




भारत में आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़ने में एक घरेलू ब्रांड—पतंजलि आयुर्वेद—ने अपनी मजबूत पहचान बना ली है। कंपनी का दावा है कि वह स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देकर, आयात पर निर्भरता कम करके, और देशभर में रोजगार के अवसर पैदा करके भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में निर्णायक भूमिका निभा रही है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान
2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “आत्मनिर्भर भारत अभियान” का उद्देश्य भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का केंद्र बनाना है। पतंजलि का कहना है कि इस लक्ष्य की दिशा में उन्होंने न केवल आर्थिक विकास को बल दिया है, बल्कि स्थानीय उद्यमिता और उत्पादन को भी प्रोत्साहन दिया है।
FMCG क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति
पतंजलि आयुर्वेद ने आयुर्वेदिक उत्पादों से लेकर व्यक्तिगत देखभाल, खाद्य सामग्रियों और घरेलू वस्तुओं तक अपना दायरा फैला लिया है। कंपनी के मुताबिक, उपभोक्ताओं में स्वदेशी उत्पादों के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। रुचि सोया (अब पतंजलि फूड्स) के अधिग्रहण के बाद कंपनी का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में ₹45,000-₹50,000 करोड़ रुपये का कारोबार करना है।
किसानों और MSME को लाभ
पतंजलि के उत्पाद स्थानीय कच्चे माल पर आधारित हैं, जिससे भारतीय किसानों और MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। कंपनी देशभर में उत्पादन इकाइयां और अनुबंध-आधारित निर्माण के माध्यम से हज़ारों लोगों को रोजगार दे रही है।
‘वोकल फॉर लोकल’ को दे रहे बढ़ावा
कंपनी का ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय हो रहा है। पतंजलि का दावा है कि उनके उत्पाद विदेशों में भी सराहे जा रहे हैं, जिससे भारत की ग्लोबल ट्रेड चेन में भागीदारी और मजबूत हो रही है।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में स्वदेशी ब्रांड
पतंजलि का मानना है कि उनका बिजनेस मॉडल यह दिखाता है कि स्वदेशी ब्रांड भी वैश्विक स्तर पर सफल हो सकते हैं। कंपनी का जोर उत्पाद की गुणवत्ता, पारदर्शिता और भारतीय मूल्यों पर है—जो उसे बाकी ब्रांड्स से अलग करता है।
📢 निष्कर्ष:
पतंजलि सिर्फ एक FMCG कंपनी नहीं, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी है। यह मॉडल अन्य भारतीय ब्रांड्स के लिए प्रेरणा बन सकता है—यह दिखाने के लिए कि भारत में बना हर उत्पाद, दुनिया में नाम कमा सकता है।