




संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी अध्यक्षता संभालने से पहले भारत ने पाकिस्तान को जमकर घेरा, आतंकवाद के मानवीय असर पर प्रदर्शनी के जरिए कड़ा संदेश।
UNSC में पाकिस्तान की अध्यक्षता और भारत की तीखी प्रतिक्रिया
UNSC: 1 जुलाई 2025 को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक महीने के लिए अस्थायी अध्यक्षता संभाल ली है। लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले भारत ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता को उजागर करते हुए एक प्रभावशाली प्रदर्शनी आयोजित की, जिसका शीर्षक था – “The Human Cost of Terrorism”।
भारत ने उठाया हालिया हमलों का मुद्दा
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि, “आतंकवाद के पीड़ितों की आवाज़ को बुलंद करना और इसके पीछे के दोषियों को बेनकाब करना हमारी वैश्विक जिम्मेदारी है।”
प्रदर्शनी में दिखा आतंक का सच
भारत की इस प्रदर्शनी में न सिर्फ भारत में हुए आतंकी हमलों जैसे 26/11, पुलवामा और पहलगाम की झलक थी, बल्कि अमेरिका में हुए 9/11 हमले, ब्रिटेन के लंदन मेट्रो विस्फोट, और फ्रांस के नीस हमले जैसी वैश्विक घटनाएं भी शामिल थीं। इनमें पाकिस्तान की परोक्ष या अपरोक्ष संलिप्तता को रेखांकित किया गया।
‘किसी भी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया जाना चाहिए’ – जयशंकर
जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा:
“जब आतंकवाद को किसी देश द्वारा उसके पड़ोसी के खिलाफ प्रायोजित किया जाता है और यह कट्टरता से प्रेरित होता है, तो उसकी सार्वजनिक निंदा आवश्यक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी न केवल स्मृति का प्रतीक है, बल्कि यह मानवता के लिए चेतावनी और शांति के लिए प्रतिबद्धता है।
UNSC अध्यक्ष के रूप में पाकिस्तान की निष्पक्षता पर सवाल
राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की अध्यक्षता के दौरान, उसके ‘सदाबहार मित्र’ चीन के साथ मिलकर भारत के हितों के खिलाफ एजेंडा चलाने की कोशिश हो सकती है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार अध्यक्ष को निष्पक्ष रहना, सभी पक्षों को बोलने का अवसर देना और प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होता है।
संदेश स्पष्ट है: आतंकवाद कहीं का भी हो, खतरा सबके लिए है
विदेश मंत्री ने दोहराया कि आज आतंकवाद कोई क्षेत्रीय समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक संकट है। इसे धर्म, राजनीति या भूगोल के आधार पर नहीं देखा जा सकता।
“कोई भी देश आतंकवाद को समर्थन देकर खुद को नहीं बचा सकता।”
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