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    भारत की ताकत बढ़ाने को तैयार 10 तेजस विमान, 24 और अलग-अलग चरणों में निर्माणाधीन

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    भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय वायुसेना के लिए 10 तेजस लड़ाकू विमान पूरी तरह तैयार कर लिए हैं और इन्हें जल्द ही डिलीवरी के लिए सौंपा जाएगा। इसके अलावा, 24 और तेजस विमान विभिन्न चरणों में निर्माणाधीन हैं, जिनकी डिलीवरी आगामी महीनों में की जाएगी।

     तेजस: भारत का स्वदेशी गौरव

    तेजस, भारत में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित हल्का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (LCA) है। इसे HAL और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने मिलकर तैयार किया है। यह विमान चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की श्रेणी में आता है और अत्याधुनिक एवियोनिक्स, डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम, मल्टीरोल क्षमता और आधुनिक हथियारों से लैस है।

    तेजस का उद्देश्य भारतीय वायुसेना के पुराने पड़ चुके मिग-21 जैसे विमानों को चरणबद्ध तरीके से बदलना है।

     उत्पादन और डिलीवरी अपडेट

    HAL के अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल 10 तेजस विमान पूरी तरह तैयार हो चुके हैं और भारतीय वायुसेना की स्वीकृति मिलने के बाद इन्हें सौंपा जाएगा। साथ ही, 24 और विमान अलग-अलग उत्पादन चरणों में हैं
    इनमें कुछ का असेंबली कार्य पूरा हो चुका है, जबकि कुछ पर एवियोनिक्स और हथियार प्रणाली लगाई जा रही है।

    इस गति से उत्पादन होने पर आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना को तेजस की पूरी स्क्वाड्रन उपलब्ध हो जाएगी, जिससे उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

     रणनीतिक महत्व

    तेजस का तैयार होना और समय पर डिलीवरी भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। मौजूदा समय में पड़ोसी देशों द्वारा वायुसेना को लगातार आधुनिक बनाने की होड़ है। ऐसे में भारत को भी अपनी वायु शक्ति को नए स्तर पर ले जाना जरूरी है।

    तेजस विमान न केवल हल्का और तेज है, बल्कि इसकी मेंटेनेंस कॉस्ट भी विदेशी विमानों की तुलना में कम है। यही कारण है कि भारतीय वायुसेना इसे एक भरोसेमंद और किफायती विकल्प मानती है।

     निर्यात की संभावनाएं

    तेजस की लोकप्रियता केवल भारत तक सीमित नहीं है। कई देशों ने इस विमान में रुचि दिखाई है। अर्जेंटीना, मलेशिया और फिलीपींस जैसे देशों ने तेजस को अपनी वायुसेना में शामिल करने की संभावनाओं पर भारत के साथ बातचीत की है।
    अगर यह निर्यात होता है, तो भारत रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बना सकता है।

     वायुसेना का दृष्टिकोण

    भारतीय वायुसेना के अधिकारियों का मानना है कि तेजस के आने से उनकी ताकत में गुणात्मक सुधार होगा।
    एक अधिकारी ने कहा – “तेजस हमारे लिए सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। यह हमारी वायु शक्ति को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाएगा।”

    10 तेजस विमानों की तैयारी और 24 और विमानों का निर्माण भारत की रक्षा शक्ति को नई मजबूती देगा। यह न केवल भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित होगा। आने वाले दिनों में तेजस भारत की वायुसेना की रीढ़ बनकर न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दिलाएगा।

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