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    वृंदावन में प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा फिर रुकी, रात भर इंतजार में डटे रहे भक्त

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    वृंदावन की धरती हमेशा से भक्ति और आस्था का केंद्र रही है। यहां हर गली, हर मोड़ श्रीकृष्ण की महिमा और राधा-कृष्ण प्रेम की गूंज से भरा हुआ है। इसी भक्ति परंपरा में प्रेमानंद महाराज का नाम भी अत्यंत श्रद्धा और विश्वास के साथ लिया जाता है। महाराज अपने अनुशासन और भक्तिमय जीवन के लिए जाने जाते हैं। उनके दर्शन मात्र के लिए हजारों भक्त रातभर इंतजार करते रहते हैं।

    हाल ही में वृंदावन में प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा एक बार फिर बीच में ही रुक गई। इससे भक्तों में निराशा फैल गई। रोजाना की तरह महाराज रात्रि के लगभग 2 बजे अपने श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी स्थित आवास से श्री हित राधा केली कुंज आश्रम की ओर पदयात्रा पर निकले थे। यह पदयात्रा उनके जीवन का नियमित हिस्सा है और भक्तगण भी इसी समय सड़क के दोनों ओर खड़े होकर उनके दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।

    इस बार भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु रातभर महाराज के इंतजार में खड़े रहे। लेकिन अप्रत्याशित रूप से पदयात्रा आगे नहीं बढ़ सकी और बीच में ही रुक गई। भक्तों को उम्मीद थी कि महाराज के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा, परंतु इंतजार के बाद भी वे उनके करीब नहीं पहुंच सके।

    प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा वृंदावन की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का हिस्सा बन चुकी है। लोग मानते हैं कि महाराज के दर्शन से जीवन की हर कठिनाई दूर होती है और भक्त को आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। यही कारण है कि लोग आधी रात को भी अपने छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ सड़कों पर खड़े रहते हैं। भक्तों का कहना है कि महाराज के एक दर्शन मात्र से उनके जीवन में आनंद और आस्था का संचार हो जाता है।

    हालांकि इस बार जब यात्रा बीच में ही रुक गई, तो भक्तों में थोड़ी बेचैनी और मायूसी देखी गई। कई भक्तों ने कहा कि वे घंटों से इंतजार कर रहे थे, लेकिन दर्शन का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका। इसके बावजूद भक्तों के चेहरे पर गहरी आस्था झलक रही थी। उनका कहना था कि अगर आज नहीं तो कल, महाराज के दर्शन जरूर होंगे।

    प्रेमानंद महाराज के अनुयायी बताते हैं कि उनका जीवन पूरी तरह से श्रीकृष्ण भक्ति को समर्पित है। वे रोजाना पदयात्रा के माध्यम से राधा-कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और समर्पण का संदेश देते हैं। महाराज की वाणी, उनकी सरलता और उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं भक्तों को भक्ति मार्ग पर अग्रसर करती हैं।

    वृंदावन में यह दृश्य किसी उत्सव से कम नहीं होता। सड़क किनारे खड़े भक्तों के हाथों में भक्ति गीत, कीर्तन और हरिनाम की गूंज वातावरण को और भी पवित्र बना देती है। पदयात्रा को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से भी लोग आते हैं। इस तरह प्रेमानंद महाराज केवल वृंदावन के ही नहीं, बल्कि पूरे ब्रज क्षेत्र की आस्था का केंद्र बन गए हैं।

    भक्तों का यह भी मानना है कि महाराज की पदयात्रा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि समाज को संयम, अनुशासन और भक्ति का पाठ पढ़ाने का एक तरीका है। उनका पैदल चलना इस बात का प्रतीक है कि जीवन में सरलता और त्याग ही सच्चे सुख की कुंजी है।

    फिलहाल, महाराज की पदयात्रा क्यों रुकी, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन भक्तों का विश्वास अटूट है और वे मानते हैं कि महाराज की भक्ति यात्रा जल्द ही फिर से शुरू होगी।

    कुल मिलाकर वृंदावन में प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा का रुकना भक्तों के लिए निराशाजनक जरूर रहा, लेकिन आस्था और श्रद्धा की डोर इतनी गहरी है कि लोग आज भी उनके इंतजार में डटे हैं। प्रेमानंद महाराज का व्यक्तित्व और उनकी भक्ति की राह लोगों के दिलों में बस चुकी है, और यही कारण है कि चाहे पदयात्रा रुके या चले, उनका प्रभाव भक्तों की आत्मा तक गहराई से महसूस किया जाता है।

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