




देवरगट्टू नामक गाँव, होलागुंडा मंडल में गुरुवार (2 अक्टूबर 2025) की देर रात आयोजित बन्नी (Banni) उत्सव बेहद हिंसक मोड़ ले गया, जिससे दो लोगों की मृत्यु हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए। यह घटना तब हुई जब उत्सवी जुलूस ग्रामीण इलाकों से गुज़र रहा था और दो प्रतिद्वंद्वी समूहों ने कथित तौर पर मोटे बांस की लाठी और मूसल लेकर एक-दूसरे पर हमला शुरू कर दिया। भीड़ की संख्या इतनी अधिक थी कि नियंत्रण खो गया।
समुदाय की मान्यताओं के अनुसार, यह वार्षिक उत्सव माला मल्लेश्वरस्वामी की मूर्ति की शोभायात्रा के दौरान पारंपरिक “डंडा संघर्ष” या कर्रला समरम् / कऱ्रेल्ला संग्राम (stick fight) की परंपरा से जुड़ा है। प्रतिद्वंद्वियों का मानना है कि अगर उनकी टोली मूर्ति के बाहर निकलने में पहले जगह बना ले, तो उनकी गांव में खुशहाली बनी रहेगी। हालांकि इस साल, यह परंपरा भयावह संघर्ष में बदल गई।
जब जुलूस गाँव की वादियों से होकर गुजरता रहा, तो दो समूहों ने आपस में टकराव शुरू कर दिया।
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आरोप है कि दोनों पक्ष मोटे बांस की लाठी और मूसल साथ लाए थे।
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स्थानीय निवासियों ने बताया कि झड़प अचानक तेज हुई और दोनों ओर से हमला हुआ।
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भीड़ इतनी अधिक और उग्र थी कि पुलिस और सुरक्षा बल तुरंत बीच नहीं पहुंच पाए।
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कई घायल लोग अंधेरे और भागदौड़ में ज़मीं पर गिर गए और उन पर लाठियों का प्रहार हुआ।
घटना स्थल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस हिंसा की चपेट में ऐसे भी लोग आए जिन्हें जुलूस देखने आए थे — उन्हें असमय चोट लगी।
जख्मी लोगों को तुरंत पास के आलुर सरकारी अस्पताल और आदोनी अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद जिनकी हालत गंभीर पाई गई, उन्हें उच्च चिकित्सा सुविधा वाले अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया।
स्थानीय डॉक्टरों ने बताया कि घायलों में सर का घाव, कट, फोड़-फाड़ और आंतरिक चोट शामिल हैं। कई लोग रक्तस्राव की समस्या लेकर आए, जिन्हें समय रहते इलाज मिला।
स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविर बनाए और एम्बुलेंस एवं मेडिकल टीमों को तैनात किया।
पुलिस ने घटना की खबर मिलते ही बड़ी तादाद में बल भेजे। SP कुर्नूल ने कहा कि घटना की गंभीरता पर तुरंत संज्ञान लिया गया। मूल रूप से स्थानीय और जिला पुलिस, आरएएफ और स्पेशल टास्क फोर्स सक्रिय कर दिए गए।
उन्होंने बताया:
“हम मामले की जाँच कर रहे हैं। हिंसा करने वालों और हथियार लाने वालों की पहचान की जाएगी। दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।”
पुलिस ने आश्वासन दिया कि आगे के जुलूसों में सुरक्षा कड़ी की जाएगी। भीड़ नियंत्रण के लिए प्रभारी अधिकारियों, मोबाइल बंधन बल और निषेधाज्ञा (Section 144) लगाने की संभावनाओं की समीक्षा की जा रही है।
देवरगट्टू बानी उत्सव, जिसे दस्सहरा / विजयदशमी की रात आयोजित किया जाता है, सदियों पुरानी परंपरा है। वादियाँ हैं कि दोनों पक्ष भगवान मल्लेश्वरस्वामी की मूर्ति को अपने गांव ले जाने की प्रतिष्ठा चाहते हैं। इस परंपरा में हथियार संघर्ष प्रेरक रूप से शामिल है।
पिछले वर्षों में भी ऐसे संघर्ष हुए हैं — 2024 में लगभग 70 घायल, 2023 में तीन मृत और सैकड़ों घायल रिपोर्ट हुए थे।
पुलिस और मानवाधिकार समूहों ने समय-समय पर इस परंपरा में नियंत्रण, प्रतिबंध और जागरूकता अभियान चलाए हैं। लेकिन उत्सव की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाते।
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स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश व्याप्त है।
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इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि परंपरा का कोई संतुलन होना चाहिए, जहां लोगों की जान खतरे में न हो।
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राजनीतिक और धार्मिक संस्थाएँ इस घटना को लेकर बयान दे रही हैं।
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कुछ नेताओं ने कहा है कि यदि यह परंपरा हिंसा में बदलती जाए, तो इसे कानूनी रूप से बंद करना चाहिए।
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सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उत्सव और जीवन की सुरक्षा में संतुलन ज़रूरी है।
देवरगट्टू बन्नी उत्सव में हुई यह हिंसा हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी परंपराएँ मर्यादा पार कर जाती हैं। 2 लोगों की जान जाना और सैकड़ों घायल होना उस संतुलन की कमी का प्रतीक है, जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में मानव जीवन की सुरक्षा प्राथमिक होनी चाहिए।