




भारत में डिजिटल सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। कई सरकारी विभागों ने अब Gmail की जगह Zoho Mail को अपनाना शुरू कर दिया है। कुछ मंत्रालयों और सरकारी संगठनों ने तो इसे अनिवार्य भी कर दिया है, ताकि संवेदनशील डाटा देश के भीतर ही सुरक्षित रहे।
Zoho Mail पूरी तरह से भारतीय तकनीक से विकसित ईमेल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे तमिलनाडु स्थित कंपनी Zoho Corporation ने बनाया है। इसका सर्वर भारत में ही मौजूद है, जिससे डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर भरोसा बढ़ जाता है।
Gmail छोड़कर Zoho Mail पर क्यों जा रहे हैं लोग?
भारत में लंबे समय से Gmail का इस्तेमाल आधिकारिक और निजी दोनों स्तरों पर होता रहा है। लेकिन बढ़ते डेटा प्राइवेसी चिंताओं और सरकारी डेटा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब देसी विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Zoho Mail न केवल सुरक्षित है बल्कि इसमें Gmail जैसी लगभग सारी सुविधाएं भी मौजूद हैं — जैसे इनबॉक्स फिल्टर, स्मार्ट सर्च, लेबलिंग, और मल्टी-डोमेन सपोर्ट।
सबसे अहम बात यह है कि Zoho Mail का डाटा भारत के सर्वर पर स्टोर होता है, जिससे किसी विदेशी कंपनी का उस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता।
Gmail से Zoho Mail पर शिफ्ट होने में लोगों की चिंता
जब भी कोई ईमेल प्लेटफ़ॉर्म बदलने की बात आती है, तो सबसे बड़ा डर यही होता है कि “कहीं हमारे पुराने मेल और डेटा डिलीट तो नहीं हो जाएंगे?”
लेकिन राहत की बात यह है कि Zoho Mail एक सुरक्षित माइग्रेशन सिस्टम (Migration Tool) देता है, जिसकी मदद से आप अपने सारे Gmail ईमेल — इनबॉक्स, सेंट मेल, ड्राफ्ट, और यहां तक कि अटैचमेंट्स भी — बिना किसी नुकसान के Zoho Mail में ट्रांसफर कर सकते हैं।
ईमेल ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया
Gmail से Zoho Mail पर ईमेल माइग्रेट करना बहुत आसान है। इसके लिए Zoho की आधिकारिक वेबसाइट पर “Email Migration Tool” मौजूद है। यह क्लाउड-बेस्ड सिस्टम के जरिए Gmail के सारे डेटा को Zoho में इंपोर्ट करता है।
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सबसे पहले अपने Zoho Mail अकाउंट में लॉगिन करें।
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फिर “Control Panel” या “Admin Console” में जाएं।
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यहां “Data Migration” सेक्शन मिलेगा। उस पर क्लिक करें।
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माइग्रेशन के लिए “Gmail / Google Workspace” को चुनें।
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अब अपने Gmail अकाउंट का लॉगिन विवरण और परमिशन दें।
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Zoho आपके Gmail से कनेक्ट होकर ईमेल्स, फोल्डर्स और अटैचमेंट्स की लिस्ट तैयार करेगा।
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आप चाहें तो सभी ईमेल या सिर्फ़ किसी एक फोल्डर को ट्रांसफर करने का विकल्प चुन सकते हैं।
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ट्रांसफर शुरू होने के बाद आप “Migration Progress” में इसकी स्थिति देख सकते हैं।
इस प्रक्रिया के बाद आपके पुराने Gmail ईमेल्स सुरक्षित रूप से Zoho Mail Inbox में पहुंच जाते हैं।
Zoho Mail की प्रमुख खूबियां
Zoho Mail केवल एक ईमेल प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि एक कंप्लीट बिजनेस कम्युनिकेशन सॉल्यूशन है। इसमें कई एडवांस फीचर्स हैं जो इसे Gmail का मजबूत विकल्प बनाते हैं।
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भारत में डेटा होस्टिंग: सभी ईमेल और फाइलें भारतीय सर्वर पर सुरक्षित रहती हैं।
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कोई विज्ञापन नहीं: Gmail की तरह यहां Ads नहीं दिखते, जिससे यूजर एक्सपीरियंस बेहतर होता है।
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End-to-End Encryption: ईमेल भेजते समय डेटा पूरी तरह एन्क्रिप्टेड रहता है।
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कस्टम डोमेन सपोर्ट: कंपनियां अपने नाम से ईमेल डोमेन बना सकती हैं जैसे info@companyname.in।
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ऑफलाइन मोड और मोबाइल ऐप: इंटरनेट न होने पर भी मेल पढ़े जा सकते हैं।
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स्पैम प्रोटेक्शन: एडवांस्ड AI स्पैम फिल्टर सिस्टम से इनबॉक्स क्लीन रहता है।
सरकारी विभागों में Zoho Mail की बढ़ती पकड़
सूत्रों के मुताबिक, कुछ मंत्रालय और सरकारी एजेंसियां पहले ही Gmail से Zoho Mail पर शिफ्ट हो चुकी हैं। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत सरकार चाहती है कि संवेदनशील जानकारी, दस्तावेज़ और ईमेल्स विदेशी सर्वर पर न जाएं।
Zoho Mail को अपनाने से न केवल डेटा नियंत्रण देश के भीतर रहेगा, बल्कि इससे भारतीय टेक उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह “Make in India, Secure India” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया
जो उपयोगकर्ता Gmail से Zoho Mail पर शिफ्ट हुए हैं, उनका कहना है कि ट्रांसफर प्रोसेस काफी सहज रहा। न तो कोई ईमेल मिस हुआ और न ही कोई अटैचमेंट खोया।
कई यूज़र्स ने Zoho के इंटरफेस को भी उपयोगी और तेज़ बताया है। हालांकि, कुछ ने शुरुआती दिनों में Gmail की ऑटो-सिंक सुविधा को मिस किया, लेकिन धीरे-धीरे Zoho के फीचर्स से वे संतुष्ट हो गए।
सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
भारत में डिजिटल डेटा सुरक्षा पर बढ़ते फोकस के बीच Zoho Mail का उपयोग एक राष्ट्रीय डेटा स्वावलंबन (Data Sovereignty) की दिशा में अहम कदम है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में अधिक सरकारी संस्थान और कॉर्पोरेट सेक्टर भी इस बदलाव को अपनाएंगे।
इससे न केवल देश की तकनीकी स्वतंत्रता बढ़ेगी, बल्कि भारतीय स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों को भी नई ऊर्जा मिलेगी।