




इज़राइल-हमास संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मानवीय कदम के रूप में, हमास ने सोमवार को सात बंधकों को अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस की देखरेख में सौंप दिया। यह पहली बार है जब इतने बंधकों को युद्धविराम के हिस्से के रूप में रिहा किया गया है।
इन सात बंधकों को 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा अगवा किया गया था, और उनकी सुरक्षा व स्थिति की जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है। इस कार्रवाई को इज़राइल ने एक सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा है, जो लंबे समय से चले आ रहे इस संघर्ष को खत्म करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
जैसे ही इज़राइली टीवी चैनलों ने बंधकों के रेड क्रॉस के हाथ में होने की खबर दी, उनके परिवारों और दोस्तों में खुशी की लहर दौड़ गई। परिजन अस्पतालों और रेड क्रॉस केंद्रों के बाहर जमा हो गए, कई लोग भावुक होकर एक-दूसरे को गले लगा रहे थे। यह बंधकों के लिए राहत की पहली बड़ी खबर थी, जो महीनों से अपने प्रियजनों की तलाश में थे।
हमास ने यह भी घोषणा की है कि कुल 20 जीवित बंधकों की रिहाई की जाएगी, जिनके बदले में इज़राइल अपने कब्जे में रखे गए 1,900 से अधिक फलस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा। यह कदम संघर्ष विराम के लिए किए जा रहे प्रयासों में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
उसी दिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उच्च स्तरीय कूटनीतिक मिशन पर इज़राइल और मिस्र की यात्रा शुरू की। उन्होंने कहा,
“गाज़ा में युद्ध खत्म हो चुका है। अब शांति, पुनर्निर्माण और स्थिरता का समय है।”
ट्रंप की यह यात्रा इस क्षेत्र में शांति को स्थापित करने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
यह युद्धविराम क्षेत्र में कई महीनों से चली आ रही हिंसा के बाद एक राहत भरा कदम है। फिलहाल संघर्ष विराम लागू हो चुका है और दोनों पक्ष शांति वार्ता को लेकर गंभीर हैं।
संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस युद्धविराम का स्वागत कर रही हैं और मानवीय सहायता भेजने में लगी हुई हैं।
हालांकि बंधकों की रिहाई और युद्धविराम अच्छी शुरुआत है, लेकिन संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए कई मुद्दों पर अभी सहमति बनानी बाकी है:
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गाज़ा के प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था का भविष्य
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दोनों पक्षों के बीच स्थायी शांति सुनिश्चित करना
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विस्थापित लोगों के पुनर्वास और गाज़ा का पुनर्निर्माण
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सभी बंधकों की पूरी रिहाई सुनिश्चित करना
हमास द्वारा सात बंधकों की पहली रिहाई और ट्रंप के युद्ध खत्म होने के बयान ने मध्य पूर्व में शांति की एक नई उम्मीद जगाई है। हालांकि चुनौतियां अभी भी बनी हैं, लेकिन यह कदम संघर्ष को स्थायी समाधान की ओर ले जाने में अहम साबित हो सकता है।