




तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह स्पष्ट किया कि अभियोजन स्वीकृति (Prosecution Sanction) जैसे मामलों में राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कार्य करना होगा और वे अपने विवेक से निर्णय नहीं ले सकते।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दलील दी कि अभियोजन स्वीकृति का अधिकार निर्वाचित सरकार के पास है और राज्यपाल का दायित्व केवल मंत्रिमंडल की सिफारिश के अनुसार निर्णय लेना है।
यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के दिनों में अभियोजन स्वीकृति से जुड़े विवादों और देरी ने संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। तेलंगाना ने तर्क दिया कि संविधान का अनुच्छेद 163 राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य करता है।
सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि क्या राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह के विपरीत निर्णय लेने का अधिकार रखते हैं या नहीं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में कोर्ट का फैसला संविधान की व्याख्या और केंद्र-राज्य संबंधों पर गहरा असर डालेगा।
अगली सुनवाई इस महीने के अंत में निर्धारित की गई है।