




कोलकाता, 19 सितंबर 2025: इस वर्ष की दुर्गा पूजा में, कोलकाता के आलिपोर स्थित एक पंडाल ने चाय प्रेमियों के लिए एक अनोखा अनुभव प्रस्तुत किया है। इस पंडाल में डार्जिलिंग चाय के विशेष स्टॉल लगाए गए हैं, जहाँ आगंतुक ताजगी से भरी चाय का आनंद ले सकते हैं।
चाय का सांस्कृतिक महत्व
चाय, विशेषकर डार्जिलिंग चाय, भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रही है। यह न केवल एक पेय है, बल्कि यह सामाजिक मेलजोल और आतिथ्य का प्रतीक भी है। पंडाल में चाय के स्टॉल की स्थापना इस सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करने का एक प्रयास है।
पंडाल की थीम और सजावट
पंडाल की सजावट चाय बागानों और चाय के इतिहास को दर्शाती है। दीवारों पर चाय की पत्तियों की चित्रकारी, चाय की चुस्की लेते हुए देवी दुर्गा की मूर्ति, और चाय बागान के दृश्य पंडाल की थीम को जीवंत बनाते हैं। यह सजावट आगंतुकों को चाय की दुनिया में ले जाती है।
आगंतुकों की प्रतिक्रिया
आगंतुकों ने पंडाल में चाय के स्टॉल की सराहना की है। एक आगंतुक ने कहा, “यह एक अद्भुत अनुभव है। चाय का स्वाद और पंडाल की सजावट दोनों ही मनमोहक हैं।” अन्य आगंतुकों ने भी इस पहल को सराहा और इसे दुर्गा पूजा के पारंपरिक उत्सव में एक नया आयाम बताया।
पंडाल आयोजकों की पहल
पंडाल के आयोजकों का कहना है कि उनका उद्देश्य चाय की संस्कृति को बढ़ावा देना और दुर्गा पूजा के पारंपरिक उत्सव में एक नया तत्व जोड़ना था। उन्होंने कहा, “हम चाहते थे कि आगंतुक केवल देवी दुर्गा के दर्शन ही न करें, बल्कि भारतीय संस्कृति के अन्य पहलुओं का भी अनुभव करें।”
आलिपोर का यह दुर्गा पूजा पंडाल चाय प्रेमियों के लिए एक विशेष स्थान बन गया है। यहाँ की अनूठी सजावट, चाय के स्टॉल, और सांस्कृतिक थीम ने इसे अन्य पंडालों से अलग और आकर्षक बना दिया है। यह पहल दर्शाती है कि पारंपरिक उत्सवों में नवाचार और सांस्कृतिक विविधता को कैसे समाहित किया जा सकता है।