




नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (Global Innovation Index) में भारत की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि भारत ने 2015 में 91वें स्थान से छलांग लगाकर 2025 में 38वें स्थान पर पहुँच गया है। यह उल्लेखनीय प्रगति भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप क्षेत्र में किए गए निरंतर प्रयासों का परिणाम है।
अमित शाह ने कहा कि यह सुधार केवल आंकड़ों का मामला नहीं है, बल्कि यह देश की क्षमता, नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाता है। उन्होंने आगे बताया कि पिछले दस वर्षों में भारत ने स्टार्टअप्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी और डिजिटल टेक्नोलॉजी में अभूतपूर्व विकास किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं जैसे ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘स्टैंडअप इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ युवाओं और उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा कर रही हैं। इसके चलते युवा प्रतिभाओं ने वैश्विक स्तर पर भारतीय नवाचार की छवि को मजबूत किया है।
अमित शाह ने यह भी कहा कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में इस रैंकिंग सुधार से भारत को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और वैश्विक तकनीकी कंपनियों के लिए और अधिक आकर्षक बनाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह रैंकिंग न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि रोजगार सृजन और तकनीकी क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्धा को भी मजबूत करेगी।
गृह मंत्री ने फोकस किया कि शिक्षा, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार में निवेश भारत को अगले तीन वर्षों में शीर्ष 10 देशों में लाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास युवा प्रतिभा और वैज्ञानिक क्षमता की कोई कमी नहीं है, और सही नीति और अवसर के माध्यम से यह देश दुनिया के इनोवेशन हब में बदल सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह प्रगति केवल सरकारी प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि उद्योग, स्टार्टअप्स, उच्च शिक्षा संस्थानों और अनुसंधान केंद्रों के सहयोग का भी परिणाम है। इसके साथ ही, नीति सुधार, डिजिटलाइजेशन और वैश्विक कोलैबोरेशन ने भारत की स्थिति को मजबूती दी है।
अमित शाह के अनुसार, भारत ने पिछले दस वर्षों में जो छलांग लगाई है, वह भविष्य की संभावनाओं के लिए भी मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि अगले तीन सालों में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में टॉप 10 देशों में शामिल होना संभव है, यदि नवाचार और विज्ञान के क्षेत्र में किए गए प्रयासों को निरंतर गति मिलती रहे।
इस प्रकार, भारत की यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का क्षण है। यह न केवल भारतीय युवा और वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की तकनीकी क्षमता और नवाचार की पहचान को भी उजागर करता है।