




केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों का बड़ा विरोध प्रदर्शन, कई राज्यों में सेवाएं प्रभावित होने की आशंका।
नई दिल्ली: आज देशभर में भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर की जा रही है। प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार की उन नीतियों का विरोध कर रहे हैं, जिन्हें वे मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक मानते हैं।
हड़ताल में कौन-कौन शामिल?
करीब 25 करोड़ कर्मचारी और ग्रामीण मजदूर इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग ले रहे हैं। इनमें बैंकिंग, परिवहन, डाक सेवाएं, कोयला खनन और निर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों के कर्मचारी शामिल हैं। इसका असर कई राज्यों में सार्वजनिक सेवाओं पर दिखाई दे सकता है।
क्या रहेगा खुला और क्या होगा बंद?
१. स्कूल, कॉलेज और निजी दफ्तर सामान्य रूप से खुले रहने की संभावना है।
२. परिवहन, बैंक और डाक सेवाओं में रुकावट आने की आशंका है।
३. कई इलाकों में बिजली आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है।
बिजली सप्लाई पर संकट संभव
करीब 27 लाख बिजली क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। इससे कई राज्यों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। कई क्षेत्रों में पावर कट या सप्लाई में बाधा की स्थिति बन सकती है।
रेलवे सेवाओं पर क्या असर पड़ेगा?
रेलवे यूनियनों ने आधिकारिक रूप से हड़ताल में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन हड़ताल का अप्रत्यक्ष असर देखा जा सकता है। कुछ रूटों पर ट्रेनों में देरी या प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ने की संभावना है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले अपने रूट की स्थिति जांच लें।
केरल में भ्रम की स्थिति
केरल के परिवहन मंत्री के. बी. गणेश कुमार ने कहा कि केएसआरटीसी (KSRTC) बसें सामान्य रूप से चलेंगी। हालांकि ट्रेड यूनियनों ने मंत्री के बयान को खारिज करते हुए कहा कि हड़ताल की सूचना पहले ही दी जा चुकी है और KSRTC के कर्मचारी बंद में शामिल होंगे।
क्या कह रहे हैं यूनियन और किसान संगठन?
संयुक्त किसान मोर्चा, कृषि मजदूर यूनियन और अन्य क्षेत्रीय संगठनों ने इस हड़ताल को समर्थन दिया है। आंदोलनकारी सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण, श्रम कानूनों में बदलाव, संविदा नौकरियों के विस्तार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों का विरोध कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर यूनियनों के समर्थन से ग्रामीण इलाकों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां सड़कों पर जाम और धरना प्रदर्शन की रणनीति अपनाई जा रही है।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
१. चार नई श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए।
२. सरकारी नौकरियों में रिक्तियों को तुरंत भरा जाए और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं।
३. 26,000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन की गारंटी दी जाए।
४. पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल की जाए।
५. 8 घंटे के कार्य दिवस की गारंटी दी जाए।
६. मनरेगा (MGNREGA) योजना को शहरी क्षेत्रों तक लागू किया जाए।
७. अग्निपथ योजना रद्द की जाए।
८. हड़ताल और यूनियन बनाने के अधिकार की रक्षा की जाए।
९. शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सार्वजनिक सेवाओं को मजबूत किया जाए।
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