




ITR:अगर आपने तय समय सीमा के बाद ITR फाइल किया, तो सेक्शन 234F के तहत पेनल्टी लग सकती है. 5 लाख से कम आय वालों को 1,000 और इससे ऊपर वालों को 5,000 तक जुर्माना देना पड़ सकता है.
इनकम टैक्स विभाग ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR-1 और ITR-4 फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है. ये फॉर्म उन व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए हैं, जिनकी सालाना आय 50 लाख तक है. यानी फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए ITR भरने की प्रक्रिया अब आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुकी है. ऐसे में टैक्सपेयर्स के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे आयकर अधिनियम, 1961 के उन अहम सेक्शन्स को समझें जो टैक्स कैलकुलेशन, डिडक्शन और टैक्स रेजीम चुनने में मदद करते हैं.
धारा 139(1) ITR फाइल करना जरूरी
सबसे पहले बात करते हैं सेक्शन 139(1) की, जो यह साफ करता है कि जिनकी आय एक तय सीमा से ज्यादा है, उनके लिए आयकर रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है. इसके तहत जरूरी और स्वैच्छिक दोनों तरह की रिटर्न फाइलिंग का जिक्र है.
पुराने टैक्स रेजीम के तहत डिडक्शन, सेक्शन 80C
अगर आप पुराना टैक्स सिस्टम अपनाते हैं, तो सेक्शन 80C आपके लिए बेहद फायदेमंद है. इसके तहत आप PPF, EPF, ELSS, टैक्स सेविंग FD और जीवन बीमा जैसे निवेश पर 1.5 लाख तक की छूट पा सकते हैं.
लेकिन याद रखें, नए टैक्स रेजीम में यह छूट नहीं मिलती. हालांकि, नया रेजीम चुनने वाले टैक्सपेयर्स सेक्शन 80CCD(2) के तहत एनपीएस में एम्प्लॉयर की योगदान पर 10 फीसदी तक की छूट ले सकते हैं.
होम लोन पर ब्याज, सेक्शन 24B
अगर आपने घर के लिए लोन लिया है, तो उसके ब्याज पर आप 2 लाख तक की छूट ले सकते हैं और अच्छी बात ये है कि ये छूट दोनों टैक्स रेजीम में मिलती है.
HRA पर छूट, सेक्शन 10(13A)
अगर आप किराये के घर में रहते हैं और सालाना 1 लाख से ज़्यादा किराया देते हैं, तो HRA पर छूट पा सकते हैं. इसके लिए सेक्शन 10(13A) लागू होता है.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट, सेक्शन 80D
स्वास्थ्य बीमा पर भी टैक्स में बड़ी राहत मिल सकती है. सेक्शन 80D के तहत आप सालाना 1 लाख तक की छूट ले सकते हैं. अगर आपकी उम्र 60 से कम है, तो 25,000 तक की छूट मिलेगी, लेकिन सीनियर सिटिज़न के लिए यह सीमा 50,000 तक है.
लेट फाइलिंग पर पेनल्टी, सेक्शन 234F
अगर आपने तय समय सीमा के बाद ITR फाइल किया, तो सेक्शन 234F के तहत पेनल्टी लग सकती है. 5 लाख से कम आय वालों को 1,000 और इससे ऊपर वालों को 5,000 तक जुर्माना देना पड़ सकता है. साथ ही, देरी से रिटर्न फाइल करने पर सेक्शन 234A और 234B के तहत ब्याज भी देना पड़ सकता है. तो अगर आप इस साल ITR फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो ऊपर बताए गए सेक्शन्स को ध्यान में रखें. ये न सिर्फ आपको सही डिडक्शन क्लेम करने में मदद करेंगे, बल्कि टैक्स प्लानिंग को भी आसान बना देंगे.