




पहली बार भारतीय विदेश मंत्री ने तालिबान के मंत्री से की सीधी बातचीत, आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश
नई दिल्ली: दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में एक बड़ा मोड़ देखने को मिला है, जब भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पहली बार तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से टेलीफोन पर वार्ता की। यह संवाद ऐसे समय में हुआ जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था।
तालिबान की तरफ से भारत को स्पष्ट समर्थन और आतंकवाद की निंदा ने पाकिस्तान को पूरी तरह झकझोर दिया है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पहलगाम हमले की तीखी आलोचना करते हुए पाकिस्तान की नीतियों से दूरी बनाने का संकेत दिया है।
भारत ने पहले ही पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने की नीति के खिलाफ चेतावनी दी थी। अब जब अफगानिस्तान भी भारत के करीब आता दिख रहा है, तो पाकिस्तान को पूर्व और पश्चिम दोनों ओर से दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
तालिबान का बदलता रुख
तालिबान की ओर से यह संकेत दिया गया कि अब वह पाकिस्तान के इशारे पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होगा। यही नहीं, तालिबान सरकार ने पाकिस्तान को यह भी साफ किया है कि उसे अब अफगानिस्तान को रणनीतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल करने की मंशा छोड़नी चाहिए।
ऐतिहासिक वार्ता का अर्थ
डॉ. एस. जयशंकर और मुत्तकी की यह बातचीत भारत और तालिबान के बीच पहले मंत्री स्तरीय संवाद के रूप में देखी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया की सामरिक रणनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
पाकिस्तान को मिला दोहरा झटका
एक ओर भारत का सख्त सैन्य ऑपरेशन, दूसरी ओर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का समर्थन — यह पाकिस्तान की विदेश नीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पाकिस्तान की सेना और कट्टरपंथी गुटों पर भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने की संभावना है।