




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में केंद्र सरकार की दो प्रमुख कृषि योजनाओं का शुभारंभ किया और साथ ही कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने देश के 100 जिलों को “पिछड़ा” घोषित कर उन्हें उपेक्षित किया, जबकि वर्तमान सरकार ने इन जिलों के समग्र विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि यूपीए सरकार के दौरान इन जिलों को पिछड़ा घोषित करने के बाद उन्हें विकास की मुख्यधारा से बाहर कर दिया गया। इसके विपरीत, वर्तमान सरकार ने “आकांक्षी जिला कार्यक्रम” के तहत इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, बुनियादी सुविधाओं और वित्तीय समावेशन के क्षेत्रों में सुधार के लिए ठोस प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत इन जिलों में सुधार के स्पष्ट परिणाम सामने आ रहे हैं।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने दो नई कृषि योजनाओं का भी शुभारंभ किया। पहली योजना है “पीएम धन-धान्य कृषि योजना”, जिसका उद्देश्य खेती को सुधारकर सम्पूर्ण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब खेती में सुधार होता है, तो पूरे गांव की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दूसरी योजना है “मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेस”, जिसका लक्ष्य दालों की उत्पादन क्षमता बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि इन योजनाओं के तहत किसानों को बेहतर बीज, उर्वरक, कृषि यंत्र और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके अलावा, इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को बाजार से जोड़ने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास भी किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का ध्यान समावेशी और सतत विकास पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचे, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कृषि बजट में 6% की वृद्धि की है और कुछ कृषि उपकरणों पर जीएसटी में छूट दी है, ताकि किसानों को राहत मिल सके।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों से अपील की कि वे सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं और अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सक्रिय रूप से भाग लें। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को समझती है और उनके समाधान के लिए निरंतर काम कर रही है।
इस कार्यक्रम ने केंद्र सरकार की कृषि नीतियों की दिशा, विपक्ष के प्रति कटु भाषा उपयोग और विशेष रूप से पिछड़े जिलों को लेकर किए गए आरोपों को उजागर किया। अब यह देखना होगा कि इन योजनाओं का कार्यान्वयन किस प्रकार होगा और चुनावी समय में यह कैसे राजनीतिक प्रभाव पैदा करेगी।