




बिहार की राजनीति में गर्माहट बढ़ाते हुए पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने आदेश दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां से जुड़ा एआई (AI) जनरेटेड वीडियो तुरंत सोशल मीडिया और अन्य सभी प्लेटफॉर्म से हटाया जाए। यह फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वीडियो को लेकर भाजपा लगातार कांग्रेस पर हमलावर रही है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी दिवंगत मां को दर्शाते हुए एआई तकनीक से तैयार विज़ुअल्स इस्तेमाल किए गए थे। भाजपा ने इस वीडियो को फर्जी, भ्रामक और राजनीतिक प्रचार का गलत तरीका बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
भाजपा नेताओं का कहना था कि चुनावी माहौल में इस तरह का वीडियो जनता को गुमराह करने और भावनात्मक रूप से प्रभावित करने का प्रयास है।
मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे वीडियो न केवल भ्रामक होते हैं बल्कि व्यक्तिगत गरिमा और निजता के अधिकार का उल्लंघन भी करते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि तकनीक का दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।
हाईकोर्ट ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, समाचार चैनलों और वेबसाइटों को निर्देश दिया है कि यह वीडियो तुरंत हटाया जाए और भविष्य में ऐसे किसी भी एआई जनरेटेड भ्रामक कंटेंट पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
इस आदेश से कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है। भाजपा लगातार कांग्रेस पर आरोप लगा रही थी कि उसकी आईटी सेल इस वीडियो के पीछे है। हालाँकि, कांग्रेस ने इन आरोपों से इंकार किया और कहा कि पार्टी का इस वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है।
फिर भी अदालत के इस आदेश के बाद राजनीतिक माहौल में यह चर्चा तेज हो गई है कि कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
भाजपा नेताओं ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा –
“यह लोकतंत्र की जीत है। झूठ और भ्रामक प्रचार के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। कांग्रेस को जनता से माफी मांगनी चाहिए।”
कांग्रेस ने सफाई देते हुए कहा कि यह भाजपा की साजिश है ताकि असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया जा सके। पार्टी नेताओं का कहना है कि चुनावी माहौल में बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय भाजपा एआई वीडियो का मुद्दा उछाल रही है।
इस मामले ने सोशल मीडिया पर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर लोग अदालत के फैसले का समर्थन कर रहे हैं तो दूसरी ओर कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि एआई टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण और रेगुलेशन कब तक बनेगा।
कई यूजर्स ने लिखा कि यदि अभी से इस पर रोक नहीं लगी तो भविष्य में चुनाव और लोकतंत्र की पारदर्शिता पर बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है।
बिहार चुनाव 2025 को ध्यान में रखते हुए इस मामले का राजनीतिक असर गहरा हो सकता है। भाजपा इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस पर दबाव बढ़ेगा कि वह अपने डिजिटल कैंपेन में पारदर्शिता बनाए रखे।
पटना हाईकोर्ट का यह आदेश न केवल कांग्रेस के लिए झटका है बल्कि सभी राजनीतिक दलों को एक सख्त संदेश भी है कि तकनीक का दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य है। आने वाले समय में यह मामला एआई और चुनावी राजनीति पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है।