक कृषि मिशन’ भारतीय कृषि को एक नई दिशा देने का प्रयास है। यदि यह योजना सही रणनीति और मजबूत क्रियान्वयन के साथ आगे बढ़ी, तो न केवल किसान समृद्ध होंगे, बल्कि देश पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में भी नई मिसाल कायम करेगा।
यह पहल भारत की खेती को आत्मनिर्भर, सतत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।