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    बहावलपुर से कोटली तक, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK की इन्हीं 9 जगहों को एयर स्ट्राइक के लिए क्यों चुना।

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    पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय माना जाता है. मसूद अजहर का यह संगठन 2001 संसद हमला और 2019 पुलवामा अटैक जैसे हमलों में शामिल रहा है.

    भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक दो हफ्ते बाद, पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. बुधवार देर रात भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों पर बड़ी एयर स्ट्राइक की है.

    ये हमला तीनों सेनाओं, आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की एक साथ की गई पहली बड़ी कार्रवाई थी, जो 1971 की जंग के बाद पहली बार हुआ. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने उन आतंकी अड्डों को टारगेट किया, जो सालों से भारत पर हमले की साजिशों में शामिल रहे हैं. चलिए, जानते हैं कि पाकिस्तान और पीओके के इन्हीं 9 जगहों पर ही भारतीय सेना ने स्ट्राइक क्यों किया.

    बहावलपुर: जैश-ए-मोहम्मद का गढ़
    पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय माना जाता है. मसूद अजहर का यह संगठन 2001 संसद हमला और 2019 पुलवामा अटैक जैसे हमलों में शामिल रहा है. यही वजह थी कि बहावलपुर को इस ऑपरेशन में सबसे पहले निशाना बनाया गया.

    मुरीदके: लश्कर-ए-तैयबा की फैक्ट्री
    लाहौर से लगभग 40 किलोमीटर दूर मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य बेस और ट्रेनिंग सेंटर है. 2008 के 26/11 मुंबई हमले के आतंकियों को यहीं ट्रेनिंग दी गई थी. इस कैंप में इंडोक्रिनेशन, ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स की पूरी व्यवस्था थी.

    कोटली: आत्मघाती हमलावरों की फैक्ट्री
    पीओके का कोटली इलाका भारत के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रहा है. यहां आत्मघाती हमलावरों और घुसपैठियों की ट्रेनिंग दी जाती रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां एक समय में 50 से ज़्यादा आतंकी ट्रेनी मौजूद रहते हैं.

    गुलपुर: राजौरी और पुंछ हमलों का लॉन्च पैड
    गुलपुर को 2023 और 2024 में राजौरी और पुंछ में भारतीय सेना पर हमलों के लिए लॉन्च पैड की तरह इस्तेमाल किया गया था. यहीं से आतंकी काफिले में शामिल होकर भारतीय सीमा में दाखिल होते थे.

    सवाई और सरजल-बर्नाला: घुसपैठ की एंट्री पॉइंट्स
    सवाई, सरजल और बर्नाला जैसे लोकेशन आतंकियों की घुसपैठ के लिए जाने जाते हैं. यहां से आतंकी लाइन ऑफ कंट्रोल और इंटरनेशनल बॉर्डर के जरिए भारत में दाखिल होते थे. यही वजह थी कि इन्हें भी ऑपरेशन सिंदूर में टारगेट किया गया.

    सियालकोट का मेहमूना: हिजबुल का पुराना अड्डा
    मेहमूना कैंप, सियालकोट के पास स्थित है और हिजबुल मुजाहिद्दीन का पुराना अड्डा रहा है. हालांकि इस संगठन की ताकत अब पहले जैसी नहीं रही, लेकिन यहां से अब भी कुछ एक्टिव ट्रेनिंग और सपोर्ट नेटवर्क चलते हैं.

    कहां किसकी टूटी कमर
    १. मार्कज सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर – जैश-ए-मोहम्मद
    २. मार्कज तैबा, मुरीदके – लश्कर-ए-तैयबा
    ३. सरजल, तहरा कलां – जैश
    ४. मेहमूना जौया, सियालकोट – हिजबुल
    ५. मार्कज अहले हदीस, बर्नाला – लश्कर
    ६. मार्कज अब्बास, कोटली – जैश
    ७. मस्कर रहील शाहिद, कोटली – हिजबुल
    ८. शवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद – लश्कर
    ९. सय्यदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद – जैश

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