




पुणे की कानून व्यवस्था को झकझोरते हुए, कुख्यात गैंगस्टर नीलेश घायवाल पर पुलिस ने बहुत बड़ी कार्रवाई की है। लंबे समय से फरार चल रहे इस अपराधी को पकड़ने के लिए पुणे पुलिस ने दो दिनों से लगातार उसके घरों और ठिकानों पर छापेमारी की है। इस छापेमारी में लगभग 10 तोला सोना, महत्वपूर्ण दस्तावेज, जमीन एवं वित्तीय कागजात और गोली–कारतूस जैसे आपत्तिजनक सामान जब्त किए गए हैं।
इस कार्रवाई को विशेष महत्व इसलिए भी दिया जा रहा है क्योंकि इससे पहले ही घायवाल ने कथित तौर पर नाम में बदलाव और नकली पते की मदद से पासपोर्ट प्राप्त कर विदेश भागने की कोशिश की थी। अब पुलिस उसके इस कदम को चुनौती देने की तैयारी में है।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि इस छापे के दौरान घर और कार्यालय दोनों ठिकानों की तलाशी ली गई। कार्यालय को सील कर दिया गया है और कई महत्वपूर्ण कागजात जप्त किए गए हैं जो जमीन, वाणिज्यिक हितों और व्यवसायिक लेन-देन से जुड़े हैं। छापेमारी की कार्रवाई के साथ-साथ पुलिस ने मकान परिसर से गोलियाँ और कारतूस भी बरामद किए। यह मामला पहले से दर्ज अन्य आपराधिक आरोपों के साथ और भी गंभीर हो गया है। (उदाहरण के लिए, Kothrud घर से गोलियाँ जब्त)
पुलिस ने बताया कि घायवाल को पकड़ने की कवायद चल रही है और पूछताछ की जाएगी कि इन अवैध संपत्तियों और दस्तावेजों का स्रोत कहां से है। इसके साथ ही इस मामले को मकोका (MCOCA) की कठोर धाराओं के अंतर्गत चलाए जाने की भी तैयारी है, क्योंकि घायवाल और उसके गिरोह पर पहले से ही कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।
एक और महत्वपूर्ण खुलासा किया गया है कि घायवाल ने आधार कार्ड पर अपना पता बदलकर और गलती से नाम बदलकर — “Ghaywal” की बजाय “Gaywal” — पासपोर्ट आवेदन किया था। इस चालाकी ने उसे पुलिस और विभागीय जांच से बचने में कुछ समय दिया। पुणे पुलिस ने अब इस फर्जी पते और नाम संबंधी छेड़छाड़ की जांच तेज कर दी है और पासपोर्ट निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि छापेमारी के दौरान वार्नपावर और दस्तावेज मिले हैं जो घायवाल के मराठवाड़ा कनेक्शन की ओर इशारा करते हैं। कथित तौर पर, उन्होंने विंडमिल परियोजनाओं से जुड़े दस्तावेज और भूमि संबंधी कागजात जप्त किए हैं।
स्थिति यह है कि घायवाल देश से बाहर हो गया है। अधिकारियों के अनुसार, वह लंदन या स्विट्ज़रलैंड जा चुका है। छापे के बाद पुणे पुलिस ने उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है और स्थानीय व केंद्रीय एजेंसियों से संपर्क कर उसकी प्रत्यर्पण या गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है।
पुलिस उपायुक्त (Zone III) सम्बाजी कदम ने यह कहा है कि छापेमारी में मिली सामग्री और दस्तावेज इसे साबित करते हैं कि घायवाल का अपराध नेटवर्क बड़ा है और उसके संबंध कई स्थानों और संस्थानों से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि घायवाल को विदेश भागने से पहले भी उसकी बैंक खातों और वित्तीय लेन-देन पर निगाह रखी जा रही थी। अभी तक, लगभग 10 बैंक खाते, जिनमें घायवाल और उसके परिवार एवं करीबी लोग शामिल हैं, फ्रीज़ किए गए हैं।
पुणे के दोषियों और अपराध जगत में घायवाल का नाम कुख्यात है। उसके खिलाफ हत्या, हमले, वसूली, धमकी और अन्य संगठित अपराध के मामले दर्ज हैं। इनकी संख्या 13 से अधिक बताई जाती है।
घायवाल पर केसों की लंबी सूची पहले से ही है। सितंबर के अंत में Kothrud इलाके में उसके सहयोगियों द्वारा गोलीबारी की दो घटनाएं हुईं — एक निजी व्यक्ति पर फायरिंग और एक 19 वर्षीय छात्र पर हमला — जिसके बाद मकोका धाराएँ लागू की गईं और पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस विभाग इस पूरे प्रकरण को एक संकेत मान रहा है कि अपराधी अब अधिक चालाक तरीके अपना रहे हैं — नाम बदलना, फर्जी पते देना, दस्तावेजों में छेड़छाड़ करना। लेकिन इस नए छापे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून–व्यवस्था अब इन ट्रिक्स को खुलासे में बदल सकती है।
आने वाले दिनों में पुलिस आरोप तय करेगी कि घायवाल को गिरफ्तार कैसे किया जाए, पासपोर्ट रद्द किया जाए और उसकी अवैध संपत्ति को जब्त किया जाए। ये कदम सलाखों के भीतर अपराध नेटवर्क को ध्वस्त कर सकते हैं और अपराधियों को यह सिखा सकते हैं कि वे कानून से ऊपर नहीं हैं।
इस मामले की संवेदनशीलता और सामाजिक ध्यान को देखते हुए, यह संभावना है कि यह खबर बाहरी एजेंसियों, राज्य और केंद्र सरकार तक पहुंचेगी और घायवाल की गिरफ्तारी या प्रत्यर्पण पर राजनीतिक एवं प्रशासनिक दबाव बढ़ेगा।