




देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित एक सेमिनार में लोकतंत्र, सोशल मीडिया और युवा आंदोलनों को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र मजबूत और अराजकता से सुरक्षित है, जबकि नेपाल में युवा पीढ़ी (Gen Z) के आंदोलन और हाल की राजनीतिक उथल-पुथल ने चिंताजनक स्थिति उत्पन्न कर दी है।
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया लोकतंत्र में जागरूकता और सूचना के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी वजह से अफवाहें, दुष्प्रचार और सामाजिक उथल-पुथल भी तेजी से फैल सकती हैं।
चंद्रचूड़ ने बताया, “सोशल मीडिया का प्रभाव आज युवा वर्ग पर बहुत ज्यादा है। यह उन्हें जागरूक बनाने के साथ-साथ कभी-कभी उन्हें अस्थिरता की ओर भी प्रेरित कर सकता है। भारत में लोकतंत्र की संस्थाएँ मजबूत हैं, इसलिए अराजकता का डर कम है, लेकिन नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों में हालात अलग हैं।”
पूर्व CJI ने नेपाल में हाल ही में हुई युवा आंदोलनों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां युवा पीढ़ी की सक्रियता ने राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि युवा आंदोलन स्वाभाविक हैं, लेकिन जब यह असंवेदनशील और हिंसक रूप लेने लगे तो लोकतंत्र पर संकट खड़ा हो सकता है।
चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर लोकतांत्रिक संस्थाओं ने युवाओं के आंदोलन को हिंसक स्वरूप लेने का अवसर दिया। उन्होंने भारत के लोकतंत्र की मजबूती की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि भारत में संवैधानिक ढांचे और संस्थाएं पर्याप्त मजबूत हैं, इसलिए यहां लोकतंत्र कभी अराजक नहीं होगा।
पूर्व CJI ने भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और उसकी संस्थाओं की क्षमता पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि भारत में न्यायपालिका, चुनाव आयोग और अन्य संवैधानिक संस्थाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि भारत में युवा आंदोलनों और सामाजिक आंदोलन होने के बावजूद लोकतंत्र संरक्षित रहता है। इसके पीछे कारण हैं – मजबूत संवैधानिक ढांचा, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक समाज की सक्रिय भूमिका।
चंद्रचूड़ ने बांग्लादेश का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और संस्थाओं की कमजोरी से लोकतंत्र के संकट का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत की संस्थाओं और संविधान ने इसे रोकने का महत्वपूर्ण आधार प्रदान किया है।
पूर्व CJI ने युवाओं की भूमिका को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों दृष्टियों से देखा। उन्होंने कहा कि Gen Z अपनी आवाज उठाने में साहसी है, और यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है। हालांकि, जब सोशल मीडिया का इस्तेमाल दुष्प्रचार और हिंसा के लिए किया जाए, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकता है। चंद्रचूड़ ने युवा वर्ग को जागरूक और जिम्मेदार रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी सम्मान करना चाहिए।
पूर्व CJI ने स्पष्ट किया कि भारत में लोकतंत्र अराजक नहीं होगा, लेकिन इसके लिए नागरिकों, युवाओं और संस्थाओं की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र केवल सरकार या न्यायपालिका का जिम्मा नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह लोकतंत्र को बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाए।
चंद्रचूड़ ने समाज को यह संदेश दिया कि जागरूकता, संवेदनशीलता और जिम्मेदार नागरिकता लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहस और विरोध होना स्वाभाविक है, लेकिन इसे हिंसा या अराजकता का रूप नहीं देना चाहिए।
राजनीति और संवैधानिक विशेषज्ञों ने पूर्व CJI के विचारों का समर्थन किया। उनका मानना है कि भारत में लोकतंत्र की मजबूती और संस्थाओं की स्वतंत्रता इसे अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में सुरक्षित बनाती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और युवा आंदोलनों के बढ़ते प्रभाव को समझना और सही दिशा में मार्गदर्शन करना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
पूर्व CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि भारत में लोकतंत्र मजबूत है और अराजकता का खतरा कम है। उन्होंने सोशल मीडिया, युवा आंदोलनों और पड़ोसी देशों की राजनीतिक स्थिति का उदाहरण देते हुए भारत की संवैधानिक संस्थाओं की मजबूती पर जोर दिया।