




हमीरपुर जिले में एक अनोखी और विवादास्पद घटना ने राजनीति के साथ-साथ आम जनता के बीच भी हलचल पैदा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक डॉ. मनोज प्रजापति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे सड़क पर समर्थकों के साथ खुलेआम जश्न मनाते दिखाई दे रहे हैं। यह जश्न किसी बड़े राजनीतिक मौके का नहीं बल्कि एक समर्थक के जन्मदिन का था, जिसे विधायक ने सड़क के बीचों-बीच कार के बोनट पर केक काटकर मनाया।
इस घटना के दौरान सड़क पर काफी भीड़ जुट गई और ट्रैफिक लंबे समय तक रुका रहा। विधायक और उनके समर्थक फिल्मी गानों पर झूमते नजर आए। जहां एक ओर विधायक के करीबी इसे आम जनता से जुड़ाव और खुशी बांटने का प्रतीक बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले ने विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि विधायक ने न केवल समर्थक के साथ कार के बोनट पर केक काटा, बल्कि उसके बाद गाड़ियों की कतारें लग गईं और आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने इस दौरान ट्रैफिक में फंसे रहने की शिकायत भी की। विपक्ष ने इसे सत्ता के नशे में चूर मानसिकता बताया और कहा कि जनता की समस्याओं से अनजान होकर नेता अब सड़क पर अपने समर्थकों का जन्मदिन मनाने में मशगूल हैं।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि “यह जनता के सेवक हैं या सत्ता के राजा?” विपक्षी दलों ने प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि आम आदमी अगर सड़क पर इस तरह से ट्रैफिक बाधित करे तो तुरंत कार्रवाई होती, लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं पर प्रशासन चुप्पी साधे रहता है।
जनता की प्रतिक्रिया भी इस मामले पर काफी तीखी रही। सोशल मीडिया पर लोग विधायक के इस कृत्य की आलोचना कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “सड़क पर जाम लगाना और जनता को परेशान करना अगर जश्न है, तो फिर ऐसे नेताओं को जनता याद जरूर रखेगी।” वहीं, कुछ लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि “नेता जनता की समस्याओं का समाधान करें, लेकिन यहां जनता को और परेशान करने का नया तरीका निकाला गया है।”
इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां ट्रैफिक बाधित हुआ और जनता को दिक्कत का सामना करना पड़ा, वहीं प्रशासन ने इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क पर इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल आम नागरिकों को परेशानी होती है बल्कि यह कानून व्यवस्था और सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं है।
विश्लेषकों का मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुने हुए प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी जनता की सेवा और उनकी समस्याओं का समाधान करना होता है। लेकिन जब वही जनप्रतिनिधि सार्वजनिक स्थानों पर नियमों को ताक पर रखकर जश्न मनाते हैं, तो यह लोकतंत्र और जनसेवा की भावना पर सवाल खड़ा करता है।
इस विवाद ने बीजेपी के भीतर भी असहजता पैदा कर दी है। पार्टी की छवि को लेकर नेताओं पर लगातार सवाल उठते रहे हैं और इस घटना ने विपक्ष को और मजबूत हथियार दे दिया है। अगर पार्टी स्तर पर इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आने वाले चुनावों में जनता के बीच नकारात्मक असर डाल सकता है।
कुल मिलाकर हमीरपुर की यह घटना सत्ता और जिम्मेदारी के बीच के अंतर को उजागर करती है। जनता के बीच से निकले प्रतिनिधियों को यह समझना होगा कि उनका हर कदम जनता की नजरों में होता है और किसी भी लापरवाही या दिखावे का असर उनकी राजनीतिक छवि पर गहरा पड़ सकता है। बीजेपी विधायक डॉ. मनोज प्रजापति का सड़क पर जन्मदिन मनाने का यह अंदाज शायद समर्थकों को खुशी दे गया हो, लेकिन जनता और विपक्ष की नजर में यह कदम उनकी जिम्मेदारी पर सवालिया निशान छोड़ गया है।