




केरल के वायनाड जिले में वर्ष 2024 में आए भीषण भूस्खलन ने न केवल स्थानीय आबादी को गहरे संकट में डाल दिया, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस त्रासदी में सैकड़ों लोगों ने अपने घर-परिवार, जमीन-जायदाद और प्रियजनों को खो दिया। अब, इस आपदा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और राहत के लिए कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने केंद्र सरकार से 2,221 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की मांग की है और स्पष्ट संदेश दिया है कि इस मुद्दे को राजनीति की दृष्टि से नहीं, बल्कि मानवता के आधार पर देखा जाना चाहिए।
प्रियंका गांधी वाड्रा, जो वायनाड से सांसद हैं, ने संसद में और मीडिया के जरिए इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि वायनाड के लोग अभी भी इस भूस्खलन के घावों को सहला रहे हैं। कई परिवार बेघर हो गए हैं, बच्चे शिक्षा से वंचित हैं और बुजुर्ग बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में पीड़ित हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह न केवल तत्काल राहत उपलब्ध कराए बल्कि पुनर्वास और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में भी मदद करे।
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में कहा कि “यह राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि मानवता का सवाल है। जब लोग अपने घरों और प्रियजनों को खोकर बेसहारा हो जाते हैं, तब हमारी प्राथमिकता केवल उनकी मदद होनी चाहिए। मानवता की जीत होनी चाहिए, न कि राजनीति की।” उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला है। कई लोग इसे एक मानवीय दृष्टिकोण से देख रहे हैं और कह रहे हैं कि आपदा के समय राजनीति से ऊपर उठकर इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।
वायनाड में आए इस भूस्खलन के दौरान कई गांव पूरी तरह से प्रभावित हुए थे। खेत-खलिहान बह गए, घर ढह गए और हजारों लोगों को अस्थायी राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी। राज्य सरकार ने राहत कार्यों में पूरी ताकत झोंकी, लेकिन आपदा के पैमाने को देखते हुए राज्य की सीमित संसाधनों से सब कुछ सम्भव नहीं हो सका। यही कारण है कि प्रियंका गांधी ने केंद्र से बड़े पैमाने पर मदद की मांग रखी है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वायनाड जैसे पहाड़ी और संवेदनशील क्षेत्र को स्थायी समाधान की आवश्यकता है। वहां भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। प्रियंका गांधी ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा कि केवल मुआवजे से बात नहीं बनेगी, बल्कि स्थायी पुनर्निर्माण और आपदा प्रबंधन की व्यापक रणनीति बनानी होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि वायनाड की भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन का असर वहां की समस्याओं को और गंभीर बना रहा है। लगातार हो रही बारिश और पहाड़ी ढलानों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य आपदा को और बढ़ावा देते हैं। इसीलिए अब यह जरूरी हो गया है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर दीर्घकालिक योजना तैयार करें।
प्रियंका गांधी की इस मांग ने राजनीतिक हलचल भी तेज कर दी है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर कदम उठाए। वहीं सत्तारूढ़ दल ने कहा है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और प्रभावित लोगों की मदद के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।
वायनाड की जनता प्रियंका गांधी से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है, क्योंकि वह वहां से सांसद हैं। इस वजह से लोगों को उम्मीद है कि उनकी आवाज केंद्र तक प्रभावी ढंग से पहुंचेगी और आवश्यक सहायता समय पर मिल पाएगी।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाना ही सही रास्ता है। प्रियंका गांधी द्वारा 2,221 करोड़ रुपये की मांग इस दिशा में एक अहम कदम है, जो न केवल प्रभावितों की आर्थिक सहायता करेगा, बल्कि उनके जीवन को फिर से पटरी पर लाने में भी मददगार साबित हो सकता है।