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    “भारतीय ज्ञान प्रणाली” पर डॉ. शैलेश कुमार द्विवेदी की पुस्तक का विमोचन — शिक्षा के भारतीय दर्शन को आधुनिक रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास

    Awas Kaiwart

    District Beuro Chief Bilaspur C.G.
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    अवस कैवर्त | बिलासपुर (छत्तीसगढ़) | समाचार वाणी न्यूज़
    गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर में वाणिज्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ. शैलेश कुमार द्विवेदी द्वारा रचित नवीन पुस्तक “भारतीय ज्ञान प्रणाली” (Indian Knowledge System) का विमोचन एक गरिमामयी समारोह में संपन्न हुआ। यह पुस्तक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुरूप तैयार की गई है और भारत के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए उपयोगी मानी जा रही है।

    यह पुस्तक डॉ. विकास कुमार (सहायक प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, ओबरा) और
    डॉ. आशीष कुमार पांडे (सहायक प्रोफेसर, जेपी वर्मा कॉलेज, पीजी आर्ट्स, बिलासपुर) के संयुक्त सहयोग से तैयार की गई है।

    भारत की बौद्धिक विरासत सदियों से ज्ञान, दर्शन और विज्ञान की समृद्ध परंपरा रही है।
    यह पुस्तक भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) के अंतर्गत वाणिज्य, प्रबंधन, दर्शन, गणित, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, भाषा विज्ञान, कला, वास्तुकला, शिक्षा, नैतिकता और पर्यावरण चेतना जैसे विविध क्षेत्रों को समाहित करती है।

    इसमें भारत की प्राचीन परंपराओं—वेद, आयुर्वेद, गणित, योग, खगोलशास्त्र, वास्तुशास्त्र और शिक्षा दर्शन—को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया गया है।

    • विद्यालय, स्नातक और शोध स्तर के छात्रों व शिक्षकों के लिए उपयुक्त।

    • सरल और शुद्ध भाषा में रचित।

    • भारतीय ज्ञान प्रणाली के दार्शनिक, सामाजिक और तकनीकी आयामों की विस्तृत विवेचना।

    • उच्च शिक्षा संस्थानों में “Indian Knowledge System” को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने हेतु एक संदर्भ पुस्तक के रूप में उपयोगी।

    विमोचन समारोह में विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएँ और शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
    समारोह के दौरान वक्ताओं ने कहा कि —

    “यह पुस्तक केवल ज्ञान का संग्रह नहीं, बल्कि भारत की शैक्षिक पुनरुत्थान की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।”

    डॉ. शैलेश द्विवेदी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझना केवल परंपरा की चर्चा नहीं, बल्कि भविष्य की शिक्षा को दिशा देने का माध्यम है।

    गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि वह अनुसंधान, नवाचार और भारतीय परंपरा के समन्वय में अग्रणी संस्थान है। यह पुस्तक विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसके माध्यम से भारत की शैक्षणिक पहचान को वैश्विक पटल पर स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।

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