




ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने तुर्किए को घेरने की बनाई रणनीति, साइप्रस की यात्रा से एर्दोगन को लगेगा बड़ा झटका।
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्किए ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान न सिर्फ ड्रोन्स और मिसाइलें भेजीं बल्कि ऑपरेटर्स भी पाकिस्तान को दिए। अब भारत ने तुर्किए के खिलाफ रणनीतिक मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तुर्किए के कट्टर दुश्मन साइप्रस की यात्रा पर जा रहे हैं, जिससे राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पीएम मोदी 15 से 17 जून तक कनाडा में होने वाले G-7 समिट में शामिल होंगे। इससे पहले वह साइप्रस जाएंगे और वापसी में क्रोएशिया से होते हुए भारत लौटेंगे। साइप्रस और तुर्किए के बीच दुश्मनी 1974 से चली आ रही है। ऐसे में मोदी की यात्रा को कूटनीतिक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा तुर्किए
भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया था। इस दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान को ड्रोन्स, मिसाइलें और ऑपरेटर्स की सप्लाई दी थी।
5 मई को तुर्किए का युद्धपोत TCG BUYUKADA कराची पोर्ट पर देखा गया।
तुर्किश एयरफोर्स के C-130 एयरक्राफ्ट भी कराची में लैंड हुए।
साइप्रस को मिलने वाली है EU की अध्यक्षता
साइप्रस और क्रोएशिया दोनों EU के सदस्य हैं। अगले साल साइप्रस को EU की अध्यक्षता मिल सकती है। ऐसे में भारत के लिए साइप्रस के साथ संबंध मजबूत करना रणनीतिक दृष्टि से अहम है।
बीते महीने पीएम मोदी का क्रोएशिया, नीदरलैंड और नॉर्वे दौरा पाकिस्तान के साथ तनाव के चलते स्थगित हो गया था। लेकिन अब G-7 समिट से पहले साइप्रस की यात्रा करके भारत तुर्किए को घेरने का संदेश देगा।
तुर्किए ने ड्रोन्स के साथ भेजे थे ऑपरेटर्स
सूत्रों के मुताबिक, तुर्किए ने पाकिस्तान को सिर्फ ड्रोन्स और मिसाइलें नहीं भेजीं बल्कि उन्हें ऑपरेट करने के लिए विशेष टीमें भी भेजी थीं।
गौरतलब है कि 2023 में भारत ने तुर्किए में आए भीषण भूकंप में मदद की थी। इसके बावजूद एर्दोगन भारत विरोधी बयान देते रहे और पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आए।
पीएम मोदी होंगे तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री जो जाएंगे साइप्रस
१. पीएम मोदी भारत के तीसरे प्रधानमंत्री होंगे जो साइप्रस की यात्रा करेंगे।
२. इससे पहले 2002 में पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और 1983 में पीएम इंदिरा गांधी ने साइप्रस दौरा किया था।
क्या है तुर्किए-साइप्रस विवाद?
साइप्रस भूमध्यसागर में स्थित एक द्वीप है, जो तुर्किए के दक्षिण में है। 1974 में ग्रीक लड़ाकों के तख्तापलट के बाद तुर्किए ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया था।
इस घटना के बाद साइप्रस दो हिस्सों में बंट गया:
१. एक हिस्सा ग्रीक साइप्रस के नियंत्रण में
२. दूसरा हिस्सा तुर्क साइप्रस के नियंत्रण में।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्रीक साइप्रस को ही वैध सरकार के रूप में मान्यता प्राप्त है। तुर्क साइप्रस को केवल तुर्किए मान्यता देता है।
तुर्किए ने वरोशा शहर पर भी कब्जा कर रखा है, जहां कभी पर्यटकों की भारी भीड़ रहती थी। अब यह इलाका वीरान पड़ा है और तुर्किए के 35,000 सैनिक वहां तैनात हैं।
भारत की नई रणनीति
भारत अब तुर्किए के खिलाफ डिप्लोमैटिक फ्रंट खोल रहा है। साइप्रस यात्रा इसी रणनीति का हिस्सा है। भारत अब साइप्रस और EU देशों के साथ मिलकर तुर्किए के प्रभाव को सीमित करने की कोशिश करेगा।
पीएम मोदी की यह यात्रा एर्दोगन को कूटनीतिक झटका देने के साथ-साथ पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश देगी कि भारत के खिलाफ किसी भी गठजोड़ की राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ेगी।
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