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    फ्रेशर हायरिंग इंटेंट गिरकर 70% पर — ई-कॉमर्स और स्टार्टअप सेक्टर में अब भी बनी उम्मीद

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    भारत में नौकरी के अवसरों की तस्वीर हर छह महीने में बदलती रहती है। टीमलीज़ एडटेक (TeamLease EdTech) द्वारा जारी ताज़ा सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई से दिसंबर 2025 की अवधि में फ्रेशर हायरिंग इंटेंट घटकर 70% पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा जनवरी से जून 2025 की तुलना में 4% कम है।

    क्यों घटी फ्रेशर हायरिंग इंटेंट?

    विशेषज्ञों के अनुसार, इस गिरावट की वजह कंपनियों में लागत नियंत्रण, अनिश्चित आर्थिक माहौल और वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका है। कई सेक्टर जैसे मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट और पारंपरिक रिटेल में कंपनियां सतर्कता बरत रही हैं और नई भर्ती सीमित कर रही हैं।

    हालांकि, यह गिरावट बहुत बड़ी नहीं है और रिपोर्ट बताती है कि भारत जैसे उभरते बाज़ार में फ्रेशर्स के लिए नौकरी की संभावनाएं स्थिर बनी हुई हैं।

    किन सेक्टर्स में नौकरी की सबसे ज्यादा संभावना?

    रिपोर्ट के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में फ्रेशर्स की मांग अब भी काफी मजबूत है।

    • ई-कॉमर्स और टेक स्टार्टअप्स – यहां 88% तक हायरिंग इंटेंट दर्ज किया गया है।

    • रिटेल सेक्टर – 87% कंपनियां फ्रेशर्स को मौका देने के लिए तैयार हैं।

    • इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण – 82% हायरिंग इंटेंट।

    • आईटी और टेलीकॉम सेक्टर – लगातार डिजिटलाइजेशन की वजह से यहां भी फ्रेशर्स की मांग बनी हुई है।

    किन शहरों में ज्यादा नौकरियां?

    फ्रेशर हायरिंग में शहरवार अंतर भी साफ देखा जा सकता है:

    • बेंगलुरु – 81% (आईटी और स्टार्टअप हब होने के कारण सबसे आगे)

    • मुंबई – 67%

    • चेन्नई – 59%

    • दिल्ली-एनसीआर – 55%

    • हैदराबाद – 53%

    ये आंकड़े दिखाते हैं कि मेट्रो शहर अब भी रोजगार की सबसे बड़ी मंज़िल बने हुए हैं, खासकर टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स आधारित नौकरियों के लिए।

    फ्रेशर्स के लिए क्या मायने?

    इस रिपोर्ट का सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि पहली बार नौकरी तलाश रहे युवाओं (फ्रेशर्स) के लिए टेक सेक्टर, डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिटिक्स और ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में अवसर लगातार बढ़ रहे हैं।

    भले ही कुल हायरिंग इंटेंट थोड़ा कम हुआ हो, लेकिन जिन क्षेत्रों में तेज़ी है वहां स्किल्ड फ्रेशर्स के लिए शानदार मौके हैं।

    विशेषज्ञों की राय

    एचआर विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियां अब “जॉब-रेडी स्किल्स” पर जोर दे रही हैं। यानी, केवल डिग्री से ज्यादा महत्व उस उम्मीदवार को दिया जाएगा, जो डिजिटल टूल्स, नई टेक्नोलॉजी और बिजनेस कम्युनिकेशन में दक्ष हो।

    टीमलीज़ एडटेक की रिपोर्ट कहती है – “2025 में फ्रेशर जॉब मार्केट संतुलित रहेगा। जो उम्मीदवार लगातार अपनी स्किल्स अपग्रेड करते हैं, उनके लिए अवसरों की कमी नहीं होगी।”

    सारांश

    • भारत में फ्रेशर हायरिंग इंटेंट घटकर 70% पर आया।

    • ई-कॉमर्स और स्टार्टअप्स में सबसे ज्यादा नौकरी के अवसर।

    • बेंगलुरु, मुंबई और चेन्नई बने रोजगार के बड़े केंद्र।

    • डिजिटल स्किल्स और नई तकनीक में दक्षता रखने वालों को अधिक अवसर।

    निष्कर्ष

    हालांकि फ्रेशर हायरिंग इंटेंट में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन इसे किसी बड़ी चिंता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और ई-कॉमर्स सेक्टर में उछाल यह साबित करता है कि युवाओं के लिए नौकरी की संभावनाएं अभी भी मजबूत हैं।

    फ्रेशर्स को चाहिए कि वे बदलते बाजार की मांग के अनुसार अपने कौशल को निखारें। यही उन्हें नौकरी की दौड़ में सबसे आगे रखेगा।

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