




भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने सोमवार देर रात एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 20 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। लंबे समय से अटके तबादलों को लेकर सरकार पर विपक्ष लगातार दबाव बना रहा था। ऐसे में अचानक से हुई इस कार्रवाई को राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टियों से अहम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की संयुक्त सहमति से जारी आदेशों के तहत कई जिलों के कलेक्टर बदले गए हैं, तो वहीं कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को विभागीय जिम्मेदारियों में फेरबदल के साथ नई भूमिका सौंपी गई है।
जारी आदेश के मुताबिक, जिन 20 आईएएस अधिकारियों का तबादला हुआ है, उनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
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अनुराग वर्मा – भोपाल कलेक्टर से हटाकर ग्वालियर कलेक्टर बनाया गया।
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दीपिका शर्मा – इंदौर की नगर निगम कमिश्नर से भोपाल स्मार्ट सिटी सीईओ नियुक्त।
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संदीप चौधरी – जबलपुर कलेक्टर से हटाकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में सचिव।
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रवि मिश्रा – ग्वालियर कलेक्टर से हटाकर स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख सचिव।
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सुनीता पांडे – रीवा कलेक्टर से सतना कलेक्टर।
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अरुणेश दुबे – सीधी कलेक्टर से भोपाल नगर निगम आयुक्त।
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अंकिता तिवारी – वित्त विभाग से जबलपुर कलेक्टर।
इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों को विभागीय स्तर पर नई जिम्मेदारियां दी गई हैं।
यह फेरबदल ठीक उस समय हुआ है जब प्रदेश में अगले साल नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं। जानकारों का मानना है कि सरकार ने रणनीतिक दृष्टिकोण से ऐसे अधिकारियों को अहम जिलों में भेजा है जो प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ राजनीतिक संतुलन बनाने में भी माहिर माने जाते हैं।
इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े जिलों में कलेक्टर और कमिश्नर बदलने के पीछे यही संदेश है कि सरकार आने वाले महीनों में प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करना चाहती है।
कांग्रेस ने इस तबादले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह फेरबदल पूरी तरह से राजनीतिक है और इसका मकसद अधिकारियों को सत्ता के हिसाब से लगाने का है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सरकार ने उन अधिकारियों को हटा दिया जो निष्पक्ष तरीके से काम कर रहे थे।
वहीं, भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इसका उद्देश्य जनता को बेहतर सेवाएं देना है।
राज्य में इस तरह के बड़े पैमाने पर तबादले से प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। कई जिलों में कलेक्टर बदलने से स्थानीय स्तर पर नीतियों और योजनाओं के क्रियान्वयन में बदलाव देखने को मिलेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल जैसे महत्वपूर्ण शहरों में नए कलेक्टर आने से विकास परियोजनाओं की गति तेज हो सकती है। वहीं, स्वास्थ्य और पंचायत विभाग जैसे अहम क्षेत्रों में भी नई रणनीति देखने को मिल सकती है।
ग्राम पंचायतों से लेकर शहरी निकायों तक जनता की उम्मीदें नए अधिकारियों से जुड़ गई हैं। किसान, व्यापारी और छात्र वर्ग को उम्मीद है कि नई प्रशासनिक टीम उनकी समस्याओं के समाधान में तत्परता दिखाएगी। खासकर स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और बुनियादी ढांचे से जुड़े कामों में तेजी की मांग की जा रही है।
मध्यप्रदेश में हुआ यह बड़ा प्रशासनिक फेरबदल केवल अधिकारियों के पद परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आने वाले चुनावों और प्रदेश की राजनीति का संकेत भी देता है। सरकार का दावा है कि इससे प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ेगी और जनता को बेहतर सेवाएं मिलेंगी, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक चाल करार दे रहा है।