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अमेरिका में कॉफी पीना अब एक लग्जरी शौक बनता जा रहा है। कभी हर सुबह की शुरुआत कॉफी के प्याले से करने वाले अमेरिकियों को अब अपनी जेब का खास ख्याल रखना पड़ रहा है। वजह है — कॉफी की कीमतों में आई 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी, जिसने आम उपभोक्ताओं से लेकर कैफे मालिकों तक को परेशानी में डाल दिया है।
यह उछाल किसी प्राकृतिक आपदा या सप्लाई चेन की समस्या से नहीं, बल्कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले से जुड़ा है। ट्रंप प्रशासन ने अगस्त में ब्राजील से आने वाले कॉफी आयात पर 50% टैरिफ (शुल्क) लगा दिया था। इसके बाद से अमेरिकी बाजार में कॉफी की कीमतें इतिहास के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं।
अमेरिका में कॉफी क्यों हुई महंगी?
ब्राजील दुनिया का सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है, जिसकी हिस्सेदारी वैश्विक उत्पादन में करीब 38% है। अमेरिका, ब्राजील से हर साल अरबों डॉलर की कॉफी आयात करता है। लेकिन ट्रंप सरकार के नए आयात शुल्क ने इस व्यापार को गहरा झटका दिया है।
ब्राजील पर लगाया गया 50% टैरिफ सीधा मतलब है कि अमेरिकी बाजार में आने वाली हर कॉफी बीन्स की खेप पर आधा मूल्य अब टैक्स के रूप में देना होगा। इससे कॉफी आयात करने वाली अमेरिकी कंपनियों के खर्च में भारी वृद्धि हुई है, जिसका असर सीधे उपभोक्ता कीमतों पर पड़ा है।
वर्तमान में अमेरिका में एक कप ब्लैक कॉफी की कीमत औसतन $6 (करीब ₹500) तक पहुंच गई है, जबकि कुछ प्रीमियम ब्रांड्स में यह $10 तक जा रही है। पिछले साल यही कॉफी $3 से $4 में मिलती थी। यानी एक साल में कीमतों में 50% से अधिक की छलांग लग चुकी है।
कारोबारियों और कैफे मालिकों की परेशानी
कॉफी की बढ़ती कीमतों ने सिर्फ ग्राहकों को ही नहीं, बल्कि कैफे चेन और छोटे व्यवसायों को भी मुश्किल में डाल दिया है। अमेरिका में स्टारबक्स, डंकिन डोनट्स जैसी बड़ी कंपनियां तो अपने दाम बढ़ाकर लागत निकाल लेती हैं, लेकिन छोटे स्थानीय कैफे मालिकों की हालत खराब है।
न्यूयॉर्क की कॉफी शॉप मालिक एमिली हावर्ड बताती हैं —
“कॉफी बीन्स की खरीद लागत इतनी बढ़ गई है कि हमें मेनू के दाम 20% बढ़ाने पड़े हैं। ग्राहक नाराज हैं, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। जो चीज़ कभी रोजमर्रा की जरूरत थी, अब वो लग्जरी बनती जा रही है।”
ब्राजील पर निर्भरता बनी वजह
ब्राजील की अर्थव्यवस्था में कॉफी एक प्रमुख निर्यात उत्पाद है। वहां की जलवायु और मिट्टी इस फसल के लिए आदर्श मानी जाती है। अमेरिका समेत यूरोप के कई देश लंबे समय से ब्राजील की कॉफी पर निर्भर हैं। लेकिन अब अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्क ने सप्लाई चेन को झटका दिया है।
ब्राजील के कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (ABIC) के अनुसार, अमेरिका के आदेश के बाद से कॉफी निर्यात में 25% की गिरावट आई है। कई अमेरिकी कंपनियां अब वियतनाम, कोलंबिया और इथियोपिया जैसे देशों से कॉफी आयात करने पर विचार कर रही हैं, लेकिन इन देशों की कॉफी ब्राजील जितनी सस्ती और स्वादिष्ट नहीं है।
ट्रंप का तर्क और अमेरिका की सियासत
ट्रंप सरकार का दावा है कि यह कदम “अमेरिकी किसानों के हित में” उठाया गया है। उनका कहना है कि ब्राजील जैसे देशों की सस्ती कॉफी से अमेरिकी घरेलू उत्पादकों को नुकसान हो रहा था। लेकिन आलोचकों का मानना है कि अमेरिका में कॉफी उत्पादन बहुत कम है, और यह नीति महज राजनीतिक लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास है।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्हाइट हाउस के इस फैसले के बाद देशभर में कॉफी उपभोग में 10% की गिरावट आई है। कई शहरों में सुबह-सुबह कॉफी शॉप्स में लगने वाली लाइनें अब छोटी दिखने लगी हैं।
उपभोक्ताओं का गुस्सा
आम अमेरिकी उपभोक्ताओं में इस फैसले को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर #CoffeeCrisis और #ThanksTrump जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स का कहना है कि “अब तो कॉफी पीना सोना खरीदने जैसा महंगा हो गया है।”
वाशिंगटन की रहने वाली जेसिका ब्राउन ने ट्वीट किया —
“पहले सुबह की शुरुआत कॉफी से होती थी, अब सोचती हूं एक कप कम कर दूं, क्योंकि जेब खाली होती जा रही है।”
ग्लोबल मार्केट पर असर
अमेरिका जैसे बड़े बाजार में कॉफी की मांग घटने से वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉफी की कीमतें अस्थिर हो गई हैं। न्यूयॉर्क इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज पर कॉफी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स में इस महीने 12% की तेजी देखी गई है।
वहीं, एशिया और यूरोप में कॉफी आयातक देश अब नई सप्लाई चेन बनाने की कोशिश में हैं, ताकि ब्राजील पर अत्यधिक निर्भरता कम की जा सके।
भारत में भी असर की संभावना
भारत में कॉफी की कीमतों पर इसका सीधा असर भले कम हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ते दामों के कारण निर्यातकों को फायदा हो सकता है। भारत दुनिया का 6वां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है और दक्षिण भारत (कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु) में इसका उत्पादन प्रमुख है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर अमेरिका में यह संकट लंबे समय तक बना रहा, तो भारतीय कॉफी एक्सपोर्टर्स को नए कॉन्ट्रैक्ट्स मिल सकते हैं।
ट्रंप सरकार के ब्राजील पर टैरिफ लगाने के फैसले ने अमेरिका में कॉफी को “लग्जरी ड्रिंक” बना दिया है। जहां एक ओर सरकार इसे “स्थानीय किसानों की सुरक्षा” का कदम बता रही है, वहीं उपभोक्ता और कारोबारी इसे महंगाई का नया झटका कह रहे हैं।







