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    एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर में फिर सक्रिय हुआ आपात उपकरण, बोइंग विमानों की सुरक्षा पर उठे सवाल

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    एयर इंडिया के बोइंग ड्रीमलाइनर विमानों से जुड़ा एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बर्मिंघम एयरपोर्ट पर एयर इंडिया के एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान में उड़ान के दौरान अचानक रैम एयर टर्बाइन (RAT) अपने आप सक्रिय हो गई। यह वही आपातकालीन उपकरण है जो किसी विमान के इंजन फेल होने या बिजली प्रणाली के ठप पड़ने की स्थिति में सक्रिय होता है। हाल ही में ऐसी ही घटना अहमदाबाद में एयर इंडिया के एक विमान के साथ हुई थी, जिसके बाद से अब बोइंग की तकनीकी सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

    बर्मिंघम घटना के दौरान विमान में करीब 200 यात्री सवार थे। जब रैम एयर टर्बाइन अचानक सक्रिय हुई, तो कुछ यात्रियों और चालक दल को झटका लगा। RAT के सक्रिय होते ही विमान की ऊर्जा प्रणाली ऑटोमैटिक रूप से आपात मोड में चली जाती है। पायलटों ने तत्काल नियंत्रण संभालते हुए विमान को सुरक्षित लैंड कराया। राहत की बात यह रही कि कोई यात्री घायल नहीं हुआ और किसी प्रकार का बड़ा नुकसान नहीं हुआ। एयर इंडिया के अधिकारियों ने बाद में पुष्टि की कि यह “टेक्निकल ऑटो-एक्टिवेशन” था और इसकी जांच की जा रही है।

    रैम एयर टर्बाइन, जिसे सामान्यत: RAT कहा जाता है, विमान की एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली होती है। यह एक छोटे प्रोपेलर की तरह होता है जो हवा के दबाव से घूमकर आपात स्थिति में बिजली पैदा करता है। यह प्रणाली आम तौर पर तभी सक्रिय होती है जब विमान की सभी मुख्य विद्युत प्रणालियाँ विफल हो जाती हैं। लेकिन बर्मिंघम और अहमदाबाद दोनों मामलों में RAT का बिना किसी गंभीर कारण के अपने आप सक्रिय हो जाना चिंताजनक है।

    अहमदाबाद में कुछ सप्ताह पहले हुई घटना में एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान रनवे पर खड़ा था, तभी RAT अचानक सक्रिय हो गई थी। जांच में पाया गया कि विमान के विद्युत सर्किट में अस्थिरता थी, जिसके कारण सिस्टम ने इसे खतरे की स्थिति मान लिया। अब जब बर्मिंघम में भी यही स्थिति उत्पन्न हुई, तो विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल “संयोग” नहीं बल्कि किसी गहरी तकनीकी खामी की ओर इशारा कर रहा है।

    बोइंग के ड्रीमलाइनर विमानों को दुनिया भर में उनकी आधुनिक तकनीक, ईंधन दक्षता और सुरक्षा के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल के महीनों में इन विमानों से जुड़े तकनीकी मुद्दे बार-बार सामने आ रहे हैं — कभी केबिन प्रेशर की गड़बड़ी, कभी सेंसर फॉल्ट और अब RAT सिस्टम का अनियंत्रित सक्रिय होना।

    एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि RAT का अपने आप सक्रिय हो जाना एक “रेड फ्लैग” है। इससे संकेत मिलता है कि विमान के ऑटोमैटिक सेफ्टी सिस्टम में किसी प्रकार की गलत ट्रिगरिंग हो रही है। यह या तो सॉफ्टवेयर की समस्या हो सकती है या फिर विद्युत प्रणाली में कोई सेंसर एरर। एयर इंडिया और बोइंग दोनों ने संयुक्त रूप से तकनीकी जांच शुरू कर दी है।

    एयर इंडिया के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, “हमारे बर्मिंघम फ्लाइट में सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ। विमान सुरक्षित लैंड हुआ और सभी यात्री सुरक्षित हैं। फिर भी, RAT के अपने आप सक्रिय होने के कारण की विस्तृत जांच चल रही है। हम बोइंग से इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांग चुके हैं।”

    उधर, विमानन नियामक DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने भी एयर इंडिया और बोइंग दोनों से विस्तृत तकनीकी रिपोर्ट तलब की है। सूत्रों के अनुसार, DGCA अब सभी बोइंग ड्रीमलाइनर विमानों की तकनीकी समीक्षा कराने की योजना बना रहा है। इसमें उन सिस्टम्स की जांच प्राथमिकता से की जाएगी जो पावर कंट्रोल और RAT ट्रिगरिंग से जुड़े हैं।

    विमानन जगत में यह चर्चा अब तेजी से फैल रही है कि क्या बोइंग 787 सीरीज की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग चुका है। पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों ने अपने ड्रीमलाइनर फ्लीट में कुछ तकनीकी जांचें बढ़ा दी हैं। भारत में भी यात्रियों और विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ गई है कि क्या एयर इंडिया अपने विमानों की नियमित सुरक्षा जांच को और कठोर बनाएगी।

    एयर इंडिया के भीतर भी तकनीकी टीमों को सतर्क कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में सभी ड्रीमलाइनर विमानों के “इलेक्ट्रिकल बैकअप सिस्टम” और “ऑटोमेटिक रेस्पॉन्स यूनिट्स” की री-कैलिब्रेशन जांच की जाएगी।

    वर्तमान स्थिति में राहत की बात यह है कि बर्मिंघम की घटना में किसी प्रकार का बड़ा हादसा नहीं हुआ। लेकिन तकनीकी रूप से यह घटनाएं संकेत दे रही हैं कि आधुनिक विमानों की जटिल प्रणालियों में छोटी सी गलती भी बड़ी जोखिम बन सकती है।

    विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे देश, जहाँ हवाई यात्रा तेजी से बढ़ रही है, वहाँ विमान सुरक्षा के प्रति शून्य-त्रुटि नीति ही सर्वोत्तम उपाय है। ऐसे में एयर इंडिया और बोइंग दोनों पर यह जिम्मेदारी है कि वे इस घटना की तह तक जाकर सुनिश्चित करें कि यात्रियों की सुरक्षा किसी भी कीमत पर खतरे में न पड़े।

    यह दूसरा मौका है जब कुछ ही हफ्तों के भीतर एयर इंडिया के बोइंग ड्रीमलाइनर में RAT अपने आप सक्रिय हुई है। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद बोइंग क्या तकनीकी समाधान प्रस्तुत करता है और क्या भारतीय विमानन नियामक इस दिशा में नए सुरक्षा मानक तय करता है। एक बार फिर यह सवाल गूंज रहा है — क्या यह “ड्रीमलाइनर” अपने नाम के अनुरूप सुरक्षित उड़ान का सपना कायम रख पाएगा?

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