




मुंबई। मंगलवार का दिन भारतीय शेयर बाज़ार के लिए बेहद उथल-पुथल भरा रहा। शुरुआती बढ़त के बाद दोपहर तक सेंसेक्स 1,200 अंकों तक टूट गया और निफ्टी 350 अंक गिर गया। निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए और मार्केट में बेचैनी का माहौल दिखा।
ब्रोकरेज हाउसेज़ का कहना है कि विदेशी निवेशकों (FIIs) की भारी बिकवाली, वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और घरेलू स्तर पर आर्थिक आंकड़ों की चिंताओं ने इस गिरावट को और गहरा किया।
किन कारणों से टूटा बाज़ार?
शेयर बाज़ार में आई इस बड़ी गिरावट के पीछे कई अहम कारण रहे:
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विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Outflow) – अगस्त में अब तक 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी।
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वैश्विक बाज़ारों में गिरावट – अमेरिका और यूरोप के शेयर बाज़ारों में मंदी का असर भारत पर पड़ा।
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तेल की बढ़ती क़ीमतें – अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के पार, जिससे भारत की आयात लागत बढ़ी।
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रुपये में कमजोरी – डॉलर के मुकाबले रुपया 84.10 तक फिसला, विदेशी निवेशक और चिंतित हुए।
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घरेलू आंकड़े – औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती और महंगाई दर में हल्की बढ़ोतरी ने निवेशकों को सतर्क किया।
सेंसेक्स और निफ्टी की स्थिति
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सेंसेक्स: 74,800 के स्तर से गिरकर 73,600 के आसपास बंद हुआ।
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निफ्टी: 22,750 के उच्च स्तर से फिसलकर 22,400 पर आ गया।
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बैंकिंग सेक्टर: HDFC Bank, SBI और ICICI में 3–4% की गिरावट।
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आईटी सेक्टर: इंफोसिस, TCS और विप्रो जैसी कंपनियों में 2% से ज्यादा गिरावट।
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मेटल और ऑटो सेक्टर: टाटा स्टील और मारुति पर दबाव, शेयर लाल निशान में बंद।
निवेशकों को भारी नुकसान
इस गिरावट में निवेशकों की 3.5 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति एक दिन में डूब गई। छोटे निवेशकों और रिटेल ट्रेडर्स के पोर्टफोलियो पर सबसे ज्यादा असर पड़ा।
मुंबई के एक छोटे निवेशक राजेश अग्रवाल ने बताया:
“मैंने निफ्टी के 23,000 तक जाने की उम्मीद की थी, लेकिन अचानक की इस गिरावट से 2 लाख रुपये का नुकसान हो गया। अब समझ नहीं आ रहा कि कब तक इंतज़ार करना चाहिए।”
विशेषज्ञों की राय
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और जिन निवेशकों का नजरिया लंबी अवधि का है, उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं है।
मार्केट एनालिस्ट अमित गोयल का कहना है:
“बाज़ार पर वैश्विक कारकों का दबाव है। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत स्थिति में है। गिरावट के दौर में अच्छे शेयरों में निवेश करने का मौका है।”
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
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घबराएं नहीं – अल्पकालिक उतार-चढ़ाव सामान्य है।
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गुणवत्ता वाले शेयरों पर ध्यान दें – बैंकिंग, आईटी और एफएमसीजी लंबे समय के लिए अच्छे विकल्प।
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म्यूचुअल फंड SIP जारी रखें – नियमित निवेश बाज़ार की अस्थिरता को संतुलित करता है।
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उच्च जोखिम से बचें – इंट्राडे या छोटे समय की डेरिवेटिव ट्रेडिंग फिलहाल टालें।
सरकार और RBI की भूमिका
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शेयर बाज़ार की स्थिति पर नजर रखने की बात कही है। वहीं, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रुपये की कमजोरी पर कड़ी निगरानी रखी हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि विदेशी पूंजी प्रवाह में सुधार होता है और कच्चे तेल की कीमतें स्थिर होती हैं तो बाजार दोबारा संभल सकता है।
हालांकि फिलहाल बाज़ार में अस्थिरता बनी हुई है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की GDP ग्रोथ, स्टार्टअप इकोसिस्टम, और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की वजह से आने वाले वर्षों में शेयर बाज़ार मजबूत रहेगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 के अंत तक सेंसेक्स 80,000 और निफ्टी 24,000 तक पहुंच सकता है।
भारतीय शेयर बाज़ार में आई ताज़ा उथल-पुथल ने निवेशकों को झकझोर दिया है। लेकिन यह गिरावट बाज़ार का स्वाभाविक हिस्सा है। समझदारी यही है कि अल्पकालिक झटकों से डरकर निवेशक अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों से पीछे न हटें।
‘धैर्य और अनुशासन’ ही इस समय निवेशकों का सबसे बड़ा हथियार है।