




भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापारिक तनाव के बीच शनिवार को एक अहम कूटनीतिक मुलाकात हुई। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने नवनियुक्त अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर से नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने भारत से आयातित कई उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में असहजता का माहौल बन गया है।
अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर हाल ही में अपने कार्यभार संभालने के बाद पहली बार भारत दौरे पर आए हैं। उनका यह दौरा दोनों देशों के बीच हालिया तनाव को कम करने और संवाद की नई शुरुआत करने के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, गोर ने जयशंकर से मुलाकात के दौरान कहा कि अमेरिका भारत को “रणनीतिक साझेदार” के रूप में देखता है और दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार और रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
इस बैठक में आर्थिक साझेदारी, तकनीकी सहयोग, सेमीकंडक्टर निर्माण, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि भारत स्वतंत्र आर्थिक नीतियों का पालन करता है और अपने नागरिकों व उद्योगों के हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत “प्रतिस्पर्धा” से नहीं बल्कि “साझेदारी” से वैश्विक स्थिरता चाहता है।
जयशंकर ने सर्जियो गोर से कहा,
“भारत और अमेरिका के बीच संबंध किसी एक विवाद या नीति से परिभाषित नहीं होते। हमें दीर्घकालिक दृष्टि से अपनी साझेदारी को और मजबूत बनाना चाहिए।”
उनके इस बयान को यह संकेत माना जा रहा है कि भारत किसी भी तरह के व्यापारिक दबाव में नहीं आने वाला, लेकिन संवाद के रास्ते खुले रखेगा।
अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ का सीधा असर भारत के स्टील, एल्यूमिनियम, और फार्मास्युटिकल उत्पादों पर पड़ा है। भारत सरकार ने इस कदम को “एकतरफा और अनुचित” बताया था। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता चल रही है।
सर्जियो गोर ने बैठक के दौरान कहा कि अमेरिकी प्रशासन भारत की चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है और इस दिशा में समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले महीनों में “संतुलित व्यापार व्यवस्था” बनाने के लिए दोनों पक्ष मिलकर काम करेंगे।
व्यापारिक तनाव के अलावा, दोनों नेताओं के बीच रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा रणनीति पर भी विचार-विमर्श हुआ। भारत और अमेरिका दोनों चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, और इस मुद्दे पर दोनों देशों की समान सोच उन्हें स्वाभाविक साझेदार बनाती है।
जयशंकर ने कहा कि भारत, अमेरिका और जापान के बीच “क्वाड” (QUAD) गठबंधन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं सर्जियो गोर ने भी यह माना कि भारत की भूमिका “शांतिपूर्ण एशिया” के लिए निर्णायक है।
बैठक में तकनीकी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। सर्जियो गोर ने बताया कि अमेरिकी कंपनियां भारत में सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट्स में निवेश करने की इच्छुक हैं। वहीं जयशंकर ने कहा कि भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था और इनोवेशन के क्षेत्र में अमेरिका का विश्वसनीय साझेदार बनेगा।
शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों ने संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों और छात्र आदान-प्रदान की पहल पर सहमति जताई। इसके तहत अमेरिकी विश्वविद्यालयों और भारतीय तकनीकी संस्थानों के बीच नए समझौते होने की संभावना है।
जयशंकर और गोर ने इस बात पर भी सहमति जताई कि संयुक्त राष्ट्र, G20, और BRICS जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत-अमेरिका को “साझा एजेंडा” के साथ काम करना चाहिए। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई।
जयशंकर ने कहा,
“भारत और अमेरिका का रिश्ता सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक है। हम साथ मिलकर दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान निकाल सकते हैं।”
सर्जियो गोर की यह यात्रा इस बात का संकेत है कि दोनों देश मौजूदा व्यापारिक मतभेदों को संवाद के माध्यम से सुलझाना चाहते हैं। बीते कुछ महीनों में बढ़ते आर्थिक तनाव के बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक और तकनीकी साझेदारी पहले से कहीं अधिक मजबूत है।