




राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल | जानें राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर बड़ा संवैधानिक विवाद
तिथि: 15 मई 2025 | स्थान: नई दिल्ली
प्रेसिडेंशियल रेफरेंस क्या है?
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत प्रेसिडेंशियल रेफरेंस भेजा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों को लेकर 14 अहम सवाल पूछे गए हैं। यह घटनाक्रम तमिलनाडु राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच चले विवाद के बाद सामने आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्यपाल बिल को अनिश्चितकाल तक रोक नहीं सकते।
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे 14 सवाल
इन सवालों का उद्देश्य भारत के संविधान की व्याख्या स्पष्ट करना है, विशेष रूप से राज्यपाल की भूमिका और राष्ट्रपति की संवैधानिक शक्तियों पर।
प्रमुख सवाल इस प्रकार हैं:
- बिल आने पर राज्यपाल के पास कौन-कौन से संवैधानिक विकल्प होते हैं?
- क्या राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह मानना अनिवार्य है?
- क्या राज्यपाल का फैसला कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
- क्या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के फैसलों की न्यायिक समीक्षा को रोक सकता है?
- क्या सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल के फैसले के लिए समयसीमा तय कर सकता है?
- क्या राष्ट्रपति के फैसलों को न्यायिक समीक्षा के दायरे में लाया जा सकता है?
- क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के फैसले पर समयसीमा तय कर सकता है?
- क्या सुप्रीम कोर्ट की राय लेना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है?
सुप्रीम कोर्ट का पूर्व आदेश
8 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं है, और उन्हें विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा। राष्ट्रपति ने इस फैसले की संवैधानिक व्याख्या पर स्पष्टीकरण मांगा है।
विशेषज्ञों की राय
संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रेसिडेंशियल रेफरेंस भारत के संघीय ढांचे में राज्यपाल और राष्ट्रपति की भूमिका को पुनः परिभाषित करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।