




भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने हाल ही में अंतरिक्ष में हुए नजदीकी टकराव (Near Miss) के बाद अपनी सैटेलाइट सुरक्षा और अंतरिक्ष निगरानी रणनीति को मजबूत करने की योजना बनाई है। यह कदम भारत के अंतरिक्ष सुरक्षा ढांचे और सैटेलाइट संचालन की सुरक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।
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हाल ही में, ISRO के एक सक्रिय सैटेलाइट और अन्य अंतरिक्ष अवशेषों के बीच संभावित टकराव का मामला सामने आया।
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यह घटना संकेत देती है कि कक्षा में सैटेलाइट और अंतरिक्ष मलबे के बीच टकराव का खतरा बढ़ता जा रहा है।
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ISRO ने तत्काल कक्षा निगरानी और ट्रैकिंग टीमों को सक्रिय किया और टकराव से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
एक वरिष्ठ ISRO अधिकारी ने कहा—
“हमें समय रहते खतरा पहचानना और अपने सैटेलाइट की दिशा बदलना पड़ा। यह घटना हमारी अंतरिक्ष सुरक्षा प्रणाली के लिए सबक है।”
ISRO ने इस घटना के बाद सैटेलाइट सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं:
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सैटेलाइट ट्रैकिंग और निगरानी – सभी सक्रिय सैटेलाइट्स की स्थिति पर अधिक बार निगरानी।
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कक्षा में मार्ग बदलने की तैयारी – संभावित टकराव से बचने के लिए सैटेलाइट की दिशा बदलने की योजना।
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भविष्य के सैटेलाइट मिशन में सुरक्षा उपाय – नई लॉन्च की जाने वाली सैटेलाइट्स के लिए “Bodyguard Satellites” जैसे सुरक्षा उपाय।
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अंतरिक्ष अवशेष डेटाबेस का अपडेट – टकराव रोकने के लिए सभी अंतरिक्ष मलबे और पुराने सैटेलाइट्स का विवरण रखा जाएगा।
ISRO के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष में सुरक्षा रणनीति अब हर मिशन का अहम हिस्सा बन गई है।
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ISRO योजना बना रहा है कि कुछ सैटेलाइट्स को “Bodyguard Satellites” के रूप में लॉन्च किया जाए।
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इन सैटेलाइट्स का काम मुख्य सैटेलाइट के आसपास संभावित खतरों की निगरानी और टकराव रोकना होगा।
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यह पहल अंतरिक्ष में भारत के सैटेलाइट ऑपरेशंस को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए की जा रही है।
एक अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ ने कहा—
“Bodyguard Satellites अंतरिक्ष सुरक्षा का भविष्य हैं। ISRO इस दिशा में अग्रणी कदम उठा रहा है।”
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हाल के वर्षों में, अंतरिक्ष में टकराव और मलबे का खतरा तेजी से बढ़ा है।
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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों जैसे NASA और ESA ने भी सैटेलाइट सुरक्षा और अवशेष ट्रैकिंग प्रणाली को अपडेट किया है।
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ISRO इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों और सहयोग को ध्यान में रखते हुए अपने सुरक्षा उपायों को लागू कर रहा है।
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ISRO के सैटेलाइट्स अब उन्नत सेंसर और ट्रैकिंग सिस्टम के साथ लैस किए जा रहे हैं।
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संभावित टकराव के समय ऑटोमेटिक अलर्ट और कक्षा समायोजन की सुविधा है।
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Bodyguard Satellites की मदद से मुख्य सैटेलाइट की दिशा और स्थिति को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तकनीकी कदम भारत को अंतरिक्ष में सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत बनाएगा।
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ISRO अब भविष्य के सभी मिशनों में सैटेलाइट सुरक्षा और अंतरिक्ष निगरानी को प्राथमिकता देगा।
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नई तकनीक और सुरक्षा उपायों से भारत के सैटेलाइट्स टकराव और क्षति से सुरक्षित रहेंगे।
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इस पहल से भारत का अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर और सुरक्षित नेटवर्क मजबूत होगा।
एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा—
“हम न केवल अपनी सैटेलाइट्स को सुरक्षित रखेंगे, बल्कि अंतरिक्ष मलबे और संभावित खतरों की निगरानी में भी अग्रणी रहेंगे।”
ISRO की यह पहल अंतरिक्ष सुरक्षा, सैटेलाइट ऑपरेशंस और भविष्य की अंतरिक्ष तकनीक के लिए महत्वपूर्ण है।
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नजदीकी टकराव की घटना ने स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष में खतरे बढ़ रहे हैं।
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ISRO की नई योजना, जिसमें Bodyguard Satellites शामिल हैं, इसे रोकने में अहम भूमिका निभाएगी।
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अंतरिक्ष निगरानी, सुरक्षा और तकनीकी उपाय भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित और आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति बनाएंगे।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कदम से भारत अंतरिक्ष मिशनों में जोखिम कम करेगा और भविष्य के अंतरिक्ष संचालन में विश्वसनीयता बढ़ाएगा।